अरुणेश पठानिया
गृहयुद्ध से जूझ रहे अफ्रीकी देश सूडान में भारतीय विदेश मंत्रालय ऑपरेशन कावेरी के तहत एक बेहद साहसिक अभियान को अंजाम दे रहा है। सूडान में लगभग चार हजार भारतीयों के फंसे होने की आशंका है। इनमें से तीन हजार के करीब लोग जेद्दा पहुंचाए जा चुके हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अब तक लगभग 2300 लोग भारत लाए जा चुके हैं। युद्धग्रस्त इलाके में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की काफी दिक्कतें हैं। फिर भी भारतीय दूतावास ने किसी तरह से वहां फंसे हर भारतीय से संपर्क बना रखा है।
सूडान से भारतीयों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा रहा है।
सूडान में अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स और वहां की सेना आमने-सामने है। इस संघर्ष में अब तक 400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 2200 से अधिक घायल हैं। संघर्ष के केंद्र में दो जनरल हैं- सूडानी आर्म्ड फोर्स (FAS) के प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के लीडर मोहम्मद हमदान दगालो। एक समय दोनों ने मिलकर देश में तख्तापलट करने में अहम भूमिका निभाई थी। अब इन दोनों के झगड़े में ढेरों भारतीय ऐसी जगहों पर फंसे हैं, जहां रोजाना बमबारी हो रही है। हालांकि भारत सरकार ने 2011 में सूडान से सटे देश लीबिया में छिड़े ऐसे ही एक गृहयुद्ध से ऑपरेशन सेफ होमकमिंग के तहत 13 हजार से अधिक भारतीयों को निकाला था, पर इस बार का मिशन खासा मुश्किल है।
सूडान में लगभग एक हजार गुजराती हैं, जो पीढ़ियों से वहां व्यापार करते हैं। इसके अलावा पेट्रोलियम इंडस्ट्री में भी बड़ी संख्या में भारतीय हैं। कुल मिलाकर लगभग चार हजार भारतीय और भारतवंशी वहां रहते रहे हैं।
सूडान में 15 अप्रैल को छिड़े गृहयुद्ध के बाद वहां फंसे भारतीयों ने बचाने के लिए सोशल मीडिया पर ढेरों संदेश भेजे, पीएम मोदी को भी खूब टैग किया। उनकी गुहार का तुरंत संज्ञान लेते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने सूडान के करीबी देश सऊदी अरब की मदद लेने का फैसला किया।
भारत ने ऑपरेशन का नाम कावेरी इसलिए रखा, क्योंकि नदियां कैसे भी करके अपने गंतव्य तक पहुंचने का रास्ता बना ही लेती हैं।
सूडान पोर्ट और सऊदी अरब के जेद्दा के बीच पड़ता है लाल सागर। दोनों देशों के बीच पड़ने वाला यह समुद्र लगभग साढ़े तीन सौ किलोमीटर चौड़ा है। फंसे भारतीयों को अंत में यही दूरी पार करनी होती है।
सूडान पोर्ट से भारतीयों को भारतीय वायु सेना के परिवहन विमान और भारतीय नौसेना के जहाजों में सऊदी अरब के शहर जेद्दा ले जाया जा रहा है, जहां भारतीय वायुसेना ने अपना बेस बना लिया है।
जेद्दा से भारतीयों को ग्लोबमास्टर या भारतीय वायुसेना के विमान से घर वापस लाया जा रहा है। कुछ प्राइवेट एयरलाइंस भी इस ऑपरेशन में मदद कर रही हैं।
अभी भी भारत को सूडान से लगभग डेढ़ हजार लोग निकालने हैं। विदेश मंत्रालय ने इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि हफ्ते भर में सबको वापस ले आया जाएगा।
बहरहाल, ऑपरेशन कावेरी बताता है कि भारत ने अपने मजबूत कूटनीतिक संबंधों की बदौलत वर्ल्ड लेवल पर एक लंबी लकीर खींची है। याद करें ऑपरेशन गंगा, जिसमें भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हजारों भारतीय छात्रों को सफलतापूर्वक निकाला था। यह भारत की कूटनीतिक सफलता ही थी कि इस काम में उसका सहयोग यूक्रेन और रूस, दोनों ने किया। ऐसे ही अफगानिस्तान से भारतीयों को वापस लाने के लिए जब ऑपरेशन देवी शक्ति चलाया गया था, तब तालिबान सरकार ने पड़ोसी पाकिस्तान से अधिक भारत में अपना विश्वास दिखाया था। इन सबके बाद अब ऑपरेशन कावेरी ने इस धारणा को और मजबूती दी है कि भारत अपने लोगों को मुसीबत में कभी अकेला नहीं छोड़ता।