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इसलाम और शाकाहार

क्या क़ुरान शरीफ अली को शिव की कृपा से मिली थी !!

vक़ुरान अली को शिव की कृपा से मिली थी !!
अभी तक मुस्लमान यही मानते आये हैं कि कुरान अल्लाह द्वारा भेजी गयी अंतिम किताब है , और सभी धर्मग्रंथों को निरस्त करने वाली है ,इसी लिए सभी को कुरान पर ईमान रखना चाहिए , मुस्लमान ऐसा इसलिए मानते हैं ,क्योंकि उनको बचपन से ही यही समझाया जाता है , मौजूदा कुरान 23 वर्षों में इकट्ठी की गयी थी , इस समय के अंदर जोभी घटनाएं हुई है , और उनका मुहमद से जो भी सम्बन्ध था , अक्सर कुरान में उन्ही के बारे में बताया गया ,कुछ कहानियां बाइबिल से भी ली गयी है ,मौजूदा कुरान में कुल 6666 आयतें हैं .अगर आप कुरान को गौर से पढ़ें तो पाएंगे की कुरान में कुल 122 ऐसी आयतें हैं जो परस्पर विरोधी हैं , इसके आलावा कुरान में करीब 370 ऐसी आयतें जो बार बार दी गयी है ,यही नहीं कुरान को अधिक ध्यान से पढ़ें तो ,जगह जगह कुरान की अरबी भाषा की शैली अलग दिखाई देगी , ऐसा तभी हो सकता है जब एक से अधिक लोगों ने मिल कर कुरान बनायीं हो , और इसी सच्चाई को मिटने के लिए मुस्लिम खलीफाओं ने इस्लाम पूर्व अरब की सभी किताबें जलवा दी थी , लेकिन सब जानते हैं कि एक न एक दिन सत्य सामने आही जाता है ,भगवान शिव और कुरान का क्या सम्बन्ध है , इसका प्रमाण दिया जा रहा है ,
1 -मुहम्मद का दादा “शैव ” था
इस्लाम से पहले अरब में कई देवताओं और देवियों की पूजा की जाती थी ,मुहम्मद के परदादा और दादा जिस देवी या देवता को अपना इष्ट मानते थे उसी के नाम पर बच्चों के नाम रख लेते थे ,जैसे मुहम्मद का परदादा “मनाफ – مناف‎ ” देवी का उपासक था इसलिए उसका नाम “हाशिम बिन अब्द मनाफ – هاشم بن عبد مناف‎ ” था , यानि मनाफ़ का भक्त ,इसी तरह मुहम्मद का दादा “उज्जा – العزى ” का भक्त था उसका नाम “अब्दुल उज्जा बिन अब्दुल मुत्तलिब – عبد العزى بن عبد المطلب ” था ,इसका काल सन 464 से 497 ईस्वी है , गौर करने की बात यह है कि मुहम्मद के दादा अब्दुल मुत्तलिब का उपनाम “शैबिया – شيبة ” था ,जो संस्कृत शब्द ” शैव ” का अपभ्रंश है , अर्थात शिव का उपासक , इस नाम का कारन यह है कि मुहम्मद के पूर्वज “अल हिलाल – أل هلال “नामके एक ऐसे देवता को भी पूजते थे जिसका प्रतिक दूज का चन्द्रमा (cresent ) था , जैसे भगवन शिव के सर पर होता है , आज भी यह शिव का प्रतिक अर्धचंद्र पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर है .
यद्यपि मुस्लिम विद्वान् इस बात से इंकार करते हैं लेकिन कुछ ऐसे प्रमाण हमने खोज लिए हैं जिनसे आसानी से सिद्ध किया जा सकता है कि मुहम्मद का चचेरा भाई और दामाद ” अली बिन अबूतालिब – علي ابن أبي طالب‎, ” शिव का उपासक था ,
2- इस्लामी किताब में शिवलिंग का उल्लेख
अरब में अधिकांश देवी देवताओं की पूजा उनके प्रतीकों (symbols ” के रूप में में होती थी , भारत में शिव की पूजा ” शिव लिंग ” के रूप में होती है , लेकिन अरब में शिवलिंग के लिए कोई उचित शब्द नहीं होने उसे सिर्फ (“लिंग ” ( penis ) अरबी में ” कुजैब – القضيب ” कहा जाता था .
3- शिव ने अली को इमाम नियुक्त किया
आठवीं सदी के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान् और शोधकर्ता “हजरत हुज्जतुल इनाम अल इमाम अल हुसैन अल अस्करी – حضرت حجة الله في الانام الامام الحسن العسكري
” ने अपनी किताब “आसारे हैदरी -آثار حیدری ” के पेज 557 पर लिखा है कि अली को इमामत का वरदान एक
लिंग ने प्रदान किया था.
“أعلن القضيب إمامة علي. ”
(इअ लन अल कुजैब इमामः अलीया )
लिंग ने अली की इमामत की घोषणा की थी
Penis proclaimed the Imamate (patriarchate) of Ali .
Aasar-e-Haidery, Pg#557
नोट – यहाँ दिए गए लिंग शब्द का आशय शिवलिंग अर्थात भगवान शिव के अतिरिक्त कुछ नहीं हो सकता है ,इस अरबी किताब का उर्दू अनुवाद “जनाब मौलवी सय्यद शरीफ हुसैन – جناب مولوي سيّد شريف حُسين ” ने किया है .Publisher -Abbas Book Agency , Rustam Nagar ,Lucknow .UP

Mail-abbasbookagency@yahoo.com

+91-9369444864-+91-9415102990

इसका सबूत तुर्की की इस मस्जिद को देख कर मिलता है ,जो ऐक लिंग के जैसी लगती है ,बीच में खड़ा लिंग है निचे लिंग के दो अंडकोष हैं ,Whoever designed this mosque in Turkey has some serious questions to answer about the design
-चित्र –

4-इमाम कौन होता है ?
अरबी में नायक को “इमाम الاِمام – ” कहा जाता है , अंगरेजी में इसे (Leader ) भी कह सकते हैं , जिस तरह अल्लाह किसी को अपना रसूल बना देता उसी तरह किसी को भी इमाम बना देता है , कुरान की सूरा -अम्बिया 21 :73 और सूरा -सजदा -32 :24 में साफ़ कहा गया है कि हम लोगों में से किसी को इमाम बना देते हैं जो हमारे आदेशों से लोगों का मार्ग दर्शन किया करे .
5-इमाम की विशेषताएं
1.इमाम का दर्जा मुहम्मद के बराबर है .
“الأئمة متساوون في الوضع مع النبي محمد ”
Imams are equal in the status with Prophet Muhammad ..
[Usool-ul-Kaafi, Vol#2, Pg#287 – Published Iran]
2.इमाम पर अल्लाह की तरफ से वही नाजिल होती है .
“الإمام يحصل على الوحي من الله ”
Imam get revelations (WAHI by ALLAH) .
[Usool-ul-Kaafi, Vol#1, Pg#329-330 – Published Iran]
इसका मतलब है कि कुरान की रचना में अली भी भागीदार थे , यह बात इस हदीस से साबित हो जाती है .
6-अल्लाह के बहाने अली बोलता था
यह बात इस हदीस से प्रमाणित है

“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था

عَنْ جَابِرٍ، قَالَ دَعَا رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلِيًّا يَوْمَ الطَّائِفِ فَانْتَجَاهُ فَقَالَ النَّاسُ لَقَدْ طَالَ نَجْوَاهُ مَعَ ابْنِ عَمِّهِ ‏.‏ فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ‏”‏ مَا انْتَجَيْتُهُ وَلَكِنَّ اللَّهَ انْتَجَاهُ ‏”‏ ‏.‏ قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ غَرِيبٌ لاَ نَعْرِفُهُ إِلاَّ مِنْ حَدِيثِ الأَجْلَحِ وَقَدْ رَوَاهُ غَيْرُ ابْنِ فُضَيْلٍ أَيْضًا عَنِ الأَجْلَحِ ‏.‏ وَمَعْنَى قَوْلِهِ ‏”‏ وَلَكِنَّ اللَّهَ انْتَجَاهُ ‏”‏ ‏.‏ يَقُولُ اللَّهُ أَمَرَنِي أَنْ أَنْتَجِيَ مَعَهُ ‏.‏
“शामए तिरमिजी हदीस 1590 .
English reference : Vol. 1, Book 46, Hadith 3726
Arabic reference : Book 49, Hadith 4092

Video-The Quran was first revealed to Ali (ra).

7-रास की मस्जिद पर शिवलिंग

ये तस्वीर भारत के पुनीत शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने अपनी वॉल पर पोस्ट किया,

Raasa is the oldest mosque in Arab

https://pbs.twimg.com/media/DCIJaOhUIAAUmPd.jpg

हमने बड़े परिश्रम से यह सबुत जुटाए हैं ,इन से साफ सिद्ध हुआ की , मुहम्मद के पूर्वज और परिवार के लोग किसी न किसी रूप में शिव की उपासना किया करते थे ,यद्यपि मुस्लिम खलीफाओं और शासकों ने इन प्रमाणों को नष्ट करने का पूरा प्रयास किया था , फिर भी जो सबूत बचे हैं वह इस बात को पुष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं, दूसरी महत्वपूर्ण बात यह सिद्ध होती है कि कुरान आसमानी किताब नहीं ,बल्कि मुहम्मद और अली ने मिल कर बनायीं थी ,इसीलिए कुरान में जगह जगह परस्पर विरोधी बातें पायी जाती है ,अर्थात अली ने शिव की प्रेरणा से आयतें रची थी उनमे अच्छी बातें है और जो मुहम्मद ने रची थीं उनमे हिंसा , और नारी विरोधी आयतों में भरमार है ,इस बात को सुन्नी और शिया मानते हैं कि कुरान का कुछ हिस्सा फातिमा के घर में था और कुछ हफ्शा के घर में था ,

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ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. जिन की उगता भारत पुष्टि नहीं करता।)

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