आर्यसमाज मन्दिर मुजफ्फरपुर , बिहार में सोमवार को वैदिक रीति से मंत्री आचार्य डॉ.व्यासनन्दन शास्त्री के आचार्यत्व में आयुष्मान् विनीत प्रकाश और आयुष्मती आकांक्षा का विवाह संस्कार सम्पन्न हुआ। बीच -बीच में आचार्यश्री ने विवाह के महत्व एवं विधियों की सारगर्भित व्याख्या भी की ।
उन्होंने भारतीय संस्कृति में नारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माता को निर्माता कहकर विभूषित करने वाली भारतीय संस्कृति सुसंतान की निर्माता माता को संसार की सुव्यवस्था की व्यवस्थापिका मानती है। क्योंकि सुसंतान ही सुंदर व सुव्यवस्थित संसार की सृजना कर सकती है। इसलिए घर से संसार बनाने वाली भारतीय सन्नारी ही विश्व शांति की और वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा की ध्वजवाहिका है। उसे इसी रूप में वंदनीया और पूजनीया माना गया है। ऐसी सन्नारी को पर्दे में बंद रखकर या घर की चारदीवारी के भीतर कैद करने की परंपरा भारत की सहज परंपरा नही है, अपितु यह मध्यकाल की एक विसंगति है। जिसे अपने लिए बोझ मानने की आवश्यकता हम नही समझते, परंतु नारी का प्रथम कर्त्तव्य अपने जीवन को सुसंतान के निर्माण के लिए होम कर देना अवश्य मानते हैं। पश्चिमी जगत ने नारी को ‘मां’ नही बनने दिया उसे ‘लेडी’ और ऑफिस की ‘मैडम’ बनाकर रख दिया-फलस्वरूप पश्चिमी पारिवारिक व्यवस्था में हर कदम पर कुण्ठा और तनाव है।
आचार्य श्री ने कहा कि विवाह का अभिप्राय एक और एक मिलकर दो होना नहीं है , ना ही एक और एक मिलकर ग्यारह होना है बल्कि एक और एक मिलकर ‘एक’ हो जाना है। उन्होंने कहा कि दुनिया का यह अजब गणित है जहां एक और एक मिलकर एक होते हैं। इस गणित को संसार के अन्य मजहब आज तक नहीं समझ सके हैं । वह एक और एक को मिलाकर दो कह रहे हैं। उसी का परिणाम समय आने पर एक और एक का अलग हो जाना अर्थात तलाक ले लेने जैसी कुरीति के रूप में देखा जाता है।
आचार्य श्री के इस प्रकार के समसामयिक उद्बोधन को सुनकर वर – वधू पक्ष व आर्यजन मंत्रमुग्ध व लाभान्वित हुए। विवाहोपरांत सामवेदोक्त वामदेव्यगान गाया गया। सहयोगी आचार्यों में समरजीत कुमार , प.गोपाल जी आर्य, कमलेश दिव्यदर्शी ,राधारमण आर्य, सुरेश प्रसाद शास्त्री थे।
कार्यक्रम में प्रधान नन्द किशोर ठाकुर, मुख्य उप प्रधान डॉ.महेश चन्द्र प्रसाद, वरिष्ठ उपप्रधान श्री विमल किशोर उप्पल, भागवत प्रसाद आर्य, मनोज कुमार चौधरीअधिवक्ता रमेश कुमार दानापुरी, डॉ.विमलेश्वर प्रसाद विमल, प्रदीप कुमार आर्य, सतीश चन्द्र प्रसाद, डॉ.प्रदीप कुमार,अरुण कुमार आर्य, नीतू कुमारी ,नूतन देवी आदि आर्य जन उपस्थित हुए।