बहुबलियो का कवच होता है राजनीतिक चुनाव
डॉ. राधे श्याम द्विवेदी
भारत वर्ष के प्रायः हर क्षेत्र में मुख्य रूप से दो वर्गों का बर्चस्व रहा है। एक को शासक और दूसरे को शासित वर्ग कहा जा सकता है। शासक बाहुबली वर्ग के बारे में लोगों की आम जन अवधारणा में कोई विशेष परिवर्तन अभी तक नही दिखता है। राजशाही तो संविधान और कानून के आधार पर समाप्त प्राय है पर अनधिकृत तरीके अपनाकर उनके प्रभाव का असर आज भी शिक्षा उद्योग ,विद्यालय उद्योग, खनन उद्योग,बस टैक्सी संचालन वा बस टैक्सी स्टैंड संचालनआदि का वैध या अवैध संचालन आदि में एकल या संगठित समूह के रूपों में देखा जा सकता है। दूसरे अर्थों में इन्हे बाहुबली या माफिया भी कह सकते हैं। इस समूह में संलग्न लोग कट्टर या उदारवादी दोनों होते हैं। ये अपने नाम और प्रभाव को बढ़ाने के लिए धार्मिक, सामाजिक,शिक्षा, चिकित्सा और राजनीतिक संगठनों और उनसे जुड़े लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए, दिल खोलकर दान और मदद भी देते हैं।
गहरी जड़ वाला वृक्ष:-
माफिया समूह ऐसा वृक्ष होता है,जिसकी जड़ें, मजबूत, गहरी और बहुत दूर तक फैली होती हैं। यह माफिया नामक वृक्ष धार्मिक,सामाजिक,सांस्कृतिक, संगठनो में सक्रिय लोगों के करकमलों द्वारा सींचा जाता है। राजनीति इस वृक्ष का संरक्षण करती है। हर एक क्षेत्र में माफिया नाम का समूह कार्यरत होता है। शासन के अंतर्गत प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ बनाए रखने के लिए बनाए गए नीति नियमों की त्रुटियों का लाभ उठाना साहस पूर्ण कार्य है।इन नीति नियमो की त्रुटियों के कारण अपने अवैध कार्यो को वैध कर लेना कोई साधारण काम नहीं हैं, इसके लिए तेजतर्रार दिमाग और तदनुरूप उद्यम किया जाना चाहिए।
सामाजिक स्तर पर यह माफिया भिन्न भिन्न आकार प्रकार में पाया जाता है। सड़क छाप से लेकर उच्चस्तर तक।
धार्मिक क्षेत्र में सक्रिय माफिया समूह अतिधार्मिक लोगों के लिए बहुत सहयोगी होता है। इस माफिया समूह के कारण इन आस्थावान लोगों को किसी भी देवालय में दर्शनार्थ लंबी कतार में खड़े नहीं होना पड़ता है। इन आस्थावान लोगो को वी. वी.आई. पी.,स्तर का दर्शन लाभ प्राप्त होता है।
तरह तरह के माफ़िया :-
भू माफ़िया समूह की कार्य कुशलता की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कारण यह समूह, कोई भी, कैसी भी,कितनी भी, कानूनी पेंचीदा समस्याओं में उलझी जमीनों का सौदा निर्भयता पूर्वक कर लेने में निपुण होता है। एक माफिया समूह, धार्मिक सामाजिक, सांस्कृतिक, समारोह के लिए हाथों में रसीद कट्टे लेकर चंदे के स्वरूप में भीख मांगते हुए प्रायः देखा जाता है। इस माफिया का अघोषित व्यवसाय यही होता है। यह समूह बारह महीने सक्रिय होता है। एक समूह आए दिन किसी न किसी बहाने भंडारे नामक अन्न दान का धार्मिक आयोजन करता रहता है। इस माफिया समूह को साईबाबा जय गुरुदेव आशाराम राम पाल , राधा मां और राम रहीम जैसे संत सहज, सरल और आसानी से मिल जाते हैं।
वर्षभर में जितने भी भंडारे होते है,उनमें नब्बे फी सदी भंडारे साईं बाबा के नाम पर ही होते हैं।इस माफिया को मन या बेमन से सहयोग करने वाले व्यापारी होते हैं।यह व्यापारी बगैर आना कानी किए मुक्तहस्त से अपना दान रूपी सहयोग प्रदान करते हैं।यह सहयोग करना इनकी बाध्यता भी होती है अपने व्यापार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए।
खनन माफिया से नदियों की सफाई:-
एक महत्वपूर्ण माफिया है,खनन माफिया,यह माफिया, माफी अर्थात क्षमा का अधिकारी है।यह माफिया सरिताओं में खनन कर नदियों के गहरी करण में व्यवस्था के लिए सहयोगी होता है।इस माफिया के सराहनीय कार्य के लिए इसकी प्रशंसा करनी चाहिए।
अनिश्चित उम्र :-
माफिया समूह की जड़े कितनी भी मजबूत हो कितनी भी फैली हो इसकी उम्र अनिश्चित होती है।साँप सीडी के खेल की तरह।जबतक भाग्य साथ देता है तबतक इस समूह के लोगों के पांसे पक्ष में पड़ते हैं,तबतक खेल में सीढ़ी- दर- सीढ़ी ही आते रहती है,लेकिन आख़री पायदान पर पहुँचने के मात्र दो कदम की दूरी पर अर्थात इठयावन पर साँप आ जाता है जो सीधे नीचे ले आता है। नीचे अर्थात जमीन आकर सब कुछ नेस्तनासबूत कर देता है। दर्शन शास्त्र कहता है, पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है।
भारत के कुछ प्रमुख माफिया :-
दाऊद इब्राहिम:-
58 वर्षीय दाऊद भारत का सबसे बड़ा मोस्ट वॉन्टेड है।श्री प्रकाश शुक्ल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश की धरती पर एके-47 चलाई थी। वह 1990 के दशक का कुख्यात बदमाश था। उनके बाद उनकी एके 47 का इस्तेमाल मुन्ना बजरंगी ने किया।
मुख्तार अहमद अंसारी :-
यूपी के मऊ से 5 बार विधायक रह चुका बाहुबली मुख्तार अहमद अंसारी पिछले करीब 18 सालों से जेल में ही बंद है। मुख्तार पर हत्या, अपहरण, फिरौती, रंगदारी जैसे करीब 4 दर्जन मुकदमें दर्ज हैं। उसकी दबंगई इतनी थी कि वह जेल में बैठे-बैठे चुनाव जीत जाता था और गैंग भी वहीं से चलाता था। अपने रसूक के बल से वह पंजाब का सरकारी मेहमान बना हुआ है।
बृजेश सिंह:-
पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया डॉन बृजेश सिंह, यूपी-बिहार ही नहीं बल्कि मुंबई के जेजे अस्पताल में साथियों के साथ मिलकर पुलिस की मौजूदगी में गवली गिरोह के चार लोगों को गोलियों से भून डाला था। बृजेश सिंह के ऊपर 41 मामले दर्ज थे।
राजा भैया :-
प्रतापगढ़ जिले के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया जो कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार सात बार निर्दलीय विधायक बन चुका है। पूर्वांचल में राजा भैया को एक बाहुबली विधायक और माफिया के तौर पर जाना जाता है। राजा भैया के खिलाफ कुंडा के साथ-साथ महेशगंज, प्रयागराज, रायबरेली के ऊंचाहार और लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण, गबन, भ्रष्टाचार समेत अन्य कई संगीन धाराओं में 47 मुकदमे दर्ज हैं।
विजय मिश्रा:-
भदोही के बाहुबली पूर्व विधायक रहे विजय मिश्रा पर गैंगस्टर एक्ट के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (इडी) का भी मामला चल रहा है। उसकी भदोही और प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक लगभग 55 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। विजय मिश्रा ज्ञानपुर से विधायक रह चुका है।
कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी रहा राजन तिवारी मूल रूप से गोरखपुर का रहने वाला है। राजन तिवारी बिहार में दो बार विधायक रह चुका है। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजन ने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता भी ली थी। इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उसे साइडलाइन कर दिया गया। इससे पहले वह बीएसपी में था।
सुधीर सिंह :-
बसपा नेता व गोरखपुर जिले में पिपरौली के पूर्व ब्लॉक प्रमुख और माफिया सुधीर सिंह पर दर्ज आपराधिक मामलों की एक लंबी लिस्ट है। हालांकि, वह जीत नहीं सका। उस पर हत्या के प्रयास, हत्या समेत 26 मुकदमे दर्ज हैं।
रिजवान जहीर:-
सपा नेता व पूर्व सांसद रिजवान जहीर बलरामपुर का रहने वाला है। यूपी पुलिस के अनुसार पूर्व सांसद रिजवान जहीर के ऊपर 14 मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें हत्या समेत गंभीर आरोप हैं।
दिलीप मिश्रा:-
बसपा व सपा का नेता रह चुका दिलीप मिश्रा एक बाहुबली और यूपी पुलिस की लिस्ट का टॉप माफिया रह चुका है। मौजूदा समय में फतेहगढ़ जेल में बंद है। उसने 12 जुलाई 2010 को प्रयागराज में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पर स्कूटी में छिपाकर रखे गए रिमोट बम से जानलेवा हमला किया गया था। दिलीप मिश्रा पूर्व में ब्लाक प्रमुख भी रह चुका है।
अनुपम दुबे:-
बसपा नेता अनुपम दुबे के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज हैं। सबसे पहले साल 1996 में कन्नौज के गुरसहायगंज कोतवाली प्रभारी रामनिवास यादव की ट्रेन में गोली मारकर हत्या करने के बाद वो चर्चाओं में आया था। अनुपम दुबे फिलहाल मैनपुरी की जिला जेल में बंद हैं। उस पर एनएसए समेत हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे 50 से ज्यादा मामले फर्रुखाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर में दर्ज हैं।
हाजी इकबाल:-
पूर्व एमएलसी व खनन माफिया व बाहुबली हाजी इकबाल उर्फ बाला सहारनपुर का रहने वाला है। वह लखीमपुर खीरी, गोरखपुर और सीतापुर की कई चीनी मिलों को खरीदने वाली कंपनी का डायरेक्टर भी है। हाजी इकबाल के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में कंपनी एक्ट के अलावा अन्य कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
बच्चू यादव:-
लखनऊ के कृष्णा नगर थाने अंतर्गत आज़ाद नगर का रहने वाला बच्चू यादव पहले गांजा बेचा करता था लेकिन देखते देखते रंगदारी व लूट समेत 25 मुकदमे दर्ज है. फिलहाल बच्चू फरार है.
जुगनू वालिया:-
माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी जुगनू वालिया लखनऊ के आलमबाग थाना अंतर्गत चंदन नगर का रहने वाला है. उसके खिलाफ एक दर्जन मुकदमे दर्ज है. फिलहाल जुगनू फरार है.
लल्लू यादव:-
लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र का रहने वाला लल्लू यादव अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह है. आपराधिक जीवन में लल्लू यादव हत्या, हत्या के प्रयास, अवैध कब्जा, गैंगस्टर और मारपीट के अलावां गुंडा ऐक्ट जैसे 12 मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज है. फिलहाल जेल में है।
वीरेंद्र प्रताप शाही:-
70-80 के दशक के माफिया डॉन वीरेंद्र प्रताप शाही की 1997 में लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आज भी शाही की फेसबुक डिस्प्ले तस्वीर में उनका बखान ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के तौर पर किया गया है और इसमें दहाड़ते हुए शेर की तस्वीर भी है। फेसबुक पर मृृत शाही की तरफ से उनके समर्थकों को विभिन्न त्योहारों पर बकायदा ‘बधाई’ दी जाती है। इसके अलावा उनके समर्थक उनकी बरसी पर डॉन को श्रद्धांजलि भी देते हैं। उसके समर्थक समय-समय पर लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि वही असली ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ थे।
पंडित हरि शंकर तिवारी:-
हरि शंकर तिवारी पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक भारतीय साहसी और राजनीतिज्ञ हैं । तिवारी जिले के चिल्लूपार गांव टांडा से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य थे । भारतीय राजनीतिक इतिहास में तिवारी जेल से चुनाव जीतने वाले पहले डरावने थे। चिल्लूपार से फिर गए , सालों तक विधान सभा के सदस्य रहे। तिवारी अपनी ब्राह्मण राजनीति के लिए जाने जाते हैं। गोरखपुर के आला अधिकारी 22 से अधिक रिमाइंडर दे चुके हैं, फिर भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। इनका नाम पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी है। इनके घर ‘तिवारी हाता’ पर पुलिस के छापे के बाद बैठाई गई जांच दो साल से अधिक समय से पेंडिंग है। दरअसल, मातहत पुलिस अधिकारी आरोपियों से बयान लेने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के महज एक माह बाद 22 अप्रैल 2017 को आनन-फानन की गई गोरखपुर पुलिस की यह कार्रवाई अब उसके ही हलक की फांस बन गई है।
राना कृष्ण किकर सिंह :-
बस्ती के राना कृष्ण किकर सिंह ने राजनीतिक सफर वर्ष 1977 में एपीएन कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष से की। इसके बाद वह प्रधान चुने गए। वर्ष 1983 और 1988 में बहादुरपुर के ब्लाक प्रमुख रहे। वर्ष 1989 और 1991 में कप्तानगंज विधान सभा सीट से निर्दल विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष भी बने। पिछले चुनाव में वह कप्तानगंज सीट से कांग्रेस से लड़े थे और हार गए। राणा कृष्ण किंकर सिंह और उनके सुपुत्र राणा नागेश प्रताप सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. अभी कुछ ही दिन पूर्व विधायक ने अपने समर्थकों के साथ बसपा का दामन थामा था लेकिन भाजपा की जनकल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर और प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों से प्रभावित होकर पूर्व विधायक राणा कृष्ण किंकर सिंह और नागेश प्रताप सिंह ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया.
बृजभूषण शरण सिंह :-
बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी से सोलहवीं लोक सभा के लिए कैसरगंज लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में संसद सदस्य हैं। वे अबतक छः बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं। वर्तमान में वे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं।
अन्यानेक नाम :-
अपराधियों की लिस्ट में इनके अलावा त्रिभुवन सिंह, खान मुबारक, सलीम, सोहराब, रुस्तम, बब्लू श्रीवास्तव, उमेश राय, कुंटू सिंह, सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी जीवा, मुनीर शामिल हैं । सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी जीवा, मुनीर, विकास दुबे आदि प्रमुख हैं। लखनऊ के गोसाईगंज जेल में बंद माफिया अतीक के बेटे उमर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा के अलावा अभिषेक सिंह उर्फ बाबू, एहशान गाजी, बिहार का अपराधी फिरदौस, राजू उर्फ तौहीद, सीएमओ हत्याकांड का आनंद प्रकाश तिवारी, राजेश तोमर, जावेद इकबाल और आसिफ इकबाल को लिस्टेड किया गया है। प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी संजय प्रताप सिंह उर्फ गुड्डू सिंह शराब माफिया है।देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह के खिलाफ फैजाबाद, गोंडा, सुलतानपुर, लखनऊ, बहराइच समेत कई जिलों में संगीन धाराओं में मुकदमे हैं. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव के रहने वाला राजन तिवारी कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी हुआ करता था. यूपी व बिहार में जरायम के दुनिया में राजन तिवारी का नाम टॉप पर अंकित है. राजन तिवारी बिहार में दो बार विधायक रह चुका है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त:-
कानपुर में दबिश के दौरान आठ पुलिस वालों की नृशंस हत्या के बाद माफियाओं,गुंडे-बदमाशों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त हो गए हैं। अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश में फिर से आपरेशन ‘ऑल क्लीन’ शुरू हो गया है। कई माफियाओं का अवैध साम्राज्य ढहा दिया गया है तो कई को पकड़ कर जेल भेज दिया गया है। साथ ही पुलिस की ऐसे माफियाओं के ऊपर भी नजर है जो जेल की सलाखों के पीछे भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश की जेलों में कई नामी माफिया डाॅन बंद हैं। इसमें से समय के साथ कुछ माफियाओं के तेवर ढीले पड़ गए हैं तो माफिया डाॅन अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, बबलू श्रीवास्तव, बृजेश सिंह, सुनील राठी, खान मुबारक, सुंदर भाटी, त्रिभुवन सिंह,धनंजय सिंह आदि आज भी अपने गुर्गो के माध्यम से रंगदारी, फिरौती, जमीन कब्जाने, खनन और सरकारी ठेके हथियाने आदि के धंधे में लगे हुए हैं। माफिया मोबाइल और सोशल नेटवर्क साइड से यह अपनी दहशत का साम्राज्य स्थापित रखते हैं। इतना ही बाहुबली से नेता बन चुके कुछ माफिया डाॅन सोशल नेटवर्क साइड के माध्यम से अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता और समर्थकों से न केवल जुड़े रहते हैं बल्कि पंचायत तक लगाते हैं।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।