क्या “खलिस्तानी” नाम पर इस्लामी पाकिस्तानी साजिशें समझ नहीं आती हैं ?
सिख पंथ जिसे हिन्दुओं को बांटने वालों ने जितना प्रहार किया, क्या “खलिस्तानी” नाम पर इस्लामी पाकिस्तानी साजिशें समझ नहीं आती हैं ? कहने में कोई संकोच नहीं है कि तथाकथित सेकुलर कांग्रेसियों और वामपंथियों का काम जिसे समझ नहीं आता है वो समझाने से नहीं समझने वाले लोग हैं। खलिस्तान के नाम पर पाकिस्तानी खेल खेलने वाले कौन हैं जो हिन्दुओं हिन्दुओं के साथ दंगे फसाद कर रहे हैं ? ये सिख नहीं हैं क्योंकि इन्होंने तो #श्रीगुरुग्रन्थसाहिब को पढ़ा ही नहीं है…
सिख धर्म कहें तो भी “श्रीगुरुग्रन्थसाहिब” में, जिसमें 1430 पृष्ठ हैं, क्या इस पवित्र ग्रंथ में आपने”रामभक्ति ” के स्वरूप का वर्णन नहीं पढ़ा है ? अगर आप भी श्रीगुरुग्रन्थसाहिब की कुछ पृष्ठों में श्रीगुरुओं द्वारा रामभक्ति के स्वरूप का संकलन हमें यह शिक्षा देता है कि श्रीराम सभी के लिए आराध्य देव हैं।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 218 —
श्रीगुरु अर्जुन देव जी महाराज ने लिखा —
हरि राम राम राम जप पूर्ण होईय कामा।
राम गोविंद जपेन्द्रिया होआ मुख पवित्र।
हरि जस सुनियै जिसते सोई भाई मित्र।।
श्रीगुरु अर्जुन देव जी महाराज की गुरु वाणी में-
राम रसायिणी जो जन गीधे
चरन कमल प्रेम भगती बीघे।
आन रस दीसहि सभि छाए
राम बिना निस्फल संसार।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 219 —
साधो रचना राम बनाई
इक बिनसे इक असथिरु मानै,
अचरजु लगाओ न जाई।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 315 —
राम राम रतन कोठड़ी गढ़ मंदर एक लुकानी ।
सतगुरु मिलै न खोजिए मिस ज्योति समानी।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 521 —
श्रीगुरु अमरदास जी की गुरुवाणी में —
राम रमह बड़भागी हो, जल थल मही अलि सोई।
नानक नाम आराधीये, विधन न लागै कोई।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 632 —
श्रीगुरु तेग बहादुर जी महाराज की वाणी —
मन रे काउन कुमति तै लीनी।
पर दारा निंदिया रसि रचयो
राम भगति नहिं कीनी।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 865 —
राम राम संगि करि विओहार
राम राम राम प्राणात आधार।
राम राम राम कीर्तन गायि
रमत राम सीता रहिउ समाई।।
संत जना मिलि बोलहु राम
सभते निर्मल पूर्ण करम।
राम राम धन संचि भंडार
राम राम राम करि आहार।।
राम राम बीसरि नहीं जाई
करि कृपा गुरु दिया बताई।
राम राम राम सदा सहाई
राम राम राम लिव लाई।।
राम राम जपि निर्मल भये
जनम जनम के किलविख गये।
रमत नाम जनम मरणु निवारै
उचरत राम मैं परि उतारै।।
सबसे ऊॅंच राम प्रगास
निसि बासुर जपि नानक दास।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 882 —
श्रीगुरु रामदासजी महाराज की वाणी —
रतना रतन पदारथ बहु सागर भरिया राम।
वाणी गुरुवाणी लागे तिनि हथि चढ़िया राम।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 988 —
सभै घट राम बोलै रामा बोले
राम बिना को बोलै रे ।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 1182 —
राम राम बोलि राम राम
त्यागहु मन के सगल काम।
जिसके धारे धरणि आकाश
घटि घटि जिसका है प्रकास।।
श्रीगुरुग्रन्थसाहिब पृष्ठ संख्या 1352 –
राम सिमर राम सिमर
इहै तेरे काजि है।
माया को संग तियाग
प्रभु जू की सरनि लाग।।
सरदार जसवीर सिंह