प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बीते रविवार अर्थात 2 अप्रैल को चेनानी नाशरी सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया। यह सुरंग 2519 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुई है। इस सुरंग की लंबाई 9 किलोमीटर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कश्मीर के युवाओं से आतंक का रास्ता छोडक़र राष्ट्र की मुख्यधारा में लौट आने की अपील भी की है। उन्होंने यह उचित ही कहा है कि पिछले 40 वर्ष के काल में आतंक के रास्ते पर चलकर कश्मीर के युवाओं को कुछ भी नहीं मिला है। यदि वे अब भी आतंक को छोडक़र देश की मुख्यधारा में आते हैं तो निश्चय ही यह उनके अपने और देश के भविष्य के लिए भी शुभ होगा।
इस सुरंग के हमें कई प्रकार के लाभ होंगे। जहां इसके बन जाने से जम्मू श्रीनगर के बीच की 32 किलोमीटर की दूरी कम हो गयी है और जम्मू से श्रीनगर जाने में अब लगभग दो घंटे का समय भी कम लगेगा, वहीं इससे अब हमारे वाहनों को कम ईंधन की भी आवश्यकता पड़ेगी। साथ ही जिस पहाड़ी घुमावदार रास्ते से अब तक वाहन जाते रहे हैं उस रास्ते पर खराब मौसम में सबसे अधिक रूकावट आती थी और हमारे वाहनों को उस रूकावट में फंसकर रह जाना पड़ता था। अब ऐसी समस्या से भी हमें मुक्ति मिलेगी। इसके अतिरिक्त चीन जैसा पड़ोसी देश जब हर क्षण हम पर और हमारी सीमाओं पर कुदृष्टि डाले बैठा हो तब हमें अपनी सामरिक दृष्टि से भी तैयारियां करनी चाहिएं और सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई असावधानी नहीं बरतनी चाहिए। अब जब कि चीन हमारी सीमाओं के निकट फटाफट सडक़ें बनाकर अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में लगा हो तब हमें भी अपनी सुरक्षा तैयारियों के प्रति तथा अपने देश के प्रत्येक भाग की सुरक्षा के प्रति गंभीर होना ही होगा। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का तकाजा यही है कि आप शांतिकाल में युद्घ के लिए तैयारी करें और युद्घ काल में शांति के लिए संघर्ष करें। जो देश शांतिकाल में अपनी तैयारियां नहीं कर पाते हैं और हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं उनकी इस असावधानी और प्रमाद का लाभ शत्रु देश उठाता है, और युद्घकाल में ऐसे प्रमादी राष्ट्र को शत्रु देश के हाथों पराजय का सामना करना पड़ जाता है। इसलिए यह सुरंग हमारे लिए आशाओं की सुरंग है जिसके नौ किमी पार जाते ही हमें आशाओं से भरी प्रात: का सूर्य देखने को मिलेगा।
इस सुरंग के साथ ही साथ एक अन्य 9 किलोमीटर लंबी सुरंग भी बनायी गयी है। आपातकाल में इस सुरंग से जाकर लोगों को बाहर निकाला जा सकता है। हमारे इंजीनियरों की और नेतृत्व की इस दूरगामी सोच के लिए भी उन्हें साधुवाद देना होगा। क्योंकि अक्सर जब आपातकाल में लोग कहीं फंस जाते हैं तो उस समय ऐसी सुरंग की आवश्यकता पड़ा करती है। यह सुरंग समुद्र तल से 12 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी है। इससे पाकिस्तान को भी हमारी वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग क्षेत्र में की जा रही उन्नति का आभास हो गया होगा, साथ ही उसे यह भी पता चल गया है कि उन्नति और विकास कहते किसे हैं? वह आतंकवाद की खेती करके करके कश्मीर की केसर की क्यारियों में जबरन बारूदी बदबू फैलाने का कार्य करता रहा है और इसी को इस्लामिक उन्नति का नाम देता रहा है। पर अब उसे पता चलेगा कि कश्मीर के युवा को आतंक की राह पर डालने से उसका भला नही होगा, अपितु उसे पर्यटन के मार्ग पर ले जाने से ही उसका भला होगा।
हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमारे कश्मीरी युवाओं को आतंक का रास्ता छोडक़र पर्यटन विकास में अपने उज्ज्वल भविष्य की संभावनाओं को खोजने के लिए उन्हें प्रेरित किया है। यह एक मजबूत और पूर्णत: सुरक्षित संदेश है, जिसे हमारे कश्मीरी युवाओं को समझना चाहिए। विकास का अभिप्राय अपना और पड़ोसियों का अहित करना या सदा विध्वंस की नीतियों पर कार्य करते रहना ही नहीं है। इसके अतिरिक्त विकास की योजनाओं के प्रति समर्पित होकर अपना और अपने पड़ोसियों का विकास करने पर ध्यान देना ही वास्तविक विकास है। जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं का आवाह्न किया है, यदि हमारे युवा हमारे प्रधानमंत्री के इस संदेश को समझ लेते हैं तो वह निश्चय ही आशाओं से भरी एक नई प्रात: को हमें दिखाने में सक्षम होंगे। हमें इस सुरंग के माध्यम से सचमुच आशाओं से भरी एक नई सुबह का ही आभास करना चाहिए।
”हर कदम उम्मीदों की
डगर को तय करता है
हारे पथिकों की भी
जय का निश्चय करता है।”
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।