एटमी हथियारों से मुक्ति का सपना
समय सिंह मीना
हाल ही में नाभिकीय हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए बाध्यकारी समझौते के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित बहुपक्षीय वार्ता जून–जुलाई २०१७ तक समझौते का प्रारूप विकसित कर लेने की उम्मीदों के साथ समाप्त हो गई। यह वार्ता संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति, जो कि नि:शस्त्रीकरण तथा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुटे विषयों को देखती है, के द्वारा पिछले वर्ष अक्तूबर माह में १२३–३८ के भारी बहुमत से स्वीकृत प्रस्ताव–एल ४१ की अगली की थी। दिसंबर २०१६ में महासभा ने भी यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। प्रस्ताव का मुख्य बिंदु यह था कि मार्च २०१७ तथा जून–जुलाई २०१७ में होने वाली वार्ता में नाभिकीय हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बाध्यकारी समझौते के निर्माण पर चर्चा की जाएगी, ताकि आगे चलकर इन हथियारों की पूर्णत: समाप्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके। जहां भारत, पाकिस्तान, चीन सहित कुल सोलह देशों ने इस प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया, वहीं प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में उत्तर कोरिया भी था।
इस पांच दिवसीय वार्ता में सौ से भी अधिक देशों ने भाग लिया और यह संदेश दिया कि आज विश्व के अधिकतर देश नाभिकीय हथियारों