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इसलाम और शाकाहार

स्त्री वेशधारी रसूल !!

अक्सर दे गया है कि कुछ अय्याश लोग अपनी वासना पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं .और यह बात मुहम्मद साहब के ऊपर पूरी तरह से लागु होती है .
क्योंकि वैसे तो वह औरतों को जहन्नम के लायक ,और सबसे निकृष्ट जीव मानकर उनको पुरुषों के मुकाबिले आधा अधिकार देने के हिमायती थे ,लेकिन जब उनकी पहली औरत खदीजा मर गयी ,और उन्होंने बिना किसी योग्यता के खुद को अल्लाह का रसूल , और सबसे महान व्यक्ति घोषित कर दिया तो ,तो उन्होंने अपने हरम में औरतें भरना शुरू कर दीं, और मरते समय तक उन्होंने चालीस से अधिक औरतों से सहवास किया था .जिनमे कुछ विधवाएं थीं ,कुछ खरीदी हुई , या पकड़ी हुई मजबूर औरतें थी .और कुछ ऐसी भी थीं जिनके पतियों की मुहम्मद साहब के हत्या करा दी थी .लेकिन मुहम्मद साहब अपनी सबसे छोटी पत्नी आयशा को अधिक चाहते थे .क्योंकि जब मुहमद साहब ने आयशा से शादी की थी तो आयशा की आयु केवल छः साल थी .और मुहम्मद साहब की आयु पचास साल से अधिक थी .मुहम्मद साहब आयशा के प्रति इतने आसक्त और कामांध हो गए थे कि वह उनसे जोभी कहती थी , वह तुरंत मान लेते थे .और मुहम्मद साहब इतने चतुर और चालक थे कि वह जोभी ऊंटपटांग हरकतें करते थे .कुरान की किसी न किसी आयत से उसे सही ठहरा देते थे .और उसे अल्लाह का हुक्म बता कर लोगों का मुंह बंद कर देते थे .और लोग डर या लालच के कारण उसे मान लेते थे .
मुसलमान मुहम्मद साहब की कितनी भी तारीफ करें , लेकिन हदीसों से पता चलता है कि वह अक्सर औरतों ( आयशा ) के कपडे पहिना करते थे . यानि कि वह एक “स्त्रैण ” या transvestile थे .जो एक मानसिक रोग है .यहाँ पर कुछ हदीसें और प्रमाण दिए जा रहे हैं .
1-पत्नियों की गुटबाजी
रसूल ने अपनी पत्नियों के दो दल बना रखे थे , एक में आयशा ,हफ्शा ,साफिया ,और सौदा थीं ,दुसरे में उम्मे सलमा का दल था . एक बार कुछ लोग रसूल को खुश करने के लिए आयशा के उपहार लेकर आये. तो उनको उमे सलमा ने रोक दिया .और बोली रसूल ने कहा है ,की आयशा को तंग नहीं करो . इस समय मैं आयशा के कपडे पहिने हुए हूँ .इस से मुझे प्रेरणा मिल रही है
“Do not annoy me regarding ‘A’isha, for inspiration has not come to me when I was in any WOMAN’S GARMENT but ‘A’isha’s.”
“”لا يزعجني بشأن عائشة، عن إلهام لم يأت لي عندما كنت في الملابس الجاهزة أي امرأة، لكنها” غير عائشة “.
Mishkat Al Masabih, Volume 2 Book 28- Fitan.Chapter 38, “The Fine Qualities of the Prophet’s Wives.”Hadith No.27
2-आयशा के वस्त्रों में कुरान की प्रेरणा
उम्मे सलमा ने लोगों से यही कहा था कि रसूल को कुरान की प्रेरणा सिर्फ आयशा के कपडे पहिन कर ही मिलती है . दूसरी औरत के कपडे पहिनने से नहीं .इसलिए आयशा के साथ मुझे परेशान नहीं करो
“Do not injure me regarding ‘A’isha. The revelation does not come to me when I am in the GARMENT of any woman except ‘A’isha.” ”

“لا تجرح لي فيما يتعلق عائشة. الوحي لا يأتي لي عندما أكون في الثوب من أي امرأة إلا عائشة ”

Bukhari Vol 4.Chapter 52. Book of Setting Free Hadith Number. 2442

3-रंगरेलियों से कुरान की प्रेरणा
अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल वहाब ने कहा कि उम्मे सलमा से रसूल के कहा था , हे उम्मे सलमा अल्लाह कि कसम ,जब तक मैं दूसरी औरतों छोड़ केवल आयशा के कपडे नहीं पहिन लेता , या उसके साथ लिहाफ में नहीं घुस जाता कुरान की आयतों की प्रेरणा नहीं मिलती .
by Allah, the inspiration did not descent on me while I was IN THE COVERINGS (lihaf) of any of you (women) except Aisha.

”والله، فعلت إلهام لا أصل لي بينما كنت في تبطين من أي واحد منكم (النساء) إلا عائشة “.

Sahih al-Bukhari-Volume 4.Title, “The Book of Virtues.”Chapter 52 .Title, “The Virtues of Aisha.”, Hadith Number .3941

इसके प्रमाण में यह विडियो देखिये Muhammad the Cross Dresser ( video)

http://www.youtube.com/watch?v=e_6d5QI_oLU

4-फातिमा ने रसूल लीला देख ली
सालीह बिन शिहाब ने कहा कि मुहमद इब्न अब्दुल रहमान ने कहा कि रसूल की पत्नियों ने जैनब बिन्त जहश ने रसूल की पुत्री फातिमा से कहा की वह रसूल के कमरे में आने की अनुमति मांगे. और जब फातिमा अन्दर गयी तो देखा . रसूल आयशा का ” امرأة मिर्त” ( पेटीकोट ) पहिन कर घूम रहे थे .और आयशा के साथ मस्ती कर रहे थे
he was with Aisha IN (fee) HER ROBE (Mirt) and in the same state that Fatimah found him in.”

Sahi Muslim-Book 31. Virtues of the Companions.Hadith Number.4472

5-कुरान से पुष्टि कर दी
जैसी कि मुहम्मद साहब की आदत थी , वह अपनी हरेक ऊल जलूल बात को कुरान की आयत से सही बता कर देते थे .वैसे की औरतों के कपडे पहिनने को सही बता दिया और कह दिया ,
.”तुम उनके वस्त्र पहिनो , और वह तुम्हारे वस्त्र पहिनें “सूरा -बकरा 2 :187
6-स्त्री वस्त्रों में बाहर निकले
मुहम्मद साहब केवल घर में ही आयशा के कपडे नहीं पहिनते थे बल्कि कभी कभी औरतों के कपडे पहिनकर मस्जिद भी चले जाते थे .यह इस हदीस से पता चलता है .
أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ جَمَعَ عَلَيْهِ ثِيَابَهُ ثُمَّ خَرَجَ إِلَى الصَّلَاةِ
रसूल ने पत्नी के कपडे पहने और नमाज पढ़ने के लिए निकले .
The Messenger of Allah (may peace be upon him) dressed himself, and then went out for prayer.
(Sahih Muslim,-Book 2 Hadith 538)
7-निर्लज्ज परिवार
दूसरों को पर्दा करने और बुरका का हुक्म देने वाले खुद मुहम्मद साहब और उनकी औरतें बिलकुल निर्लज्ज थीं , जो इन हदीसों से पता चलता है .
अबू सलमान बिन अब्दुर रहमान ने कहा कि एक समय मेरे साथ आयशा का दूध भाई भी था ,और आयशा ने नहाने के लिए एक बड़ा बर्तन मंगाया ,क्योंकि उसने रसूल के साथ सम्भोग किया था .फिर एक पतले से परदे की आड़ में आयशा और रसूल ने नग्न होकर नहाया .और रसूल के बल भी संवारे .
Sahih muslim Book 003, Number 0626:

अबू सलमाने कहा कि आयशा ने मुझे और अपने भाई को बुला कर एक बर्तन मंगवाया . जिसमे वह रसूल के साथ नहा सके . फिर आयशा और रसूल उस बर्तन में साथ ही नहाये . और दौनों ने एक दुसरे पर पानी डाला .उस समय हमारे बीच में जो पतला पर्दा था ,उस से सब दिखता था .
Sahih bukhari Volume 1, Book 5, Number 251

क्या कोई ऐसे निर्लज्ज व्यक्ति को आदर्श मान सकता है ?आप जितना भी इस्लामी किताबों अध्यन करेंगे आपको इस्लाम की असलियत पता होती चलेगी ,इसलिए मुस्लिम अपनी लड़कियों को पढ़ने की जगह रटने पर जोर देते है उनको डर होता है कि अगर लड़कियां अर्थ सहित कुरान और हदीसें पढेंगीं तो इस्लाम छोड़ देंगी

(200/43)
ब्रजनंदन शर्मा
( लेख में व्यक्त किए गए विचारों की उगता भारत पुष्टि नहीं करता)

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