शराबबंदी की मांग योगी सरकार के लिये बडी चुनौती
ब्रह्मानंद
राजपूत
उत्तर प्रदेश में नयी
सरकार बनने के
बाद से जिस
तरफ देखो उस
तरफ शराब की
बंदी के लिए
आवाज उठाई जा
रही है। यह
आवाज महिलाएं उठा
रही हैं। उत्तर
प्रदेश के लगभग
हर जिले में
शराबबंदी के पक्ष
में आवाज बुलंद
की जा रही
है और लगातार
प्रदर्शन हो रहे
हैं। जिस प्रकार
से उत्तर प्रदेश
में योगी सरकार
ने अपना कार्यकाल
संभालते ही निर्णय
लिए हैं, चाहें
अवैध भूचडख़ानों और
बिना लाइसेंस के
मीट की बिक्री
करने वालों पर
कार्यवाही हो, चाहें
एंटी रोमियो दस्ता
द्वारा मनचलों और छेडख़ानी
करने वालों पर
कार्यवाही हो या
कानून व्यवस्था से
जुड़े हुए अन्य
फैंसले, इन सबकी
समीक्षा खुद उत्तर
प्रदेश के नवनिर्वाचित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
कर रहे हैं।
इन सब चीजों
से उत्तर प्रदेश
की कानून व्यवस्था
में काफी सुधार
हुआ है। जिस
तरह से उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ आमजन
की भलाई के
लिए रोज नए–नए कदम
उठा रहे हैं,
इन सब चीजों
से आम लोगों
की योगी आदित्यनाथ
के नेतृत्व वाली
नयी सरकार से
काफी उम्मीदें बढ़
गई हैं। इसी
कड़ी में यूपी
में अब शराबबंदी
की भी मांग
जोर पकड़ रही
है। सबसे बड़ी
बात इस आंदोलन
का नेतृत्व खुद
महिलाएं कर रही
हैं, और शराब
बिक्री के विरोध
में लगातार प्रदर्शन
किये जा रहे
हैं। शराबबंदी की
मांग की बात
की जाए तो
यह मांग उत्तर
प्रदेश के हर
जिले से उठ
रही है।
उच्चतम न्यायलय ने 15 दिसंबर
2016 को स्टेट और नेशनल
हाइवे के किनारे
की शराब की
दुकानों को 01 अप्रैल 2017 तक
बंद करने आदेश
दिया था। इसके
साथ ही हाइवे
के किनारे के
होटलों में भी
शराब बिक्री पर
रोक लगाई थी।
उच्चतम न्यायलय ने अपने
आदेश में कहा
था कि नेशनल–स्टेट हाइवे के
किनारे शराब की
दुकानें नहीं होनी
चाहिए। उच्चतम न्यायलय ने
शराब की दुकानों
को हाइवे से
500 मीटर दूर करने
का आदेश दिया
था। कोर्ट के
आदेश में सरकारों
से नया लाइसेंस
जारी नहीं करने
और न ही
पुराने लाइसेंस को रिन्यू
करने का फरमान
सुनाया था। उच्चतम
न्यायलय ने लंबी
दूरी तय करने
वाले वाहनों चाहे
वो बस हो
या ट्रक उसके
ड्राइवरों के शराब
पीकर गाड़ी चलाने
के चलते होने
वाली सडक़ दुर्घटनाओं
के मद्देनजर यह
आदेश सुनाया था।
उच्चतम न्यायलय के इस
आदेश के बाद
शराब की दुकानें
राजमार्गों से उठकर
आबादी वाले इलाकों
में स्थानांतरित हो
रही हैं, कहा
जाए तो कुछ
दुकानें स्कूलों और मंदिरों
के पास भी
स्थानांतरित कर
दी गयीं। इन
सब बातों से
महिलाओं को शराब
बंदी के लिए
आगे आना पड़
रहा है। अगर
सरकारी नियमों की बात
की जाए तो
नियमों के मुताबिक
किसी स्कूल, कॉलेज,
अस्पताल या धार्मिक
स्थल से 100 मीटर
के दायरे में
शराब की दुकान
खोलने पर प्रतिबन्ध
है। लेकिन शराब
विक्रेताओं द्वारा लगातार इन
नियमों की अनदेखी
की जा रही
है। उत्तर प्रदेश
की पिछली सरकार
के समय इस
मामले में शराब
विक्रेताओं को शासन
और प्रशासन का
संरक्षण प्राप्त था। शराब
बंदी के पक्ष
में विरोध कर
रही महिलाओं को
उत्तर प्रदेश की
नई योगी सरकार
से उम्मीद है
कि वो इनकी
बात सुनेगी और
इस मामले में
कोई ठोस निर्णय
लेगी। क्योंकि शराब
से सबसे ज्यादा
परेशानी जिनको उठानी पड़ी
है वो महिलाएं
हैं। आबादी वाले
क्षेत्र में खुली
हुई शराब की
दुकानों से महिलाओं
और लड़कियों को
काफी मुश्किलों का
सामना करना पड़ता
है। जब भी
महिलाएं किसी काम
के लिए इन
शराब की दुकानों
के आगे से
गुजरती हैं, तो
शराब पीने वाले
मनचले उन पर
अश्लील फब्तियां कसते हैं
और छेडख़ानी जैसी
घटनाएं भी सामने
आती हैं। स्कूल
और कॉलेज के
पास खुली हुई
शराब की दुकानों
से लड़कियों को
स्कूल या कॉलेज
जाने में काफी
दिक्कतों का सामना
करना पड़ता है।
स्कूल और कॉलेज
के लिए आने
जाने में लड़कियों
को उन्ही ओछी
अश्लील फब्तियों और छेडख़ानी
जैसी समस्यायों का
सामना करना पड़ता
है। इसलिए ग्रामीण
इलाकों में स्कूल
और कॉलेज के
पास खुली शराब
की दुकानों की
वजह से माँ–बाप अपनी
बेटियों का स्कूल
और कॉलेज तक
में जाना बंद
करा देते हैं।
एक नजरिए से
देखा जाए तो
माँ–बाप का
यह कदम सही
भी है, कोई
भी माँ–बाप
अपनी बेटियों के
साथ छेडख़ानी और
बलात्कार जैसी घटनाएं
नहीं चाहता है।
इसलिए अब उत्तर
प्रदेश में योगी
सरकार को शराब
की दुकानों और
शराबियों की वजह
से महिलाओं व
स्कूल और कॉलेज
में जाने वाली
लड़कियों के लिए
बढ़ रही असुरक्षा
की भावना को
मद्देनजर रखते हुए
कोई निर्णय लेना
चाहिए। अगर बात
की जाए घरेलू
हिंसा की तो,
सबसे ज्यादा घरेलू
हिंसा का कारण
शराब बनती है।
इस घरेलू हिंसा
का सबसे ज्यादा
शिकार महिलाएं होती
हैं। शराबी पति
द्वारा पत्नी के साथ
मारपीट आम बात
हो गयी है।
इसका सबसे ज्यादा
नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर
पड़ता है। इसलिए
शरा�