उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तीव्रगति से लिये जाने वाले निर्णयों के कारण इस समय विशेष चर्चा में हैं। उन्होंने दिखा दिया है कि वह ‘सबसे अलग’ मुख्यमंत्री हैं। उनकी कार्यशैली राजनीति के उस कुसंस्कार से मुक्त है जिसे जो पिछली सरकारों ने प्रदेश में विकसित कर दिया था। यह कुसंस्कार सपा -बसपा की देन थी, जिसके अनुसार ये दल बाहर रहकर तो एक दूसरे को बहुत कोसते थे, पर जैसे ही कोई सा दल सत्ता में पहुंचता तो एक दूसरे के भ्रष्टाचार की जांच नही करता था। ”कहने का अभिप्राय है कि इन दोनों का दिखता हुआ तो गठबंधन नहीं था पर पर्दे के पीछे एक गठबंधन अवश्य था कि-तू मेरे पाप सार्वजनिक नहीं करना और मैं तेरे नहीं करूंगा। इस न्यूनतम सांझा कार्यक्रम पर इन पार्टियों की सरकारें चलती थीं।” अब योगी तो योगी ठहरे। उन्हें ऐसे किसी ‘न्यूनतम सांझा कार्यक्रम’ की कोई जानकारी नहीं है कि राजनीति में कोई ऐसा कार्यक्रम भी बनाया जा सकता है? उन्हें इस समय काम दिखायी दे रहा है और देशहित या जनहित दिख रहा है। उनकी अलौकिक प्रतिभा और नेतृत्वशक्ति को उनके विरोधियों ने सराहा है जो उनकी बढ़ती शक्ति और सर्वग्राह्यता का प्रतीक है।
हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का ध्यान प्रदेश की सडक़ों की ओर दिलाना चाहेंगे। जिनकी बड़ी ही दयनीय दशा है। इन सडक़ों में से संभवत: ऐसी कोई भी सडक़ नहीं होगी जो अतिक्रमण से मुक्त हो। मुख्यमंत्री ने सडक़ों के गड्ढे भरने की बात तो कही है और हमें आशा है कि उनका वह कार्य सही समय पर पूर्ण भी होगा पर सडक़ों को अतिक्रमण मुक्त कराने की कोई बात नहीं की है। मा. मुख्यमंत्री के लिए एक जीटी रोड का उदाहरण देना ही पर्याप्त है जो कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से लेकर पूरे प्रदेश भर में अतिक्रमण का शिकार है। इस सडक़ के दोनों ओर स्थान-स्थान पर यह चेतावनी भी लिखी है कि इस सडक़ पर अतिक्रमण करना ‘रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1945’ के अंतर्गत एक दण्डनीय अपराध है। पर यह केवल चेतावनी ही होकर रह गयी है। लोगों ने इसे ऐसे ले लिया है कि जैसे वे कुछ ना तो पढऩा जानते हैं और यदि वह सडक़ को अतिक्रमित करेंगे तो उनके विरूद्घ कोई कार्यवाही भी नही होने वाली। यही कारण है कि इस सडक़ को हर कस्बे में लोगों ने अतिक्रमित कर लिया है। शहर के बाहर भी होटलों, ढाबों और दूसरे काम करने वालों ने इसे कब्जाने में कोई कमी नही छोड़ी है।
ऐसे में मुख्यमंत्री से अपेक्षा है कि इस सडक़ को अतिक्रमण से मुक्त कराने हेतु 1945 के एक्ट के अंतर्गत निर्धारित की गयी इसकी चौड़ाई को यथाशीघ्र स्थल पर स्थापित कराने का कार्य करें। सडक़ों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का अर्थ होता है प्रदेश सरकार का या केन्द्र सरकार का अन्य सडक़ों के निर्माण पर व्यय होने वाला राजस्व बचा लेना। अभी तक सफेद पोश चोट सडक़ों के अतिक्रमण को रूकवाने के लिए आगे आते रहे हैं । जिससे प्रदेशभर की कानून व्यवस्था बिगड़ गयी है। हर कस्बे से निकलने वाली किसी भी सडक़ को ऊंची पहुंच वाले नेताओं और व्यापारियों ने ही अधिक अतिक्रमित किया है। इनमें से कई लोग किसी न किसी पार्टी के नेता भी होते हैं तो कई राज्य विधानसभा के या राज्य विधानपरिषद के या संसद के वर्तमान या पूर्व सदस्य होते हैं। इसलिए पुलिस इसके विरूद्घ कोई कार्यवाही करती है। कानून के निर्माता ही कानून को तोड़ते हैं और जनसाधारण का जीना हराम करते हैं। इन लोगों की देखा देखी अन्य लोग सडक़ों को कब्जाते हैं। जिससे सडक़ें संकीर्ण होती जाती हैं और एक समय आता है कि फिर सडक़ को अतिक्रमित करने वालों के सामने कानून अस्त्र फेंक देता है। तब हम देखते हैं कि शहरों के लिए बड़ी धनराशि व्यय करके एक नया बाईपास दे दिया जाता है। यदि हम सडक़ों को अतिक्रमण से मुक्त करने की ठान लें तो बाईपास पर व्यय होने वाली धनराशि को हम किसी अन्य विकास कार्य पर या किसान मजदूर की दशा सुधारने पर व्यय कर सकते हैं। कुछ मुट्ठी भर लोगों के व्यवहार से पूरे प्रदेश के लोगों पर प्रभाव पड़ता है। योगी जी को चाहिए कि सडक़ को कब्जा विहीन या अतिक्रमणमुक्त कराने हेतु एक राज्यस्तरीय अभियान चलाया जाए। इस अभियान को ग्राम्य स्तर तक भी ले जाया जाए। क्योंकि गांवों में भी लोगों ने स्थानीय सडक़ों को अतिक्रमित किया हुआ है। यदि सरकार हर सडक़ को अतिक्रमण मुक्त कराने में सफल हो जाती है तो प्रदेश के लगभग हर शहर या कस्बे में लगने वाले जामों से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही यातायात की व्यवस्था भी सुंदर हो सकती है।
प्रदेश के हर नगर, कस्बे व गांव में दुकानदारों को निर्देशित किया जाए कि वे अपनी दुकानें सडक़ों पर ना खोलें यदि खोलें तो उसके लिए एक दूरी निश्चित की जाए। जिससे कम से कम ऐसी दुकानें ना खोली जाएं। दुकानों के स्वामियों के द्वारा ही अधिक अतिक्रमण किया जाता है। हर दुकानदार से इस आशय का एक शपथपत्र लिया जाए कि उसने सडक़ पर कोई अतिक्रमण नही किया है और यदि कोई अतिक्रमण किया गया है तो उसे वह छोडऩे को तैयार है। इस शपथ पत्र में वह यह भी लिखे कि अतिक्रमण से मेरे द्वारा कब्जायी गयी भूमि को लेकर मैं किसी न्यायालय से कोई स्थगनादेश नही लाऊंगा। यदि योगी ऐसा करते हैं तो निश्चय ही प्रदेश की जनता को बड़ी सुखानुभूति होगी। कुछ मुट्ठी भर ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा अतिक्रमण करने से लोग जाम में फंसते हैं और अपने गांवों में कई-कई घंटे देर से पहुंचते हैं। कितनी ही बार उन लोगों की अपने शहर से गांव जाने वाली अंतिम बस या टे्रन भी छूट जाती है, तब उन्हें कहीं यूं ही रात व्यतीत करनी पड़ती है। कई बार ऐसे यात्रियों के साथ लूट, हत्या, बलात्कार तक की घटनाएं हो जाती हैं। शासन का अंतिम उद्देश्य प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक बनाये रखना होता है। योगी जी यदि मूल पर प्रहार करेंगे तो सारी व्यवस्था में सुधार होने लगेगा।