टीकमगढ़। ( अजय कुमार आर्य) भारत को समझो अभियान के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने यहां नगर भवन में आयोजित हिंदू इतिहास की गौरव गाथा और इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक क्यों ? विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास क्रूरता का नहीं वीरता का बनता है। हमारे देश के लोगों ने क्रूरता का सामना करने के लिए वीरता का प्रदर्शन किया। जिन्हे इतिहास से ओझल कर दिया गया। हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि संसार के लोगों को सर्व प्रथम महर्षि कणाद ने बताया था कि भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण अर्थात परमाणुओं के संघनन से होती है। हमारे ज्ञान विज्ञान की चोरी करने में पारंगत रहे पश्चिमी जगत के लोगों ने बाद में हमारे इस महान ऋषि का परमाणु संबंधी यह ज्ञान विज्ञान जॉन डाल्टन ( 6 सितंबर 1766 से 27 जुलाई 1844) के खाते में दर्ज कर दिया।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि हमारे राष्ट्रनिर्माता रामचंद्र जी महाराज ने 14 वर्ष की योजना वनवास के दौरान बनाई और संपूर्ण भूमंडल से राक्षसों का संहार करने में सफलता प्राप्त की । इसी प्रकार श्री कृष्ण जी ने अपने समय में राक्षसों का संहार करने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी। इसका कारण केवल एक था कि इस देश के मौलिक संस्कार और मौलिक संस्कृति में ही इस प्रकार के विचार अंतर्निहित रहे हैं कि राक्षसों का संहार करने में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं होता। डॉ आर्य ने कहा कि जब तेजस्वी राष्ट्र निर्माता आगे आते हैं तो भारत विश्व गुरु बनता है और जब समझौतावादी तुष्टीकरण की नीति अपनाने वाले लोग सत्ता में बैठते हैं तो राष्ट्र पिछड़ता है।
श्री आर्य ने कहा कि भारत में श्री कृष्ण जी और रामचंद्र जी को भगवान इसलिए माना जाता है कि उन्होंने राक्षसों के संहार में तनिक भी प्रमाद नहीं किया। इस देश ने उसी महान व्यक्तित्व को सर्वोपरि स्वीकार किया है जिसने अपने जीवन काल में राक्षसी व्रतियों का संहार किया हो, परंतु वर्तमान इतिहास राक्षसी वृत्तियों से संपन्न चोर, लुटेरे, बदमाश, आतंकवादी, अत्याचारी और बलात्कारी लोगों का वंदन करता है ।जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सभा में भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय संयोजक लखनलाल आर्य ने भारत को समझो अभियान समिति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम भारत के गौरवशाली इतिहास को दोबारा लिखकर जनता के सामने लाने के लिए कृत संकल्प है। राष्ट्रीय संरक्षक आर्य पुरुषोत्तम मुनि जी ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक विचार परंपरा से ही विश्व में शांति स्थापित हो सकती है इसलिए भारत को समझो अभियान का अंतिम उद्देश्य भारत की आध्यात्मिक ऋषि परंपरा को स्थापित करना है।
इस अवसर पर भाजपा के जिला अध्यक्ष अमित कुमार जैन नूना ने अपने ओजस्वी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के लिए अपने ऋषियों की वैदिक परंपरा को अपनाकर आगे बढ़ना ही समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास पुनर्स्थापित हो जिस से आने वाली पीढ़ी के भीतर गर्व और गौरव का बोध स्थापित करने में हमें सहायता प्राप्त हो सके। भारत की ऋषि परंपरा का गुणगान करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चाहे आध्यात्मिक क्षेत्र हो, चाहे भौतिक क्षेत्र हो ,चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो और चाहे बौद्धिक क्षेत्र हो, सभी क्षेत्रों में भारत ने विश्व का नेतृत्व किया है। इसीलिए भारत विश्व गुरु रहा है । आज भी भारत अपने यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अपनी नई और उत्कृष्ठ भूमिका के लिए तैयार है।
विश्व गुरु भारत के निर्माण में शानदार भूमिका निभा रहे भारत को समझो अभियान के मिशन और विजन की भी उन्होंने खुलकर प्रशंसा की।
मुन्नी लाल यादव पतंजलि किसान सेवा मध्य प्रदेश, डॉक्टर हरिशरण समरी सह राज्य प्रभारी पतंजलि योग समिति मध्य प्रदेश, अनिल कुमार सेन राज्य प्रभारी पतंजलि युवा भारत मध्य प्रदेश, संतोष कुमार ताम्रकार, महेश रावत, नारायणदास वर्मा जिला प्रभारी भारत स्वाभिमान ट्रस्ट टीकमगढ़, गौरीशंकर सेन मडावरा ,पंडित महेंद्र द्विवेदी अध्यक्ष पत्रकार कल्याण संगठन, किशोर पांडे अध्यक्ष किसान कांग्रेस , और धर्मेंद्र सिंह बुंदेला ने भी अपने विचार व्यक्त किए । सभी वक्ताओं ने मां भारती के गौरव और सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए संगठित होकर ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से नवजागरण का सूत्रपात करने और देश को बौध्दिक गुलामी से बाहर लाने के लिए संकल्प व्यक्त किया।
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय प्रणेता डॉ आर्य ने कहा कि आधुनिक संसार परमाणु बम के जनक के रूप में भी भारत की ओर न देखकर इस बम के तथाकथित आविष्कारक जे0 रॉबर्ट ओपेनहाईवर की ओर देखता है।
महर्षि कणाद परमाणु वाद के इतने दीवाने हो गए थे कि अपने अंतिम समय में भी उन्होंने पीलव:, पीलव:, पीलव: अर्थात परमाणु, परमाणु, परमाणु शब्द ही उच्चरित किए थे। इन शब्दों का अभिप्राय केवल एक ही था कि वह परमाणु में भी उस परमपिता परमेश्वर को सत्ता को समाहित देख रहे थे। जिसके कारण यह सारा जगत और ब्रह्मांड की सभी शक्तियां गतिमान हैं।
भास्कराचार्य जी ने “सिद्धांत शिरोमणि” के अतिरिक्त करणकुतूहल और वासनाभाष्य (सिद्धान्तशिरोमणि का भाष्य) तथा भास्कर व्यवहार और भास्कर विवाह पटल नामक दो छोटे ज्योतिष ग्रंथ भी लिखे हैं। उन्होंने सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी के लगने वाले समय की जानकारी सबसे पहले हमको दी थी इसके अलावा न्यूटन से पहले ग्रुप आकर्षण के नियमों की विवेचना भी हमारे इसी ऋषि ने की थी। ग्रहण और चंद्र ग्रहण के वैज्ञानिक कारणों की जानकारी देने वाले भी ऋषि भास्कर थे। डॉक्टर आर्य ने कहा कि वाराह्मीहिर भारत के एक महान गणितज्ञ थे जिन्होंने दिल्ली में वेधशाला के रूप में विशाल स्तंभ का निर्माण करवाया जिसे आजकल कुतुबमीनार कहते हैं। उन्होंने कहा कि
क्षेत्र में भी हमारे यहां धन्वंतरी चरक और सुश्रुत जैसे कितने ही वैज्ञानिक आचार्यों चिकित्सा शास्त्रियों की लंबी परंपरा है जिन्होंने मानव जीवन को स्वस्थ बनाए रखने के क्षेत्र में विशेष और उल्लेखनीय कार्य किया।
अवसर पर कॉलेज की प्राचार्य श्रीमती शीलम गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमको इतिहास की जिस बारीक जानकारी को आज प्रस्तुत किया गया है यह निश्चय ही आने वाली पीढ़ी के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन की सूचक है। इस प्रकार का पाठ्यक्रम विद्यालयों में यथाशीघ्र जारी किया जाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
श्रीमती शीतल बडोनिया बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम
श्रीमती शीतल बडोनिया बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ आर्य ने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि आज हमारे देश के सभी महान वैज्ञानिक ऋषियों के बारे में साहित्य में कुछ नहीं पढ़ाया जता और इतिहास से इन्हें निकाल कर बाहर फेंक दिया गया है । उसके पीछे तर्क दिया गया है कि ऋषि मुनियों का इतिहास से कोई संबंध नहीं होता इतिहास में केवल राजनीतिक हस्तियों की चर्चा होती है। इस प्रकार संवेदना शून्य चोर, उचक्के, डकैत और क्रूर लोगों के हाथों में हमारा वह इतिहास चला गया जिसे हमारे अत्यंत पवित्र हृदय वाले ऋषियों के चिंतन के आधार पर तैयार किया गया था।
इस अवसर पर डॉ आर्य ने कहा कि लाल किला कभी लाल कोट था जो कि दिल्ली के राजा अनंगपाल तंवर द्वारा 1060 ईस्वी में बनवाया गया था। ताजमहल कभी आमेर के राजा सवाई जय सिंह की संपत्ति हुआ करती थी। जिसकी साक्षी शाहजहांनामा में ही दी गई है। इसी प्रकार आगरा का लाल किला भी हिंदू निर्माण शैली का उत्कृष्ट नमूना है। जो कभी बादलगढ़ के नाम से जाना जाता था। डॉ आर्य ने तथ्यात्मक विवरण देते हुए कहा कि दिल्ली की कुतुबमीनार भी वाराह्मीहिर जैसे वैज्ञानिक ने अपने खगोल संबंधी शोध को संपन्न करने के लिए तैयार करवाई थी।
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज का कार्यक्रम
इससे पहले डॉ आर्य ने सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज महरौनी में बोलते हुए कहा कि शेरशाह सूरी को मारने वाले शूरवीर हिंदू की कहानी हमसे छुपा दी गई, अकबर द्वारा एक लाख हिंदुओं की लाशों को गिद्धों के लिए छोड़ देने की घटना को भी छुपा दिया गया, हेमचंद्र विक्रमादित्य के गौरवशाली कार्यों को भी इतिहास से ओझल कर दिया गया। उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति इस देश के लिए घातक रही ,यह तो बार-बार बताया गया पर कांग्रेस के द्वारा अपनी वर्धा स्कीम के माध्यम से जिस प्रकार स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीति को चूना लगाया गया वह नहीं बताया गया।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि 1857 की क्रांति के सूत्रधार महर्षि दयानंद थे। जिन्होंने इस क्षेत्र की मिट्टी से जन्मी रानी लक्ष्मीबाई और उनके अन्य क्रांतिकारियों को क्रांति के लिए प्रेरित किया था।
शीतल बड़ोनिया इंटर कॉलेज महरौनी, राजकीय कन्या इंटर कॉलेज महरौनी में आयोजित सभाओं में भी अपने विचार व्यक्त किए और महमूद गजनवी ,मोहम्मद गौरी, नादिरशाह, बलबन, अकबर, औरंगजेब आदि क्रूर सुल्तानों बादशाहों को इतिहास में अनुचित रूप से दिए जा रहे सम्मान को लेकर कहा कि हमारे उन वीर बलिदानी लोगों का इतिहास में स्थान सुरक्षित किया जाना चाहिए, जिन्होंने वीरता का प्रदर्शन करते हुए देश के सम्मान के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य प्रभारी जुगल किशोर व शिक्षक संतोष तिवारी, राम कुमार त्रिपाठी , श्री एस आर यादव रामबाबू पुरोहित द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए गए और भारत को समझो अभियान के साथ अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया गया।