भारत का वैभवपूर्ण इतिहास लेखन समय की आवश्यकता : डॉ राकेश कुमार आर्य
महरौनी (विशेष संवाददाता ) भारतवर्ष के सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं ‘भारत को समझो’ अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने ने यहां पर अलग-अलग स्थानों पर तीन सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का वैभवपूर्ण इतिहास लेखन समय की आवश्यकता है। डॉ आर्य ने
महरौनी ब्लाक में आयोजित की गई पहली सभा में डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर कहा कि डॉ अंबेडकर का स्पष्ट मत था कि भारत आर्यों का देश रहा है। उन्होंने संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा बनाने और भारतवर्ष का नाम हिंदुस्तान रखने की मांग भी की थी। परंतु उनकी बात को दरकिनार कर दिया गया।
सुप्रसिद्ध इतिहासकार श्री आर्य ने कहा कि भारतवर्ष के अनेक सम्राट ऐसे रहे हैं जिन्होंने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित कर संपूर्ण एशिया और यूरोप पर अपना शासन स्थापित किया । जिनमें महाराजा विक्रमादित्य का नाम अग्रगण्य है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्लाक प्रमुख चंद्रदीप रावत द्वारा की गई। जबकि एडीओ पंचायत पंकज कुमार शर्मा और उनके अतिरिक्त तुषार कटारिया, महेंद्र कुमार, इंद्रेश कुमार, राम सजीवन प्रजापति प्राचार्य, व श्री राम पटेरिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
मां गंगा देवी इंटर कॉलेज सोजना महरौनी ललितपुर में दूसरी सभा को संबोधित करते हुए डॉ आर्य ने कहा कि बंदा बैरागी, छत्रपति शिवाजी ,छत्रसाल, रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गाबाई ,महाराणा प्रताप, महाराणा संग्राम सिंह जैसे अनेक वीर वीरांगनाओं के बलिदानों के कारण हिंदुस्तान का अस्तित्व विश्व इतिहास में या विश्व मानचित्र पर आज स्थापित है हमें उनके साथ न्याय करना चाहिए और उनका इतिहास में सही स्थान सुरक्षित करने के लिए इतिहास को गौरवपूर्ण ढंग से दोबारा लिखना चाहिए। लुटेरे हत्यारे, बलात्कारी ,अपराधी किस्म के लोग इतिहास के नायक नहीं हो सकते । इतिहास के नायक वही होते हैं जो ऐसे लोगों का विरोध करते हैं।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित ब्रजकिशोर चाचौदिया द्वारा की गई। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता पंडित सुनील वैद्य, छोटे लाल मिश्रा ,प्रताप नारायण चाचौदिया, संदीप जैन सहित कई गणमान्य विद्वान लोगों ने अपने विचार व्यक्त कर डॉक्टर आर्य के भारत को समझो अभियान को अपना समर्थन देने की घोषणा की।
जीवन शिल्प इंटर कॉलेज में आज की अपनी अंतिम और तीसरी बैठक में इसी विषय पर अपने विचार रखते हुए डॉ आर्य ने कहा कि विश्व गुरु भारत ने संसार को जीना सिखाया और जब बाहरी देशों के लोगों ने भारत पर आक्रमण करने आरंभ किए तो इसे मिटाने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी। यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि जिन लोगों ने इस देश पर आक्रमण किए उन्हीं के आक्रमणों को बढ़ा चढ़ाकर और महिमामंडित करके दिखाया जा रहा है। जबकि हमारे अनेक वीर वीरांगनाओं को उपेक्षित कर दिया गया है । जिन्होंने इन विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमणों का जमकर प्रतिरोध किया था रोकने बड़े-बड़े बलिदान दिए थे। बहुत सावधानी से हमें अपने इतिहास नायकों के साथ न्याय करते हुए उनका इतिहास में समुचित स्थान स्थापित करना है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भारतवर्ष में आकर जबरन देश के कुछ भाग पर थोड़े समय के लिए अपने साम्राज्य स्थापित किए आज उनका गुणगान इतिहास में होता है परंतु अपने चक्रवर्ती सम्राटों की उपेक्षा कर दी गई है जिन्होंने भारत का नाम फैलाया था।
ब्लॉक प्रमुख श्री चंद्रदीप रावत ने अपने भाषण में कहा कि इतिहास के साथ अन्याय करते हुए जिन लोगों ने हमारे महान वीरों को इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया उन्होंने राष्ट्र के साथ सबसे बड़ा पाप किया है। इस अवसर पर भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय संयोजक कर्मयोगी लखनलाल आर्य ने कहा भारत के क्रांतिकारियों और महान वीरों को उनका उचित स्थान प्रदान करना उनके संगठन का प्रमुख करी है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संरक्षक आर्य पुरुषोत्तम मुनि ने कहा कि आर्य संस्कृति विश्व की सबसे जिसकी स्थापना करना समय की आवश्यकता है क्योंकि मानवता की पोषक कोई संस्कृति है तो वह केवल वैदिक संस्कृति है।
जीवन शिल्प इंटर कॉलेज में कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित श्री बाबूलाल द्विवेदी द्वारा की गई। जबकि प्राचार्य श्री मनोज पुष्पकार ,श्री हरिचरण जी नामदेव ,भूपेंद्र सिंह गहरवार, डॉ आशीष रावत (जिला पंचायत सदस्य) साहबेंद्र सिंह, अरुण प्रकाश द्विवेदी द्वारा भी विचार व्यक्त किए गए। ओम प्रकाश दुबे व आदिति आर्य ने भी अपनी बाल प्रस्तुति प्रदान कर सबका मन जीत लिया।