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भारतीय संस्कृति

कल्की अवतार* भाग 1

(कल्की अवतार समाज में फैलाया -महाझूट और भ्रमजाल)
लेखक का उद्देश्य–देश और हिंदू धर्म की रक्षा एकता, और अखण्डता के लिए हिंदू धर्म में आए पाखंड अंधविश्वास को उजागर करना,कर्म के प्रोत्साहन देना ,अवतारवाद ही हिंदू धर्म के पतन का कारण

Dr D K Garg
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प्रचलित कहावत/मान्यताएं :
काफी दिन से रोजाना मेरे व्हाट्सप ग्रुप में कुछ सज्जन “जय श्री कल्कि भगवान् की जय ” नियमित रूप से पोस्ट डालते थे , सुरु में मेरे कुछ समझ नहीं आया ,लेकिन बाद में पता चला की उनको किसी कथावाचक ने ये बताया है की कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्की अवतार प्रकट होगा। वो भी उत्तर प्रदेश में पैदा होगा । उस गांव का नाम भी बता दिया है। इस बात को पुख्ता करने के लिए पुराण का सहारा लिया है की श्रीमद्भागवतमहापुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्की अवतार की कथा विस्तार से दी गई है जिसमें यह कहा गया है कि “चंदौली ग्राम में शयामलाल नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान का जन्म होगा। वह देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल (तलवार) से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा।”
चंदौली ग्रामः मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्की प्रादुर्भाविष्यति।
प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण का अवतार भी अपने-अपने युगों के अंत में हुआ था। इसलिए जब कलयुग का अंत निकट आ जायेगा तब भगवान कल्की जन्म लेंगे। ये कल्की भगवान विष्णु के दसवें अवतार और विष्णु का भावी या अंतिम अवतार माना गया है।
और ये भी मान्यता है कि जब भगवान कल्की देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तब सतयुग का प्रारंभ होगा। अब इन लोगों का कमाल देखिये कि इन्होने अपनी एक पुराण भी बना ली है जिसका नाम है कल्की पुराण।
विश्लेषण :
1 ईश्वर के अवतार लेने का भ्रम को पुराणों में और कथावचको ने किस तरह से फैलाया है ,कल्कि नाम की उपज इसी का एक जीता जागता उदाहरण है।लगता है इस प्रकार की उम्मीद करने वालो ने अत्तीत के इतिहास से कुछ नहीं सीखा।
सोमनाथ का मंदिर इसी मूर्खता के कारण गजनवी ने लूटा और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे की भगवान स्वयं प्रकट हो जायेंगे और इन मुगलों को मार डालेंगे। इसी निकम्मेपन के कारण शत्रु के संहार के लिए और आत्म रक्षा हेतु हथियार नहीं उठाए ,और लूट लिए गए।परिणामस्वरूप आज एक भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है और हिन्दू भी धीरे धीरे समाप्त हो गया है। इस्लामिक आतंकवादियों से परिचित है जिनके आतंक का कहर दिल दहला देने वाला है कोई हिन्दू को बचाने नही आया ,जो हिन्दू बच गए है वो हाथ पे हाथ धरे बैठे हैं और मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं शायद ,सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नही।
इनमे कुछ लीला वाले भाई भी है , हमेशा वे यहीं कहेंगे कि ईश्वर की लीला होगी एक दिन। भाई लोगों जिस समय मुगल हमारे मंदिर तोड रहे थे, हमारी मॉ बहनों के चीरहरण किया जा रहा था, लाखो लोग काटे जा रहे थे तब कहाँ था आपका अवतारी ईश्वर?
लीला वाले प्रभु को अफगानिस्तान , बांग्लादेश ,पाकिस्तान भेज दो जहां अब मंदिर नहीं रहे ,माँ बहनो की इज्जत लूटी जा रही है ,सरे आम हाथ पैर काट दिए जा रहे है।
2 देखिये बंधु कल्क अवतार पूर्णत झूठी असत्य व अवैदिक धारणा है। कल्कि अवतार के चक्कर मे आप ईरान से गुजरात तक सिमट गये आस्ट्रेलिया से आप पश्चिम बंगाल तक सिमट गये।और शेष भारत मे भी कश्मीर से, बंगाल से, केरल से, आपका भागना जारी है। जिस समय कश्मीरी पंडित भगाये जा रहे थे,
मुसलमान बनाए गए तब ये कल्कि भगवान नदारद था।भागते रहिये दौडते रहिये। हो सकता है कल्कि आ जाये। लेकिन याद रखिये न तो आपको मारने के लिये कोई ईश्वरीय स्वरूप प्रकट होगा और न ही बचाने के लिये। क्योंकि ईश्वर अपने इस रचे खेल मे फिक्सिंग नही करता।

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