धरती पर जितने भी मत पंथ हैं, सब की अपनी अपनी पुस्तकें भी हैं जिसे धर्म पुस्तक के नाम से कहा जाता है, किसी का कुरान है, किसीका बाईबिल है, किसीका पूराण है , किसी का त्रिपिटक है, किसी का जिन्दावेस्ता है, किसी का तौरैत है, किसी का जाबुर है, किसी का इन्जील है आदि आदि नाम बताया गया |
यानि जिनते ने भी मत पंथ है सब के पास कोई ना कोई पुस्तक बताया जाता है जिसे वह अमल करते हैं |
खूबी की बात यह भी है की इन सभी पुस्तकों को धर्म पुस्तक के नाम से पुकारा जाता है, और सबने यह भी बताया की यह सब ईशवाणी है अर्थात परमात्मा का दिया ज्ञान है |
जब मैंने इन सब का पड़ताल किया, सब को देखने के बाद पताचला इन सब का ईश्वरीय ज्ञान का होना क्यों और कैसे संभव हैं यह तर्क के कसौटी पर खरा नहीं उतरता है ? ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या है, ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या होना चाहिए मुख्य रूपसे सभी बातों की जानकारी होना या करना जरूरी है |
मूल रूप से ईश्वरीय ज्ञान मनुष्य मात्र को उपदेश के लिये होना चाहिए, जो किसी एक व्यक्ति को संवोधित नही करती हो | किसी मुल्क वालों के लिये उपदेश ना हो, किसी वर्ग विशेष की चर्चा जिसमें ना हो, किसी की वंशावली ना हो, किसी व्यक्ति विशेष का नाम न हो, जिसमें किस्सा कहानी की गूंजायश ना हो | आदि सृष्टि से हो, मनुष्य मात्र के भाषा में हो, सृष्टि नियम के विरुद्ध ना हो, विज्ञान विरुद्ध भी ना हो यही सब ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी है | यही कसौटी अथवा प्रमाण किसी भी, किताब में नहीं है जिसे कुरान कहा गया, जिसे ईशग्रन्थ बताया गया | अथवा यह कसौटी बाईबिल में अथवा अन्य किसी भी मजहबी पुस्तकों में मिलना संभव नहीं है | जिसे लोग धर्म पुस्तक बताते हैं या बताये गये हैं | किसी भी धर्म पुस्तक में यह कसौटी नहीं है एक वेद को छोड़ कर |
प्रमाण के तौर पर देखें, कुरान की जो आयतें हैं प्रथम यानि सबसे पहले जो आयात अल्लाह ने जिब्राइल नामी पैगम्बर द्वारा अपने हबीब प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद के पास भेजी उसमें क्या बताया गया उसे इस तर्क के कसौटी पर देखें स्पष्ट यही दिखेंगे एक व्यक्ति को उपदेश दिया है अल्लाह ने | जैसा =
اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ [٩٦:١]
(ऐ रसूल) अपने परवरदिगार का नाम लेकर पढ़ो जिसने हर (चीज़ को) पैदा किया | सूरा 96 का 1-
خَلَقَ الْإِنسَانَ مِنْ عَلَقٍ [٩٦:٢]
उस ने इन्सान को जमे हुए ख़ून से पैदा किया पढ़ो | आयत 2
اقْرَأْ وَرَبُّكَ الْأَكْرَمُ [٩٦:٣]
और तुम्हारा परवरदिगार बड़ा क़रीम है | आयत 3
الَّذِي عَلَّمَ بِالْقَلَمِ [٩٦:٤]
जिसने क़लम के ज़रिए तालीम दी | आयत 4
عَلَّمَ الْإِنسَانَ مَا لَمْ يَعْلَمْ [٩٦:٥]
उसीने इन्सान को वह बातें बतायीं जिनको वह कुछ जानता ही न था | आयत 5
सबसे पहले अल्लाह ने अपने फ़रिश्ता जिबरील को यही 5 आयात दे कर भेजा अपने पैगम्बर हज़रत मुहम्मद {स} के पास गारे हिरा नामी पहाड़ के गुफा में जहाँ हजरत मुहम्मद सहा बैठ कर ध्यान लगते थे |
पहली आयात में जिब्राइल ने कहा हजरत मुहम्मद से >(ऐ रसूल) अपने परवरदिगार का नाम लेकर पढ़ो जिसने हर (चीज़ को) पैदा किया |
विचारणीय बात यह है की यहाँ एक व्यक्ति को कहा जा रा है, की तुम पढ़ो, फिर यह कहना या मानना की यह किताब या यह आयात मानव मात्र का उपदेश है क्यों कर सिद्ध होगा ?
फिर बताया की उसने इन्सान को जमे हुए खून से पैदा किया | अब सवाल पैदा होता है अल्लाह का जो सबसे पहला पैगम्बर हजरत आदम नाम बताया है अल्लाह ने उसे बनाने में अल्लाह को जमा खून कहाँ मिला ? जिसके बनाया अल्लाह ने खन,खानाती मिट्टी से बताया गया | अब ईश्वरीय ज्ञान में परस्पर विरोधी बातें होना सम्भव नहीं | जैसा उपर देखा अल्लाह ने कहा जमे हुए खून से इन्सान को बनाया | अब यहाँ देखें >
وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ
और बेशक हम ही ने आदमी को ख़मीर (गुंधी) दी हुईसड़ी मिट्टी से जो (सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा किया | सूरा 15 =का 26
وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي خَالِقٌ بَشَرًا مِّن صَلْصَالٍ مِّنْ حَمَإٍ مَّسْنُونٍ [١٥:٢٨]
और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने फरिश्तों से कहा कि मैं एक आदमी को खमीर दी हुई मिट्टी से (जो सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा करने वाला हूँ | सूरा 15 का 28
وَالَّتِي أَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِيهَا مِن رُّوحِنَا وَجَعَلْنَاهَا وَابْنَهَا آيَةً لِّلْعَالَمِينَ [٢١:٩١]
और (ऐ रसूल) उस बीबी को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया | सूरा 21 का 91
यहं इन्सान हजरत ईसा को बनाया ईसा माता मरियम के पेट में फूंक मार कर बनाया ईसा नमी इन्सान को | आगे और देखें >يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُم مِّن نَّفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالًا كَثِيرًا وَنِسَاءً ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي تَسَاءَلُونَ بِهِ وَالْأَرْحَامَ ۚ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيبًا [٤:١]
ऐ लोगों अपने पालने वाले से डरो जिसने तुम सबको (सिर्फ) एक शख्स से पैदा किया और (वह इस तरह कि पहले) उनकी बाकी मिट्टी से उनकी बीवी (हव्वा) को पैदा किया और (सिर्फ़) उन्हीं दो (मियॉ बीवी) से बहुत से मर्द और औरतें दुनिया में फैला दिये और उस ख़ुदा से डरो जिसके वसीले से आपस में एक दूसरे से सवाल करते हो और क़तए रहम से भी डरो बेशक ख़ुदा तुम्हारी देखभाल करने वाला है | सूरा 4 का 1 =
इस प्रकार कुरान में और भी बातें है जो परस्पर विरोधी हैं एक जगह कुछ बोला गया तो दूसरी जगह उसका विपरीत बताया गे है | डॉ० जाकिर नाईक की एक पुस्तक है कुरान ही ईश्वरीय ज्ञान है उसी का यह जवाब जो मैं लिख रहा हूँ आप लोगों को नमूना दे रहा हूँ यह कुछ पेज |
उपर दर्शाए गये सभी प्रमाण सिर्फ और सिर्फ वेद में ही है, उपर लिखे गये किसी भी पुस्तक में यह प्रमाण मिलना संभव नही है | इसका मूल कारण है यह सभी पुस्तकें किसी न किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ा है | जैसा तौरैत जुड़ा है एक पैगम्बर मूसा से | जबूर, जुड़ा है, हजरत,दाउद से, इन्जील जुड़ा है हजरत ईसा से, कुरान जुड़ा है हजरत मुहम्मद से | और त्रिपिटक जुड़ा है बुद्ध से, बिज्जक जुड़ा है कबीर से, गुरुग्रंथ जुड़ा है , नानक देव जी से |
वेद जुड़ा है मनुष्य मात्र से, वेद में किसी व्यक्ति के लिये उपदेश नही है सम्पूर्ण मानव मात्र के लिये उपदेश है किसी व्यक्ति से संपर्क और संवंध नही है सिर्फ मानव मात्र के लिये उपदेश है जैसा वेद में क्या उपदेश है देखें |
श्रमेण तपसा सृष्टा ब्रह्मणा वित्तऋते श्रिता | सत्येनावृता श्रिया प्रावृता यशसा परीवृता |
अथर्व =का० 12,अनु,5,म,1 व 2 =
{सत्येनावृता }सब मनुष्य प्रत्यक्षादी प्रमाणों से सत्य की परीक्षा करके सत्य के आचरण से युक्त हों | {श्रीयाप्रविता } हे मनुष्यों | तुम शुभ गुणों से प्रकाशित होक चक्रवर्तीराज्य आदि ऐश्वरीय को सिद्ध करके अतिश्रेष्ट लक्ष्मी से युक्त होके शोभारूप श्री को सिद्ध करके उसको चारों ओर शोभित हों | { यशसा परी० } सब मनुष्यों को उत्तम गुणों का ग्रहण करके सत्य के आचरण और यश अर्थात उत्तम कीर्ति से युक्त होना चाहिए |
नोट :- दुनिया वालों जरा विचार करें वेद जो परमात्मा का दिया ज्ञान है, जो मनुष्य मात्र को सिर्फ और सिर्फ उपदेश दिया है अपने आप को श्रेष्ट बनाव श्रेष्टता को प्राप्त करो लक्ष्मी भी कमाने में श्रेष्टता को ध्यान में रखो अपने जीवन में किसी भी प्रकार का मानवता के खिलाफ कुछ भी कार्य ना होने पाए आदि |
यह है ईश्वरीय उपदेश जो मानव मात्र के लिये है, यह ज्ञान पहले है, कारण ज्ञान के बगैर मनुष्य का आचरण संभव नही है | ज्ञान पहले कैसे है जैसा सन्तान के जन्म एने से पहले उसका खुराक माँ के स्तन में का आजाना यह है ज्ञान |
इसी कसौटी को मैं कुरान के साथ मिलाता हूँ > पिछले दिनों में डॉ० असलम कासमी ने मेरे लेख पर आपत्ति जताते हुए लिखा था महेन्द्रपाल जी आपने कुरान की सहने नुजूल पर ध्यान न देकर आपत्ति उठाई है, कुरान में गैर मुस्लिमों से दोस्ती न रखने की जो बातें हैं अथवा गैर मुस्लिमों से लड़ने की जो बातें है | उसका सहने नुजूल यह है की जब मक्का के काफ़िर लोग मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे थे तो उसी समय अल्लाह नेड यह आयात नाजिल फरमाई { उतारा }
जवाब में मैंने उन्हें लिखा अगर जरूरत पड़ने पर अल्लाह को आयात उतारनी पड़े मतलब अल्लाह को पहले से परिस्थिति के बारे में जानकारी नही है की यह हो सकता है फिर वह अल्लाह सर्वज्ञ क्यों और कैसा हो सकता है आज उस आयात की जरूरत नही लारण आज के दिन अरब से मुसलमानों को कोई घर से नही निकाल रहा है तो आज इस आयात की आवश्यकता समाप्त है ? फिर अल्लाह ज्ञानी क्यों और कैसे हो पाएंगे ?
सम्पूर्ण कुरान में 6,6,66 = आयतें हैं यह सभी आयात जरूरत होने पर उतारी गयी मैंने डॉ० जाकिर नाईक को 2004 में जब उन्हों ने मुम्खे अपना कार्यक्रम का निमंत्रण दिया था 2004 के 1 जनवरी में | उन्हें मैंने कई सवाल लिखा था ऋषिसिद्धान्त रक्षक पत्रिका के सम्पादकीय लेख मार्च के अंक में, फिर उसे मैं अपनी पुस्तक मस्जिद से यज्ञशाला की ओर में लिखा है | उनदिनों मुस्लिम समाज को छोड़ डॉ० जाकिर नाईक को कोई नही जानता था | आर्य समाजियों ने उसका नाम उस समय सुना भी नहो था जब मैंने उसे सवाल लिख कर भेजा था |
हजरत मुहम्मद साहब एक बार परिवार और अपने लश्करों के साथ कहीं से कहीं जा रहे थे काफिले में हुज़ूरे अकरम की कमसिन तीसरी नम्बर वाली पत्नी हजरत आयशा भी थीं | आयशा को रफाय हाज़त के लिये जंगल जाना पड़ा सारे लोग आगे निकल गये, पीछे एक सहाबी नियुक्त थे, कोई सामान गिरजाने पर उसे उठा लाना | उहें सामान की जगह हजरत आयशा मिली, बेचारे ने अपनी सवारी में बिठाकर काफिले में पहुंचा तो लोग उनके और हजरत आयशा के चरित्र पर शक करने लगे, यहाँ तक की हजरत मुहम्मद साहब भी आएश पर शक किया अब अल्लाह ने यह आयत उतारी कुरान के सूरा नूर =आयत 6 को जो इस आयत की सहने नुजूल है ध्यान से दुनिया वाले देखें पढ़ें और समझें ईश्वरीय ज्ञान क्या और कैसा है कुरान |
अल्लाह ने साफ कहा जो लोग अपने ज़ोरुओं पर शक करते हैं उन्हें 4 गवाही पेश करनी चाहिए | अगर कोई गवाही ना मिले तो वह व्यक्ति एकला ही चार बार अल्लाह के नाम का कसम खा कर कहें तो अलबत्ता उसे सच मान लिया जायेगा |
अब देखें शाने नुजूल क्या है आयात उतरती है घटना घटने के बाद | इसी कुरान को लोग कला मुल्ला कहते हैं जहाँ नबी की पत्नी बद चलन है अता नही इसके लिये रास्ता अल्लाह को ही बताना पड़ रहा है | इस से मानव मात्र का क्या सम्वन्ध और भला हो रहा है और मानव मात्र को क्या ज्ञान मिल रहा है दुइय के लोग जरा विचार करें क्या है ईश्वरीय ज्ञान ?
महेंद्रपाल आर्य = वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =25 /2 /18 = को ,लिखा था