अजान यानी दंगाफसाद का प्लान

इस लेख को पढ़ने से पहले पाठक पहले इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि मुसलमान हमेशा दंगा फसाद करने का कोई न कोई बहाना निकलते रहते हैं , जैसे रस्ते पर नमाज , दूसरो की भूमि पर मजार बना देना इत्यादि , यह चाहते है कि सरकार हमेशा उलझी रहे और हमेशा अशांति बनी रहे ,क्योंकि ,
कुरान में साफ़ लिखा है , हे ईमान वालो तुम अपने आसपास रहने वाले गैर मुस्लिमों से हमेशा लड़ते रहो , ताकि उनको तुम्हारी शक्ति का अनुभव हो जाए ” सूरा तौबा 9 :123
इसी प्लान के अनुसार कुछ दिन पहले से मुसलमानों ने बड़े शहरों में जगह जगह माइक लगाकर अजान देना शुरू कर दिया ताकि कर्कश आवाज से परेशांन होकर वहां के लोग जगह छोड़ कर भाग जाएँ , जैसे कश्मीर के लोग भागे थे , इस घटना को देख पुणे निवासी हिन्दू महासभा के अध्यक्ष श्री उमाकांत केंधे और कुछ और लोगों ने कल हमसे अजान के बारे में जानकारी और इस परेशानी से बचने का उपाय पूछा है
1-अजान का अर्थ क्या है ?
मुसलमान अरबी शब्द “अजान – اذان ” का अर्थ बुलाना , पुकारना या हिंदी में आह्वान ( Call ) करते है , वास्तव में यह अरबी शब्द ” उ ज् न -اُذن ” से बना है ,जिसका अर्थ ” कान – EAR ” है , इस तरह से अजान का आशय जोर से चिल्ला कर लोगों के कानों में अपनी बात या आवाज भेजना है ,हिंदी में इसे ” टेरना ” कहते हैं ,जब कोई दूर होता है तो उसे अपनी बात सुनाने के लिए गलाफाड़ कर चिल्लाना पड़ता है ,इसे ही टेरना या अजान कह सकते हैं
2-अजान की जरुरत क्यों पड़ी ?
पूरी कुरान में न तो अजान का उल्लेख है और न ही अजान में चिल्लाये जाने वाले वाक्य है , इनका अविष्कार मुहम्मद ने लोगों की सलाह से किया था , यह बात इन हदीसों से पता चलती है ,
“इब्ने उमर ने कहा जब मदीना में मुस्लिम इबादत के लिए जमा हुए तो नमाज के समय का अंदाज करते थे ,क्योंकि उस समय अजान देना कोई नहीं जानता था ,,नमाज समय पर कैसे पढ़ी जा सके इसके लिए लोगो से सुझाव लिए गए , कुछ लोगों ने कहा कि ईसाई लोगों की तरह घंटा बजा कर सूचित किया जाए , कुछ लोगों ने कहा कि यहूदियों की तरह ” सींग ( ) बजा कर लोगों को बताया जाये ,लेकिन उमर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति किसी ऊँची जगह खड़े होकर बुलंद आवाज में चिल्ला कर लोगों नमाज की सूचना दिया करे ,तब रसूल ने बिलाल को खड़े होकर अजान के शब्द जोर से बोलने को कहा .
Bukhari -Volume 1, Book 11, Number 578:
ध्यान करने की बात है कि सुन्नी और शिया की अजान में अलग वाक्य हैं , और इस्माइली मुस्लिम अजान नहीं देते और न मस्जिद जाते हैं
3-अजान पर पाबंदी
आपको यह जान कर विश्वास नहीं होगा कि तुर्की एकमात्र ऐसा इस्लामी देश है जिसने अरबी में कुरान पढ़ना और अजान देने पर पाबन्दी लगा दी थी , आधुनिक तुर्की की स्थापना करने वाले शासक मुस्तफा क़माल अतातुर्क ने सन 1932 में अरबी में अजान देने पर कड़ी पाबन्दी लगा दी थी , और लोगों से अरबी की जगह तुर्की भाषा में कुरान पड़ने और अजान देने का आदेश दिया था , और सन 1941 में एक कानून भी बना दिया था जो भी अरबी में अजान बोलेगा उसे तीन महीने का कारावास और 300 तुर्की लीरा का जुरमाना भरना होगा
“, in 1941, a new law was issued, with which people who chanted the Adhan in Arabic could be imprisoned until for up to 3 months and be fined with up to 300 Turkish Lira
.”\तुर्की में यह कानून 16 फरवरी 1950 तक चलता रहा यानि हमारे जन्म के एक साल बाद यह कानून उठा दिया गया”
4- तुर्की में सुधार
अतातुर्क ने जो सुधार किये उन में कुछ महत्वपूर्ण सुधार इस प्रकार हैं ,
1 -पहले तुर्की भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती थी , अतातुर्क ने उसे रोमन लिपि में कर दिया , जैसे अंगरेजी और फ्रांसीसी लिपि में है .
2 – कुरान का जब तुर्की भाषा में अनुवाद किया गया तो कुरान में ईश्वर के लिए जहाँ जहाँ अल्लाह शब्द आया है , उसकी जगह तुर्की भाषा में ईश्वर ( God ) के लिए प्रयुक्त शब्द ” Tanrı “छपने का आदेश दे दिया .
3 -अजान तुर्की भाषा में बोलने का आदेश दिया , और जब मुल्लों ने विरोध किया तो अतातुर्क ने कहा कि जब अजान का ुउदेश्य लोगों को नमाज के लिए बुलाना है , तो लोगों को उसी भाषा में बुलाना चाहिए जो लोग समझते हों , हमारी भाषा तो तुर्की है हमें अरबी से क्या मतलब ?
5 -अजान के शब्द भी बदल दिए
इसके नमूने देखिये
अरबी में “अल्लाहो अकबर ” तुर्की में “Tanrı büyüktür
अतातुर्क के ज़माने में हालत ऐसी थी कि तुर्की के मुस्लिम भी अल्लाह शब्द सुनना भी पसंद नहीं करते थे , जैसे अजान में अरबी मे बोलै जाता था , ”
“अशहदू अ न ला इलाहा इलला अल्लाह ” तो अल्लाह शब्द छोड़ कर तुर्की में बोला जाता था
“TekTanrıbaşka ilah olmadığına şehadet ederim.”
6-अजान पर पाबन्दी लगाने वाले देश
दुनियां में कई देश हैं जहाँ मुस्लिम रहते हैं लेकिन वहां अजान देने पर सख्त पाबन्दी है . और अजान देना अपराध माना जाता है वहां मुसलमानों की दादागिरी नहीं चलती , क्योंकि वहां सेकुलर सरकार नहीं है , इन देशों के नाम है , 1-Netherlands,2- Germany,3- Switzerland, 4-France, t5-he UK,6- Austria,7- Norway, and8- Belgium.
Some cities have independently banned or restricted the use of loudspeakers by mosques, including 9Lagos,10 Nigeria, and some communities in the11- US state of Michigan.
मुसलमानों की दादागिरी समाप्त करने का सटीक उपाय
संस्कृत का नीति श्लोक है
” अग्नि शेषे , रोग शेषे ,शत्रु शेषे तथैव च , पुनः पुनः वर्धयन्ते तस्मात् समूल विनाशयते ,
अर्थात -आग रोग और शत्रु यदि थोड़े भी रह जाये तो बार बार बढ़ते है , इसलिए इनका जड़ से नाश कर देना चाहिए। और इसका एक ही उपाय है कि संविधान से सेकुलर शब्द को हटा दिया जाये , देखना उसी दिन से दंगे ,फसाद , आतंक , गरीबी ,बेरोजगारी और अशिक्षा समाप्त हो जाएगी क्योकी सबका मूल मुस्लमान हैं
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ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं जिनसे उगता भारत का सहमत होना आवश्यक नहीं)

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