भूमिगत लैंड माइंस व दम्भोली वज्र यन्त्र

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आर्य सागर खारी🖋️

4 अप्रैल को विश्व लैंडमाइन जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया के 60 से अधिक देशों ने अपने देश की सीमा व सामरिक स्थलो पर 1 अरब से अधिक लैंड माइन बिछा रखी है। लैंडमाइंस सैन्य मानव रोधी व एंटी टैंक रोधी भूमिगत विस्फोटक प्रणाली या Bomb होता है। इसके विकास व प्रयोग का इतिहास बहुत प्राचीन है। महर्षि भारद्वाज के द्वारा निर्मित ‘ यंत्र सर्वस्व’ नामक विशाल युद्धक यंत्र व विमान निर्माण से जुड़े हुए ग्रंथ में भी इसका प्राचीनतम सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है। अपने ग्रंथ में महर्षि भारद्वाज ने ‘दम्भोली वज्र’ नामक यंत्र का वर्णन किया है जिसकी सहायता से शत्रु द्वारा भूमि में दबाए विस्फोटको को निष्क्रिय कर दिया जाता है। महर्षि भारद्वाज ने अपने इसी ग्रंथ के वैमानिक प्रकरण में एक ऐसे विमान के निर्माण विधि का भी उलेख किया है जिसके द्वारा शत्रु विमानों द्वारा किए गए आक्रमण को ध्वनि तरंगों से उलट दिया जाए।

वैदिक काल के युद्धक यंत्रो के निर्माण की तकनीक विज्ञान 90 फ़ीसदी से अधिक लुप्त हो चुका है। आधुनिक डिफेंस वेपन टेक्नोलॉजी अभी तक उस तक पहुंच नहीं पायी है।

4 अप्रैल को लैण्ड माइंस के विरुद्ध ‘इंटरनेशनल कैम्पेन बेन टू लैंडमाइंस'( ISBL) नामक अंतरराष्ट्रीय संगठन जागरूकता की दृष्टि से बड़े पैमाने पर मनाता है।

प्रायः शत्रु सैनिकों मिलिटेंट के पास लैंड माइन्स को भापने की पूरी तकनीक होती है लेकिन आज भी पूरी दुनिया में 25,000 से अधिक निर्दोष सिविलियन मनुष्य और जंगली जानवरों की गणना करें तो लाखों में आंकड़ा बैठता है लैंड माइन्स के कारण दर्दनाक मौत या अपंगता का शिकार होते हैं अक्सर सीमावर्ती जंगली क्षेत्रों पहाड़ों में लैंडमाइन में विस्फोट हो जाता है। स्थानीय वनवासी निवासी इनकी चपेट मे आकर हादसो में अपनी जान गंवा देते हैं । बच्चे भी लेंस माइंस का अक्सर शिकार होते हैं खेलते हुए।

आर्य सागर खारी ✍

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