बांग्लादेश से हो रही मुस्लिमों की घुसपैठ पर जब पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने यहां जाकर उनके कान ऐंठ दिये हैं, इसलिए तब से चुप है। साम्यवादियों को अंधे की भांति दो नैनों के रूप में मुस्लिम मतों की भूख रही है। इनके समक्ष उनके लिए राष्ट्रहित गौण है। यही स्थिति कांग्रेस की है। मुस्लिम हित संरक्षण राष्ट्र हितों की बलि देकर भी हो सकता है सो उसे किया जाए। यही साम्यवादियों का अपनी बैशाखी का मूल्य है। यही कांग्रेस और साम्यवादियों का न्यूनतम साझा कार्यक्रम है और यही दोनों का साझा मिशन है।
संविधान में संशोधन हो
संविधान ने इस आशय का यह राष्ट्र प्रावधान और व्यवस्था हो कि यदि एक दल स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं कर पा रहा है तो क्या स्थिति होगी। उन परिस्थितियों में दलों का राष्ट्र के प्रति क्या उत्तरदायित्व होगा? जब तक यह प्रावधान संविधान में नही आएगा तब तक जो भी गठबंधन सरकारों के विषय में, उनकी कार्यनीति के विषय में और उनके स्थायित्व एवं वैधानिकता अथवा अवैधानिकता के विषय में हमारा संविधान मौन है। उसका मौन रहना क्या माना जाएगा?
बहुमत दल के नेता का प्रधानमंत्री बन जाना और यह बहुमत कहीं से भी कैसे भी जुटा लिया जाए इस विषय में यह तर्क बलहीन है। सब बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री होगा इतना प्रावधान सारी गठबंधनों कुव्यवस्था को संवैधानिक का जामा पहनाना के लिए पर्याप्त नहीं है। गठबंधन सरकारों की कार्यनीति, व्यवस्था, उत्तरदायित्व, एक दल का दूसरे दल के प्रति आचरण एवं कत्र्तव्य भी स्पष्टत: संविधान से उल्लखित होना चाहिए। इस क्षेत्र में व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। कुछ सुझाव है यथा :-
राष्ट्रपति महोदय जिस दल से सरकार को समर्थन देने का पत्र प्राप्त करें, उसके लिए अनिवार्य हो कि वह फिर पूरे कार्यकाल तक समर्थन वापस नहीं ले सकेगा। समर्थक दल को ऐसे माना जाएगा कि मानों वह मूल दल (समर्थित दल) के साथ विलयित हो गया है।
(लेखक की पुस्तक ‘वर्तमान भारत में भयानक राजनीतिक षडय़ंत्र : दोषी कौन?’ से)
पुस्तक प्राप्ति का स्थान-अमर स्वामी प्रकाशन 1058 विवेकानंद नगर गाजियाबाद मो. 9910336715