ग्रेटर नोएडा। ( विशेष संवाददाता) यहां ग्राम तिलपता करनवास में स्थित यज्ञशाला में दिनांक 22 मार्च से आरंभ होकर 26 मार्च तक सामवेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया गया। नव वर्ष वैदिक सृष्टि संवत के अवसर पर आयोजित इस यज्ञ में 23 मार्च को विशेष रूप से शहीद भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के बलिदान दिवस के अवसर पर बलिदानियों को भी विनम्र श्रद्धांजलि दी गई।
यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य विद्या देव ने इस अवसर पर कहा कि भारत आर्यों की बलिदानी परंपरा के आधार पर ही आजाद हुआ। जब महर्षि दयानंद जी महाराज ने देश को उसकी वास्तविकता से परिचित करा कर आर्यत्व को स्थापित किया तो अनेक बलिदानी निकलकर देश सेवा के लिए सामने आए।
उन्होंने कहा कि वेद का स्वराज्य चिंतन राष्ट्र जागरण और सांस्कृतिक जागरण का महत्वपूर्ण कारण बना । यज्ञ की परंपरा भी हमें स्वाधीन और आत्मावलंबी बनाने के काम आती है। इसमें त्याग की भावना है और जिसके भीतर यह गुण होते हैं वह व्यक्ति यज्ञ की भावना से प्रेरित होकर राष्ट्र निर्माण के लिए आगे आता है।
बलिदानों के बलिदान पर बोलते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत अपने उन बलिदानियों का ऋणी है जिन्होंने अपना सर्वस्व मातृभूमि के लिए समर्पित किया। उन्होंने सरदार भगत सिंह और उनके चाचा सरदार अजीत सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो लोग आज खालिस्तान के नाम पर देश को बांटना चाहते हैं उन्हें सरदार भगत सिंह और उनके चाचा के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता और स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया।
भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री बलबीर सिंह आर्य ने इस अवसर पर कहा कि भारत यज्ञों का देश है । ऋषि और कृषि के चिंतन के बिना देश की प्रगति असंभव है। इसलिए वेदों का यज्ञ करना पर्यावरण को शुद्ध रखने की गारंटी है। अतः हम सबको मिलकर अपने ऋषियों की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए। आचार्य दुष्यंत ने वेदों की ऋचाओं की व्याख्या करते हुए राष्ट्र जागरण और आत्म जागरण के लिए युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें वैदिक संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि यज्ञ की संस्कृति से पर्यावरण संतुलन बनाने में सहायता मिलती है इसके अतिरिक्त सभी प्राणियों को स्वस्थ रहने का अनुकूल परिवेश उपलब्ध होता है।
इस अवसर पर देव मुनि जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत वर्ष को ही नहीं बल्कि सारी दुनिया को जगाने का काम आर्य समाज ने किया है। धर्म की वास्तविक परिभाषा आर्य समाज ने संसार को समझा कर नैतिकता और मानवता के साथ बांधने का प्रशंसनीय कार्य किया है।
रविंद्र आर्य ने कहा कि हमारे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरित होकर अपने बलिदान दिए। 18 57 की क्रांति में महर्षि दयानंद जी, स्वामी विरजानंद जी और स्वामी ओमानंद जी जैसे विराट व्यक्तित्व के स्वामी महापुरुषों ने क्रांति का बिगुल फूंकने का काम किया था। इन्हीं के तप त्याग और तपस्या से देश में आर्य समाज की इमारत खड़ी हुई। वरिष्ठ समाजसेवी और विभिन्न सम्मानों से सम्मानित अध्यापक बालचंद नागर ने कहा कि जिस देश में बलिदानों की परंपरा समाप्त हो जाती है, यज्ञ की संस्कृति नष्ट हो जाती है, वह देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। भारत के पतन का कारण यही था कि यहां पर यज्ञ की संस्कृति को कुठाराघात हो गया था। जैसे महर्षि दयानंद ने आकर फिर से पुनर्जीवित किया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ समाजसेवी श्री महावीर सिंह आर्य द्वारा किया गया। इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री सुनील भाटी, जिलाध्यक्ष विजय भाटी, हरेंद्र नागर सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए श्री सुखबीर सिंह आर्य ने बताया कि इस अवसर पर अनेक प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया और इस बात का संकल्प लिया गया कि भारतीयता को आगे बढ़ाने के लिए यज्ञ की परंपरा को और भी अधिक बलवती करना है।
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