महर्षि दयानन्द सरस्वती थे स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य प्रणेता : वेद प्रकाश शर्मा
ललितपुर। ( विशेष संवाददाता) महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज एवं ‘भारत को समझो’ अभियान समिति महरौनी के तत्वावधान में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी सम्वत 2080 के पावन अवसर पर आर्य समाज के150 वें स्थापना दिवस और स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती के 100 वें बलिदान दिवस तथा महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सामाजिक,राष्ट्रीय एवम दार्शनिक चिंतन विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन स्थानीय कम्पनी बाग ललितपुर में मध्य प्रदेश योग आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी के मुख्य आतिथ्य एवं पतंजलि योग समिति मध्य प्रदेश की राज्य प्रभारी डॉ पुष्पांजलि शर्मा, इंजीनियर हाकिम सिंह लोधी,वासुदेव बुंदेलखंड सेवा संस्थान, इंजीनियर संदीप तिवारी,डॉक्टर दीपक चौबे जिलाध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ बीजेपी,रघुवीर सिंह बुंदेला शिक्षक के विशिष्ट आतिथ्य एवम मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ की अध्यक्षता एवं राष्ट्रीय संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य के संचालन में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश योग आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा सेवानिवृत्त आईपीएस पुलिस अधिकारी ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों की लौटो का आवाहन करके सत्य सनातन वैदिक धर्म के सही मर्म को हम सभी को बताया। महर्षि दयानंद जी महाराज ने देश में स्वतंत्रता की अलख जगाई। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह समझा कि वेदों की संस्कृति की रक्षा तब तक संभव नहीं है जब तक देश स्वाधीन ना हो। अपने इसी उद्देश्य और मंतव्य को सामने रखकर उन्होंने जहां सांस्कृतिक जागरण का कार्य किया वही राष्ट्र के युवाओं को राजनीतिक रूप से भी झकझोरने का प्रशंसनीय और अभिनंदनीय कार्य किया। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द के सपनों का भारत बनाकर ही भारत वास्तविक अर्थों में विश्व गुरु बन सकता है।
पतंजलि मध्य प्रदेश की अध्यक्ष डॉक्टर पुष्पांजलि ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती सनातन धर्म संस्कृति के सबसे बड़े रक्षक हैं। क्योंकि महर्षि दयानंद ने सबसे पहले वेदों के नाम पर हो रहे पाखंड का विरोध किया और भारत की वास्तविक सनातन संस्कृति के स्थापन के लिए अनेक विधर्मियों से संघर्ष और शास्त्रार्थ कर भारत को भारती की आत्मा अर्थात वेदों की संस्कृति से परिचित कराया।
इंजीनियर हाकिम सिंह राजपूत ने कहा कि आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य संसार का उपकार करना अर्थात शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना है ।
डॉक्टर दीपक चौबे (जिलाध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ बीजेपी ) ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना व सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है , कहकर सभी को वेद पढ़ने का अधिकार दिया। महर्षि दयानंद के इस कार्य से 23 मई सांस्कृतिक जागरण की बयार चल पड़ी।
इंजीनियर संदीप तिवारी, वासुदेव,रघुवीर सिंह बुंदेला शिक्षक ने कहा आर्य समाज के सिद्धांत सार्वभौमिक,सर्वकालिक हैं।
आयोजन को सफल बनाने में मुकेश साहू एड,इंदर सिंह पटेल शिक्षक,संध्या वर्मा शिक्षिका,साधना सिंह शिक्षिका,सुमन लता सेन आर्या शिक्षिका,माधव सिंह राजपूत लागोंन, डॉ पूरन सिंह निरंजन,लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा,अरविंद सोनी,दीपक सेन एड. जखौरा,राजेश साहू, खुशिलाल सेन,बलराम सेन एड.,उदय भान लोधी शिक्षक, प्रताप नारायण पाल शिक्षक,सत्येंद्र जैन शिक्षक,नीरज सेन,रामकिशोर विश्वकर्मा शिक्षक,बाल कृष्ण राजपूत सिलगन,कृष्णकांत साहू,मनोज झा, श्रीमन अहिरवार शिक्षक,सरदार मंजीत सलूजा पत्रकार,देवेंद्र सेन,सरोज सिंह संग्रह अमीन,राकेश कुमार शर्मा एड,चक्रेश सेन,मोनू सेन,,दीप सेन,संचालन राष्ट्रीय संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम पतंजलि जिला प्रभारी मुकेश साहू एड ने जताया।
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