देश में आपातकाल लगाने वाला परिवार ही आज उपदेश दे रहा है
जिन्होंने देश में आपातकाल लगाया, उस परिवार के वारिस लोकतंत्र बचाने की बात कर रहे हैं
सुमित राठौर
मजेदार बात यह है कि लोकतंत्र की रक्षा की बात गांधी खानदान के वे वारिस कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को कई बार कुचलने का काम किया। इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं तो कुछ धब्बे ऐसे दिखाई देते हैं जिन्हें वे चाह कर भी मिटा नहीं सकते।
जिस पार्टी ने देश पर लगभग 55 वर्षों तक शासन किया हो, यदि उनके नेता को लोकतंत्र खतरे में नजर आता है तो आप इसे क्या कहेंगे? क्या आप किसी एक ऐसे नेता का नाम बता सकते हैं जिन्होंने विदेश से भारत आकर अपने देश की बुराई की हो या फिर वहां के लोकतंत्र का मजाक बनाया हो? लेकिन भारत के नेता विदेश पहुंचकर यहां की बुराई करते हुए अक्सर देखे जाते हैं। ताजा मामला राहुल गांधी से जुड़ा हुआ है। लंदन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया जो विश्व भर में भारत की छवि को धूमिल करने में काफी है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने अमेरिका और यूरोप से भारत में दखल देने की भी बात कही।
पेगासस सॉफ्टवेयर, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, पनामा पेपर्स और ग्रेटा थनबर्ग का किसान आंदोलन का सपोर्ट करना, ऐसे कई मामले देश की राजनीति में हलचल मचा चुके हैं। राहुल गांधी द्वारा विदेशी धरती पर दिए गए इस बयान के कारण भारत में संसद का कामकाज ठप हो गया। एक ओर जहां सत्ता पक्ष राहुल गांधी से उनके इस बयान के लिए माफी की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष अडाणी और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर हंगामा मचाए हुए है। मजेदार बात यह है कि लोकतंत्र की रक्षा की बात गांधी खानदान के वे वारिस कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को कई बार कुचलने का काम किया। इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं तो कुछ धब्बे ऐसे दिखाई देते हैं जिन्हें वे चाह कर भी मिटा नहीं सकते।
आपातकाल का धब्बा
राहुल गांधी की दादी जी यानी श्रीमती इंदिरा गांधी जी जब प्रधानमंत्री थीं, तब वे छोटे रहे होंगे। इसलिए उन्हें आज याद दिलाना जरूरी है कि उनकी दादी ने दादागिरी करके इस देश पर 21 महीने आपातकाल लगाकर लोगों को जेल में ठूंस दिया था। 25 जून 1975 का वह काला दिन कौन भूल सकता है, जब लोकतंत्र को कैद कर लिया गया था। कांग्रेस पार्टी के जो युवराज लोकतंत्र बचाने की बात कर रहे हैं उन्हें यह भी याद दिलाना जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने लगभग 90 बार धारा 356 का दुरुपयोग किया और अकेले इंदिरा गांधी ने 50 बार चुनी हुई सरकार गिराईं।
सिखों का कत्लेआम
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में दिल्ली में हजारों सिखों का कत्लेआम होता है तो राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी बयान देते हैं कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। उनकी पार्टी के नेता सैम पित्रोदा निर्ल्लजतापूर्ण बयान देते हैं कि- 1984 ‘हुआ तो हुआ’। सिख भाई-बंधु आज भी न्याय की मांग कर रहे हैं। क्या राहुल गांधी इस बात का जवाब देंगे कि हजारों सिखों की हत्या करके उनकी पार्टी के नेताओं ने किस लोकतंत्र की रक्षा की थी।
लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे गौरक्षकों पर गोलियां चलवाईं
1966 में इंदिरा गांधी ने करपात्रीजी महाराज से आशीर्वाद लिया और यह वादा किया कि चुनाव जीतने के बाद सारे कत्लखाने बंद कर दिए जाएंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे अपने वादे से मुकर गईं। इसके बाद करपात्रीजी महाराज एवं अन्य साधु संतों के नेतृत्व में गौरक्षकों ने 7 नवंबर 1966 को संसद भवन के सामने धरना दिया। इसी बीच जब आर्य समाज के स्वामी रामेश्वरानन्द जी ने अपने भाषण में कहा कि यह सरकार बहरी है। यह गोहत्या को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाएगी। इसे झकझोरना होगा। सभी संसद के अंदर घुस जाओ और सारे सांसदों को खींच-खींचकर बाहर ले आओ। जब इंदिरा गांधी को यह सूचना मिली तो उन्होंने निहत्थे करपात्रीजी महाराज और संतों पर गोली चलाने के आदेश दिए।
प्रधानमंत्री पद की गरिमा को तार-तार किया
राहुल गांधी को यह वाकया याद होगा जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को तार-तार किया था। मामला वर्ष 2013 का है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने के खिलाफ फैसला दिया था। इस फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए यूपीए सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। उस समय डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को फाड़ कर फेंक दिया था और कहा था कि यह ‘पूरी तरह बकवास है। उन्हें उस वक्त लोकतंत्र बचाने की चिंता नहीं रही होगी। इसके विपरीत उन्होंने अपनी इस हरकत से प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को ही चिंता में डाल दिया था।
भारत तोड़ने वालों का सहयोग
राहुल गांधी को भारत के लोकतंत्र को बचाने की इतनी ही चिंता है तो वे ऐसे लोगों का साथ क्यों देते हैं जो भारत को तोड़ने की बात करते हैं? उनकी भारत जोड़ो यात्रा में एक मुख्य किरदार वह कन्हैया कुमार भी रहा जो टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य है। उनकी यात्रा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं तब राहुल गांधी क्यों कुछ नहीं बोलते? राजीव गांधी फाउंडेशन उस चीन से चंदा क्यों लेता है जो आज हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है? इधर हमारे सैनिक चीन से मुकाबला कर रहे होते हैं, उधर राहुल गांधी चीनी दूतावास में जाकर किस देश के लोकतंत्र को बचाने की बात करते हैं।
आज जो भारत की साख पूरे विश्व में बन रही है, वह बहुत सारे लोगों को हजम नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां दुनियाभर के लोकप्रिय नेताओं में प्रथम स्थान पर हैं, वहां लोकतंत्र खतरे में है, जैसी बातें करना खुद ऐसे आरोप लगाने वाले नेता की छवि के ग्राफ को कम करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हमें हमारे संविधान, हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व है। भारत का लोकतंत्र न सिर्फ अच्छा है बल्कि हमारा देश लोकतंत्र की जननी है। देश आज भी लोकतंत्र को मजबूती देते हुए आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस पार्टी जिस तरीके से इतिहास में लोकतंत्र की रक्षा करते आई है अगर वैसा लोकतंत्र राहुल गांधी देखना चाहते हैं तो, वह फिलहाल तो संभव होता दिखाई नहीं देता।
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