आज हमे सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। परन्तु उन पर चुप्पी है
16वीं शताब्दी के महान इतालवी खगोलशास्त्री, जिन्होंने ये बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है. गैलीलियो की बात रोमन चर्च और पदरियों को नागवार गुजरी. उसकी वजह भी थी. बाइबिल में तो लिखा था कि पृथ्वी ही अंतरिक्ष का केंद्र है और सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. गौलीलियो जो कह रहे थे, वो अगर सच है तो इसका अर्थ था कि बाइबिल में झूठ लिखा है. पोप और पादरी जनता को जो बताते हैं, वो झूठ है.
चर्च ने गैलीलियो को बंदी बना लिया. गैलीलियो के सामने चर्च ने एक शर्त रखी. अगर वो सार्वजनिक रूप से चर्च और ईश्वर की नाफरमानी करने के लिए माफी मांग ले तो उसे आजाद किया जा सकता है. वरना बाकियों की तरह उसे मृत्युदंड दिया जाएगा.
गैलीलियो ब्रूनो का हश्र जानते थे. आखिरकार उन्होंने माफी मांगने का फैसला किया. गैलीलियो ने भरे चर्च में सबके सामने अपनी कही सारी वैज्ञानिक बातों को झूठ कहते हुए ईश्वर की सत्ता का उल्लंघन करने के लिए माफी मांग ली, लेकिन चर्च ने उन्हें धोखा दिया. गैलीलियो को मृत्युदंड तो नहीं दिया, लेकिन माफी मांगने के बाद भी उन्हें आजाद नहीं किया. चर्च ने गैलीलियो को कैद कर दिया.
ये कैद एक तरह का हाउस अरेस्ट था. न वो कहीं जा सकते थे, न कोई उनके पास आ सकता था. लेकिन इसी दौरान गैलीलियो ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण किताब लिखी- टू न्यू साइंस. इस किताब में उन्होंने अपने 40 साल के काम और अनुभवों को एक जगह संकलित किया है. यह किताब चोरी से इटली से हॉलैंड पहुंचाई गई
8 जनवरी, 1642 को कैद में रहते हुए ही गैलीलियो की मृत्यु हो गई.
चर्च और पोप के लाख चाहने के बावजूद वो गैलीलियो की विरासत को मिटा नहीं पाए. आज इतिहास पढ़ते हुए हम गैलीलियो को प्यार और आदर से याद करते हैं और पोप को उस डरावने दैत्य की तरह, जिसे ज्ञान-विज्ञान से हमेशा डर लगता था.
इससे पहले जर्दानो ब्रूनो ने भी यह बात कही थी।
ब्रूनो का जन्म सन् 1548 में इटली में हुआ था. शुरू से ही तार्किक और व्रिदोही स्वभाव के ब्रूनो ने 17 साल की उम्र तक आते-आते वो तमाम किताबें खोज-खोजकर पढ़नी शुरू कर दी थीं जो रोमन कैथलिक साम्राज्य में प्रतिबंधित थीं. उन्होने भी धरती घूमने की बात कही थी।
चर्च ने धर्म और ईश्वर के आदेश का उल्लंघन करने के लिए जर्दानो ब्रूनो पर मुकदमा चलाया और उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. , जर्दानो ब्रूनो को सरेआम रोम के चौराहे पर भरी भीड़ के सामने जिंदा जलाया गया था. चर्च चाहता था कि मौत की यह सजा एक नजीर हो कि इसके बाद कोई भी चर्च और बाइबिल के खिलाफ जाने की हिम्मत न करे. जब जर्दानो को जिंदा जलाया जा रहा था तो रोम की सड़कें चर्च के विशालकाय घंटों की आवाज से गूंज रही थी ताकि उसकी चीखें लोगों के कानों तक न पहुंचने पाएं.