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भारतीय संस्कृति

इस्कॉन का सच* भाग 3

Dr DK Garg
भाग -३

ये सीरीज पांच भागों मे है , पहले तीन भाग में इस्कॉन के विषय में ,इनकी कार्य प्रणाली के विषय में बताया है ताकि आपको पूरी जानकारी हो सके बाकी २ भाग में विश्लेषण किया है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे और अन्य ग्रुप में शेयर करे।

इस्कॉन में दीक्षा -इस्कॉन में दीक्षा देना और सन्यासी बनाने की एक प्रक्रिया है और इसकी रचना एक चक्रव्हु की भांति की गयी है जिसमे धीरे धीरे व्यक्ति को धर्मांध कूप में इस तरह धकेल दिया जाता है की वह हरे कृष्ण के नाच गाने के आगे कुछ सोच ही नहीं सकता। आइये इस पर विस्तार से आपको इनका ये राज बताते है :
इस्कॉन में दीक्षा देने के नियम है और दीक्षा के बाद एक नया नामकरण इस्कॉन की तरफ से किया जाता है।दीक्षा की प्रक्रिया को तीन चरणों में बांटा गया है।
पहला चरण होता है शिक्षा अर्थात् पहले आध्‍यात्मिक शिक्षा दी जाती है ।इसके लिए नियमित रूप से कक्षाएं भी होती है।
दूसरा चरण होता है परीक्षा, जिसमें परीक्षा ली जाती है । कई लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि वे परीक्षा में फेल हो जाते हैं,
मैं दावे के साथ ये कह सकता हॅू सभी परीक्षार्थी परीक्षा को एक ही बार में और वह भी बहुत आसानी से हंसते-हंसते पास कर लेते है ।
तीसरा चरण होता है दीक्षा, परीक्षा पास करने के बाद दीक्षा दी जाती है ।
इस्कॉन में दीक्षा कैसे मिलती है ?
पहला स्टेप – आकांक्षी
आकांक्षी स्‍टेप में प्रवेश करने से पहले आपको तीन चीजें खरीदना होगा जो इस्‍कॉन मंदिर में ही आपको मिल जायेगी । हर इस्‍कॉन मंदिर में एक स्‍टॉल होता है जिसमें जप माला, जप बैग, साक्षी माला, तुलसी कंठी माला, भगवत गीता और भी कई आध्‍यात्मिक किताबें एवं सामग्री उपलब्ध रहती हैं । तो स्‍टॉल में से जप माला, जप बैग एवं साक्षी माला खरीद लेना है । जप माला:- जप माला में 108 Beets (मनका) होते हैं जिस पर आपको हरे कृष्‍णा महामंत्र का जप करना होता है ।
जप माला दो प्रकार की होती है :- एक दीक्षा के पहले की जप माला और दूसरी दीक्षा के बाद की जप माला । दीक्षा के पहले वाली जप माला बेल की लकड़़ी से बनी होती है ।
दीक्षा के बाद वाली जप माला तुलसी की बनी होता है , जो दीक्षा के समय गुरूदेव द्वारा प्रदान की जाती है ।
जप बैग:- जप बैग, जप माला को रखने के लिए होता है । और तीसरा साक्षी माला:- साक्षी माला, जप की गिनती करने के लिए होती है कि आपने आप आज कितने राउंड जप किया है ।
नये विद्यार्थी को कम से कम एक साक्षी माला जप करने का नियम शुरूआत के लिए बताया जाता है ।
माला करने के नियम
एक साक्षी माला जप करने का मतलब :- साक्षी माला में एक साथ 16 मनका (गुरिया) होते हैं और कुछ दूरी पर अलग से 4 मनका (गुरिया) होते हैं । हरे कृष्‍णा महामंत्र की 01 जप माला पूरी हो जाने पर साक्षी माला के 16 मनकों में से 01 मनके को आगे सरका दिया जाता है, महामंत्र की दूसरी जप माला पूरी हो जाने पर साक्षी माला के बचे 15 मनकों में से दूसरे मनके को आगे सरका दिया जाता है इसी प्रकार 16 जप माला Complete हो जाने पर साक्षी माला के 16 मनकों को आगे सरका दिया जाता है यह जप याद रखने की एक आसान विधि होती है जिससे पता चल सके कि आज हमने कितना महामंत्र जप किया है ।
इसी प्रकार साक्षी माला के 16 मनकों को आगे सरका देने के बाद साक्षी माला में जो अलग से 04 मनके होते हैं, उनमें से 01 मनके को आगे सरकाकर 16 मनकों को वापस पीछे सरका दिया जाता है इस प्रकार 164=64 महामंत्र का जप किया जाता है ।
इस प्रकार नये विद्यार्थी को कम से कम एक साक्षी माला जप करने का नियम शुरूआत के लिए बताया जाता है अर्थात् 16 राउंड जप माला ।
*आकांक्षी के बारे में जानकारी
:-
आकांक्षी यदि मांसाहारी हैं तब भी कोई दिक्कत वाली बात नहीं है । पहले स्‍टेप में इस्कॉन मंदिर के अंदर हर स्थिति में स्‍वीकार किया जायेगा । आकांक्षी में प्रवेश करने पर हरे कृष्णा महामंत्र की कम से कम 04 जप माला, मतलब काम से काम 1084= 432 बार हरे कृष्‍णा महामंत्र का जप करना ही होगा। इतना करने के बाद ही आकांक्षी लेने के लिए तैयार माने जायेंगे ।
तीसरे स्‍टेप – दीक्षा में प्रवेश करने के पहले तक 16 राउंड जप माला करना आना चाहिए अर्थात् आपको दीक्षा तभी दी जायेगी जब आप 16 राउंड जप माला करने लग जायेंगे । 16 राउंड जप माला का मतलब होता है 01 राउंड साक्षी माला ।
आकांक्षी होने के लिए कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती है बस श्रील प्रभुपाद जी के चरणों में पुष्प अर्पित करना होता है और उसके बाद आपका पहला स्‍टेप – आकांक्षी पूर्ण हो जाता है।
आकांक्षी पूर्ण होने का मतलब है कि आप आने वाले समय में यानी कि भविष्य में इस्‍कॉन में दीक्षा लेना चाहते हैं । आपने इस्‍कॉन में दीक्षा लेने के लिए अपनी इच्‍छा जाहिर की है या अपनी आकांक्षा प्रकट की है ।
स्टेप दूसरा – चरण आश्रय
चरण आश्रय लेने से पहले आपको तुलसी कंठी माला धारण करनी होती है । इसे कंठ (गले) में धारण किया जाता है इसलिए इसे सरल शब्‍दों में साधारण बोलचाल की भाषा में कंठी माला कहा जाता है ।
*कंठी माला के नियम

कंठी माला धारण करने के बहुत से नियम होते हैं ::::::————
चरण आश्रय लेने से पहले कुछ साधारण से नियमों का पालन आपको करना पड़ेगा जो इस प्रकार हैं:-
1. आपको मांसाहारी भोजन नहीं करना है ।
2. नशा नहीं करना है ।
3. अच्छे और सात्विक वातावरण में रहना है ।
4. किसी की निंदा नहीं करना है ।
5. जितना संभव हो सके झूठ बोलने से बचें ।
6. गलत या गंदे काम नहीं करना है ।
7. सरल एवं सात्विक जीवन जीना है ।
8. एकादशी का व्रत करना है ।
9. भगवान यानि कृष्ण की मूर्ति को भोग लगाकर ही प्रसाद (भोजन) गृहण करना है ।
10. 04 माला जप को बढ़ाकर 16 माला जप करना ही होगा ।
इस्कॉन मंदिर के अंदर एक कोर्स होता है जो तीसरे स्टेप – हरिनाम दीक्षा के पहले पूरा कराया जाता है मतलब कि यह कोर्स दूसरे स्टेप – चरण आश्रय का ही एक भाग होता है । जिसका नाम है इस्कॉन डिसिप्लिन कोर्स
इस्कॉन डिसिप्लिन कोर्स
यह कोर्स इस्‍कॉन में दीक्षा लेने के लिए अनिवार्य होता है । इस्‍कॉन में दीक्षा लेने वाले हर आकांक्षी को यह कोर्स करना होता है, जो कि बहुत ही आसान होता है।इसके लिए आपको एक फॉर्म भरना होता है और नियमित रूप से कक्षा जाना होता है ।
इस कोर्स के अंदर बहुत से विषय होते हैं, जैसे की :-
• आप दीक्षा क्यों ले रहे हो, सदगुरु का हमारे जीवन में क्या महत्व है,
• गुरु और शिष्य का क्या संबंध होता है,
• शिष्य को गुरु का आदेश क्यों मानना चाहिए,
• शिष्य के क्या- क्या कर्तव्य होते हैं वगैरह- वगैरह के बारे में विस्तार से सिखाया जाता है ।
आप जिस इस्‍कॉन मंदिर में जा रहे हैं यह कोर्स वहीं कराया जायेगा या फिर यह कोर्स कराने के लिए आपको वृन्‍दावन या मायापुर भेजा जायेगा । इसके साथ-साथ आपको सुबह मंगला आरती, शाम को संध्‍या आरती, तुलसी आरती, 16 माला जप प्रतिदिन, एकादशी के दिन 25 माला जप, एकादशी व्रत करना होगा । बाजार में दिखायी देने वाले तेल, मिर्च, मसाला के चटपटे एवं खट्टे-मीठे पकवान (जंक फूड) नहीं खाना है ।

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