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आखिर प्रवासियों को रोकने की नीति पर क्यों काम कर रहे हैं ऋषि सुनक ?

हर्ष वी पंत

‘बस, बहुत हुआ!’ यह कहकर सिस्टम के सिर दोष मढ़ते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पिछले हफ्ते अवैध प्रवासियों से निपटने की पांच सूत्री योजना हाउस ऑफ कॉमंस में पेश कर दी। इस योजना में एक स्थायी एकीकृत स्मॉल बोट्स ऑपरेशनल कमांड गठित किए जाने, इमिग्रेशन ऑफिसरों की क्षमता बढ़ाने, शरण मांगने वालों को ठहराने के लिए होटल का इस्तेमाल रोकने, उनसे जुड़े वर्करों की संख्या बढ़ाने और अल्बानिया के साथ नया समझौता करने की बात शामिल है। देखा जाए तो यह अवैध प्रवास (इलीगल इमिग्रेशन) से निपटने की हाल में ब्रिटिश सरकार द्वारा अब तक की गई सबसे महत्वाकांक्षी पहल है।

नया अजेंडा
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि ऐसा कदम प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने उठाया है, जो खुद प्रवासी हैं। सवाल यह है कि आखिरकार उन्होंने यह कदम क्यों उठाया?

नए प्रवासी कानून की घोषणा करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक

पिछले साल 45,700 से ज्यादा लोग छोटी नावों के जरिए फ्रांस से ब्रिटेन आए, जो अब तक की रेकॉर्ड संख्या है। इससे प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर इस समस्या से निपटने की नीति लाने का दबाव बढ़ा।
कंजर्वेटिव्स की लोकप्रियता में तेज गिरावट से जूझते सुनक के लिए यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर भी अहम है क्योंकि यह जमीनी स्तर पर उनकी पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को अपील करता है।
दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहा नया बिल अवैध तौर पर ब्रिटेन आने वालों को ‘कुछ सप्ताह के अंदर’ निकाल देने और उनके शरण मांगने पर आजीवन रोक लगाने की बात करता है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR) ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे अवैध तौर पर ब्रिटेन पहुंचने वालों के लिए शरण पाने की राह बंद हो जाएगी, जो रिफ्यूजी कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन होगा। विपक्ष का भी कहना है कि यह योजना कारगर नहीं है।
इस पर सुनक कह रहे हैं कि वह लड़ाई के लिए तैयार हैं। उनका कहना था कि ‘यहां कौन आए, यह देश (ब्रिटेन) तय करेगा, आपकी सरकार तय करेगी, क्रिमिनल गैंग्स नहीं।’
सुनक को मालूम है कि इस पॉलिसी के जरिए वह न केवल अगले साल होने वाले आम चुनावों का नैरेटिव सेट कर रहे हैं बल्कि अब तक ओपिनियन पोल में आगे चल रही लेबर पार्टी को कंजर्वेटिव्स के तय किए नियमों से चुनावी लड़ाई में उतरने पर मजबूर कर रहे हैं।
आर्थिक लिहाज से भी यह टोरीज के लिए अच्छा विकल्प है। ऐसे समय में, जब ब्रिटिश इकॉनमी चुनौतियों से जूझ रही है, प्रवासियों के खिलाफ, खासकर स्थानीय ब्रिटिश नागरिकों की नौकरी हथियाने वाले लो स्किल्ड वर्कर्स के खिलाफ सख्त स्टैंड लेती किसी नीति को पब्लिक का भी भरपूर समर्थन मिलेगा।
सुनक यह साफ कर चुके हैं कि वह हाई स्किल्ड और टैलंटेड प्रवासियों को आकर्षित करना चाहते हैं जिन्हें थोड़े दबे-ढके रूप में ही सही, पर अन्य विकसित देश भी रिझाने में लगे हैं।
ब्रेग्जिट के पीछे भी एक बड़ा कारण यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सदस्य राष्ट्रों से आने वाले प्रवासियों के कारण ब्रिटेन में उपजा असंतोष ही था। नए प्रवासी अजेंडा के जरिए सुनक मूलत: उसी नीति को उसकी तार्किक परिणति तक पहुंचा रहे हैं।

ब्रिटेन ने प्रवासियों से निपटने के लिए जो योजना बनाई है

इस बिल को हाउस ऑफ कॉमंस में तो कोई समस्या नहीं होगी। वहां कंजर्वेटिव्स को विशाल बहुमत हासिल है। लेबर पार्टी भी इसका विरोध महज इस आधार पर कर रही है कि यह व्यावहारिक नहीं है। वह इसके पीछे निहित मूल विचार का विरोध नहीं कर रही है। तो हाउस ऑफ कॉमंस में तो रास्ता साफ है। लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चुनौतियां मिल सकती हैं, संशोधन लाए जा सकते हैं। अदालतें भी दखल दे सकती हैं। ध्यान रहे, खुद प्रिंसिपल सेक्रेटरी मान चुकी हैं कि इसे गैरकानूनी पाए जाने के 50 फीसदी से ज्यादा आसार हैं। सुनक ने संकेत दिए हैं कि वह यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) से बाहर निकलने पर विचार कर सकते हैं ताकि इमिग्रेशन पॉलिसी को बेहतर ढंग से अमल में ला सकें।

बीबीसी का विवाद
इस इमिग्रेशन बहस के नतीजे राजनीतिक क्षेत्र की सीमाओं को पार करते दिख रहे हैं। सबसे महंगे प्रेजेंटर गैरी लिनेकर के सस्पेंशन के बाद बीबीसी दबाव में नजर आने लगा। पिछले हफ्ते उन्होंने ब्रिटेन की इमिग्रेशन पॉलिसी को ‘दुनिया के सबसे कमजोर लोगों की ओर निर्देशित ऐसी क्रूर नीति’ बताया था जिसकी भाषा ‘तीस के दशक में जर्मनी में इस्तेमाल की गई भाषा से खास अलग नहीं है’। इस आलोचना के बाद जब उन्हें सस्पेंड किया गया तो कई और प्रेजेंटर उनके समर्थन में आ गए। आखिरकार बीबीसी को लिनेकर मामले में माफी मांगनी पड़ी। वहीं, सुनक ने इन विवादों में पड़ने से इनकार कर दिया। हालांकि यह जरूर रेखांकित किया कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इसका संदर्भ ध्यान में रखना जरूरी है, खासकर तब, जब पिछले साल ही चैनल को गैरकानूनी ढंग से पार करने की कोशिश में 45,000 लोगों ने अपनी जान दांव पर लगा दी हो।

बड़ा राजनीतिक दांव
बीबीसी का संकट सिर्फ यह बताता है कि इमिग्रेशन पॉलिसी कितनी तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर रही है और कैसे सुनक यह उम्मीद कर रहे हैं उनका कड़ा रुख टोरीज के बीच उनकी स्थिति को मजबूत बनाते हुए उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचाएगा। 2023 की शुरुआत में उन्होंने एलान किया था कि छोटी नावों से निपटना उनकी प्राथमिकता में रहेगा और अब वह इस वादे को पूरा करते नजर आ रहे हैं। हालांकि यह इमिग्रेशन पॉलिसी लेबर पार्टी के बरक्स उनकी स्थिति को मजबूत भले बना दे, इस बात की गारंटी नहीं है कि इससे छोटी नावों का अवैध तौर पर चैनल पार करना सचमुच बंद हो जाएगा। फिर भी सुनक ने यह बड़ा राजनीतिक दांव लगाने का फैसला किया है और अब वह उम्मीद कर रहे हैं कि इस चुनावी बेला में ब्रिटेन के लोग उन्हें समर्थन देंगे।

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