अजय कुमार
योगी की यह भविष्यवाणी दो ही दिनों के भीतर उमेश पाल की हत्या में शामिल आरोपियों में से एक को वाकई में मिट्टी में मिला देने से सत्य साबित हुई। एक दिन पहले ही उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद की अतीक के गुर्गों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
माफियाओं और पेशेवर अपराधियों को कोर्ट-कचहरी की आड़ में जेल की रोटियां तुड़वाने की जगह योगी सरकार इन्हें बिना टिकट ऊपर पहुंचाने के लिए योगी सरकार कल भी नहीं हिचकिचाती थी और आज भी माफियाओं-हिस्ट्रीशीटरों को मिट्टी में मिला देने से गुरेज नहीं करती है। योगी राज में कानून से खिलवाड़ करने वालों की गाड़ी भी पलट सकती है और मुठभेड़ भी हो सकती है। राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल के हत्यारों में से एक को एनकांउटर में मार गिराते हुए योगी सरकार ने एक बार फिर अपराधियों को संदेश दे दिया है कि वह सुधर जाएं नहीं तो उनको इस धरती पर नहीं रहने दिया जाएगा। यही योगी का स्टाइल है और वो इसे नहीं बदलेंगे।
योगी आदित्यनाथ ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही भ्रष्टाचार व अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत अभियान चलाकर कार्रवाई का आदेश दिया था। सीएम योगी आदित्यनाथ अपराधियों पर कठोर कार्रवाई व माफिया की काली कमाई से जुटाई गई संपत्तियों पर बुलडोजर चलवाने से भी नहीं चूकते हैं। योगी सरकार में 20 मार्च, 2017 से अब तक कुल 170 कुख्यात अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं। उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ पुलिस का अभियान योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार के कार्यकाल में भी लगातार जारी है। नए साल के आगमन के बाद से ही अब तक यूपी पुलिस ने चार शातिर अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। वहीं, पुलिस मुठभेड़ में 14 अपराधी घायल हुए हैं और 52 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया गया है। अब इसी कड़ी में प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल के हत्यारे का भी नाम जुड़ गया है जिसे 27 फरवरी को यूपी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। उमेश पाल की हत्या के पीछे गुजरात जेल में बंद खूंखार अपराधी अतीक अहमद और उसकी पत्नी तथा बेटों का नाम सामने आ रहा है।
दरअसल, यूपी में ‘योगी राज’ शुरू होने के बाद से ही दबंगों और माफियाओं की सिट्टी-पिट्टी गुम है। पहली बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद ही मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि दंबगों, माफियाओं और अपराधियों को ’पाताल लोक’ पहुंचा दिया जाएगा। इनके खिलाफ योगी ने अपनी पुलिस को खुला छोड़ दिया। उन्हें जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के आदेश दे दिए। ऐसे ऐक्शन की वो समय-समय पर समीक्षा करने लगे। दुर्दांत अपराधी धड़ाधड़ गिराए जाने लगे। उनके बचकर भाग निकलने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए। फैसला फटाफट होने लगा। बदमाशों को चुन-चुनकर पुलिस ने निशाना बनाया।
आंकड़ों पर नजर डालें तो माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार के ऐक्शन का कुछ अंदाजा मिल जाएगा। मार्च 2017 से पिछले साल नवंबर तक योगी सरकार में करीब 170 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया गया। 4,500 से ज्यादा अपराधी पुलिस की गोली लगने से अस्पताल में पहुंचे। योगी सार्वजनिक मंचों पर भी कहते रहे हैं कि जरूरत पड़ी तो गाड़ी भी पलटेगी और बुलेट भी चलेगी। बिकरू कांड के बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे की गाड़ी पलटी थी और उसका एनकाउंटर हुआ था। उसी संदर्भ में योगी ने यह बात कही थी। जब वाराणसी में तैनात उपनिरीक्षक अजय यादव की गोली मारकर हत्या की गई और उनकी सर्विस रिवॉल्वर लूट ली गई तो भी पुलिस ने आक्रामक तेवर दिखाए थे। पिस्टल लूटने वाले इन बदमाशों को ऑपरेशन पाताल लोक के तहत मुठभेड़ में मार गिराया गया था। वाराणसी में ही बिहार के कुख्यात मनीष और रजनीश को मुठभेड़ में मार गिराए जाने पर पुलिस टीम को पांच लाख रुपये इनाम की घोषणा की गई थी।
यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद 2017 में पहला एनकाउंटर 27 सितंबर को मंसूर पहलवान का हुआ था। मंसूर सहारनपुर का रहने वाला था। उस पर 50 हजार रुपये का इनाम था। विपक्ष कई बार ऐसे एनकाउंटर पर सवाल उठाता रहा है। लेकिन, सच यह है कि इन तमाम मरने वालों का रेकॉर्ड बताता है कि ये दुर्दांत अपराधी थे। इनके कारण लोगों में डर था। इनमें से बड़ी संख्या में इनामी थे। एक तरफ योगी सरकार अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर चल रही थी तो दूसरी और जब भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मौका मिलता तो वह यूपी में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने लगते थे। इसी के चलते जब अखिलेश ने उमेश पाल मर्डर केस का मुद्दा विधान सभा में उठाया तो योगी तमतमा गए। उन्होंने सबूत के साथ समाजवादी पार्टी पर बदमाशों को प्रश्रय और बढ़ावा देने की बात कही। फिर गुस्से में बोले कि माफिया किसी भी पार्टी का हो, हमारी सरकार उसे मिट्टी में मिला देगी।
योगी की यह भविष्यवाणी दो ही दिनों के भीतर उमेश पाल की हत्या में शामिल आरोपियों में से एक को वाकई में मिट्टी में मिला देने से सत्य साबित हुई। एक दिन पहले ही उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद की अतीक के गुर्गों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमले में घायल दूसरे सुरक्षाकर्मी राघवेंद्र सिंह को गंभीर हालत में एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विधायक राजू पाल हत्याकांड के उमेश पाल मुख्य गवाह थे। हत्या में शामिल आरोपियों में से एक अरबाज को 27 फरवरी को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। हमलावरों ने जिस कार का इस्तेमाल किया था, अरबाज उस कार का ड्राइवर था। पुलिस के साथ अरबाज की मुठभेड़ दोपहर करीब तीन बजे हुई। अरबाज के साथ और दो-तीन लोग थे जो मौके से भाग गए।
बहरहाल, बात मार्च 2017 से उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ शुरू हुए योगी आदित्यनाथ सरकार के एनकाउंटर अभियान की कि जाए तो मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में कुल 10531 मुठभेड़ हो चुकी है। 22597 अपराधी गिरफ्तार और 4710 अपराधी पुलिस मुठभेड़ में घायल हुए हैं। इस दौरान 171 इनामी बदमाश पुलिस इनकाउंटर में मारे गए हैं। इसी साल 2023 की शुरुआत से ही यूपी पुलिस ने नोएडा में सुनील राठी गैंग के एक लाख रुपये के इनामी शूटर कपिल को एनकाउंटर में मार गिराया था। दो जनवरी को बुलंदशहर में पुलिस ने मुठभेड़ में एक लाख रुपये के इनामी बदमाश आशीष और 50 हजार रुपये के इनामी बदमाश अब्दुल को मार गिराया था। इसी प्रकार 10 जनवरी को यूपी एसटीएफ और आगरा पुलिस ने 50 हजार रुपये के नामी और शातिर लुटेरे विनय शर्मा को मार गिराया था। इस वर्ष अब तक पांच इनामी बदमाश मारे जा चुके हैं। 15 बदमाश पुलिस मुठभेड़ में घायल हुए हैं और 52 अपराधी इनामी बदमाशों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। साल 2017 से 2022 तक अगर देखें तो साल 2018 में सर्वाधिक 41 शातिर बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं।
उत्तर प्रदेश में यदि जोनवार पुलिस मुठभेड़ और मारे गए बदमाशों की बात करें तो मार्च 2017 से 12 जनवरी 2023 तक मेरठ जोन में सर्वाधिक 3112 मुठभेड़ हुईं और 62 बदमाश मारे गए। आगरा जोन में 1804 मुठभेड़ हुईं और 14 बदमाश मारे गए। प्रयागराज जोन में 332 मुठभेड़ हुईं और 8 बदमाश मारे गए। बरेली में 1468 मुठभेड़ हुईं और 7 बदमाश मारे गए। गोरखपुर में 384 मुठभेड़ हुईं और सात बदमाश मारे गए। लखनऊ जोन में 491 मुठभेड़ हुईं और 11 बदमाश मारे गए। कानपुर जोन में 414 मुठभेड़ हुईं और 5 बदमाश मारे गए। वाराणसी जोन में 676 मुठभेड़ हुईं और 19 बदमाश मारे गए। लखनऊ कमिश्नरेट में 81 मुठभेड़ हुईं और 8 बदमाश मारे गए। नोएडा कमिश्नरेट में 659 मुठभेड़ हुईं और 11 बदमाश मारे गए। कानपुर कमिश्नरेट में 179 मुठभेड़ हुईं और चार बदमाश मारे गए। वाराणसी कमिश्नरेट में 105 मुठभेड़ हुईं और 7 बदमाश मारे गए। गाजियाबाद कमिश्नरेट में 410 मुठभेड़ में 6 बदमाश मारे गए और प्रयागराज में 113 मुठभेड़ हुईं और चार बदमाश मारे गए। पुलिस के इस एनकाउंटर अभियान पर एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार का कहना है कि ‘यूपी पुलिस अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रही है। बदमाश गोली चलाता है तो पुलिस भी जवाबी कार्रवाई करती है जिसमें हमारे जवान भी शहीद हुए हैं और घायल हुए हैं, लेकिन अपराधियों के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा।’
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