भारती डोगरा
पुंछ, जम्मू
जैसे जैसे तापमान चढ़ रहा है पानी की समस्या को लेकर वैज्ञानिक से लेकर विशेषज्ञ तक की चेतावनी बढ़ती जा रही है. लगातार यह बताया जा रहा है कि यदि गंभीरता से किसी ठोस और सतत योजना पर अमल नहीं किया गया तो जल्द ही पानी के लिए हाहाकार मच सकता है. देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां पीने के साफ़ पानी की उपलब्धता बहुत सीमित है. ग्रामीणों को या तो एकमात्र जलस्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर उन्हें दूर जाकर पीने और अन्य दैनिक कार्यों के लिए पानी तलाशनी पड़ती है. ऐसी समस्या केवल मैदानी इलाकों तक ही सीमित नहीं है बल्कि पहाड़ी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को भी इसी प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.
पानी की ऐसी ही समस्या केंद्रशासित प्रदेश जम्मू के कठुआ जिला स्थित तहसील बिलावर के गांव जोड़न में है. गांव में पानी के लिए केवल एक ही कुआं उपलब्ध है. जो ग्रामीणों की दैनिक पूर्ति के लिए कम पड़ जाता है. इस गांव में लगभग 20 से 25 घर है जिसकी कुल जनसंख्या करीब 100 के आसपास है. पूरा गांव एक छोटे से कुएं पर ही निर्भर है. जहां वह अपनी दैनिक पूर्ति करते हैं. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि इसका पानी साफ भी नहीं है. लेकिन करीब में कोई विकल्प नहीं होने के कारण वह यही पानी को इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं. सबसे अधिक कठिनाई महिलाओं को होती है. जिन्हें घरेलू उपयोग के लिए पानी इकट्ठा करना मुसीबत रहता है. गांव की एक महिला रबीना बेगम कहती हैं कि गांव जोड़न में केवल एक कुआं है. हम सब उसी से पीने का पानी अपने अपने घरों में इस्तेमाल के लिए ले जाते हैं. कोई और साधन नहीं होने की वजह से सभी महिलाएं इसी कुएं पर कपड़े भी धोने पर मजबूर हैं.
एक अन्य महिला मोनी बेगम कहती हैं कि गांव में एकमात्र कुएं के कारण सभी उसी से पूर्ति के लिए मजबूर हैं. उसी से पीने के लिए पानी भरते हैं और वहीं बैठकर कपड़े भी धोते हैं. जिसकी वजह से कुआं का पानी गंदा और दूषित हो चुका है. लेकिन कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण हम वही पानी को इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं. कई बार घर की महिलाएं घर के बीमार सदस्य का भी कपड़ा उसी कुएं पर धोती हैं. यह देख कर पानी पीने का दिल नहीं करता है, लेकिन कोई और कुआं या पानी का स्रोत नहीं होने के कारण हमें मज़बूरी में वही पानी पीनी पड़ती है. इस गंदा और दूषित पानी का इस्तेमाल करने से कई बार बीमारी का खतरा बना रहता है. लेकिन यह सब जानते हुए भी ग्रामीण मजबूर हैं. वह कहती हैं कि यदि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेगी तो इसका खामियाज़ा गांव वालों को अपनी सेहत से चुकानी पड़ सकती है.
मोनी बेगम के अनुसार गर्मियों में यह कुआं सूख जाता है. ऐसे में सबसे अधिक कठिनाई महिलाओं और किशोरियों को होती है. जिन्हें पानी के लिए 2 किमी दूर पंजतीर्थी जाना पड़ता है. यह बहुत ही मुश्किल समय होता है. गर्मी के दिनों में दिन में 2 बार इतनी दूर से पानी लाना पड़ता है. इसकी वजह से जहां महिलाओं को समस्या का सामना करनी पड़ती है तो वहीं किशोरियों को भी स्कूल छोड़कर पानी के लिए जाना पड़ता है. वह कहती हैं कि हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिन्हें घर में अकेला छोड़कर भी पानी के लिए भटकना पड़ता है. गांव के अधिकतर पुरुष दिन में अपने काम पर चले जाते हैं. ऐसे में इन बच्चों को कभी साथ लेकर तो कभी घर पर अकेला छोड़कर जाने को मजबूर होते हैं. गांव जोड़न के सामाजिक कार्यकर्ता काकू दीन कहते हैं कि पानी की समस्या पर मैंने कई बार वीडियो बना कर उसे यूट्यूब और फेसबुक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी डाला ताकि प्रशासन या संबंधित विभाग इस समस्या को हल करे, लेकिन आज तक गांव जोड़न में पानी की समस्या का कोई हल नहीं निकाला गया. स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण इस गांव के लोग दूषित पानी का इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं.
गांव के पंच मोहम्मद गनी कहते हैं कि हमारे यहां पानी की पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गई है, तो जल विभाग का पानी कहां से आएगा? इस संबंध में कई बार जेईई से भी गुहार लगाई, उन्होंने भी हर बार केवल आश्वासन ही दिया कि जल्द ही गांव जोड़न में पानी की पाइपलाइन बिछाई जाएगी, परंतु आज तक कुछ हुआ नहीं. यहां तक कि हमने बैक टू विलेज प्रोग्राम के दौरान भी अधिकारियों के सामने इस समस्या को गंभीरता से उठाया है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज तक इस गांव में पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. मोहम्मद गनी कहते हैं कि पंच होने की हैसियत से मैंने गांव के विकास से संबंधित प्लान और मीटिंगों में भी गांव जोड़न के पानी की समस्या को रखा है, परंतु अभी तक प्लान सैंक्शन नहीं हुआ है. वह आशंका व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यदि इस गांव में जल्द से जल्द पानी की समस्या का हल नहीं निकाला गया तो आने वाली गर्मी में गांव वालों को जल के सबसे बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है.
केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से पर्याप्त और नियमित रूप से शुद्ध जल की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है. वेबसाइट के अनुसार अब तक (फ़रवरी 2023 तक) देश में कुल 19,39,40,804 घरों तक नल से जल की आपूर्ति की जा चुकी है. योजना के आरंभ से लेकर अब तक लगभग 49 प्रतिशत से अधिक घरों में इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. वेबसाइट के अनुसार केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 56.97 प्रतिशत घरों को नल कनेक्शन से जोड़ दिया गया है. सरकार का यह आंकड़ा दर्शाता है कि समय रहते सभी लक्ष्यों को पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन सवाल यह उठता है कि गांव जोड़न में यह योजना आखिर कब तक पहुंचेगी? क्या तब तक ग्रामीणों को ऐसे ही समस्याओं से जूझने के लिए अकेला छोड़ दिया जाए? क्या प्रशासन और संबंधित विभाग के पास योजना आने तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिससे ग्रामीणों को दूषित पानी पीने पर मजबूर न होना पड़े? (चरखा फीचर)