देश की विरासत और विकास को मजबूत करने में आर्य समाज का विशेष योगदान : पीएम मोदी देश की आजादी के आंदोलन में दयानंद के योगदान को सराहनीय कहने वाले पहले प्रधानमंत्री

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गाजियाबाद ( ब्यूरो डेस्क) प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आर्य समाज का देश की विरासत और विकास को मजबूत करने में विशेष योगदान रहा है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद जी सरस्वती महाराज के जन्म की 200 वीं जयंती के कार्यक्रमों का शुभारंभ करते हुए रविवार 12 फरवरी को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती क्रांतिकारी आंदोलन के जनक थे। जिन्होंने वेदों की ओर लौटो का उद्घोष करते हुए अनेक क्रांतिकारियों को देश की आजादी के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि जिस गुजरात की पवित्र भूमि पर स्वामी दयानंद जी महाराज ने जन्म लिया उसी पर मेरा भी जन्म हुआ है। पी0 एम0 ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ यज्ञ पर आहुतियां भी दी।
इस दौरान उन्होंने जयंती समारोह के लोगो का भी अनावरण किया। यहां कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत जबरदस्त स्वाभिमान के साथ अपनी विरासत पर गर्व व्यक्त कर रहा है और वह आधुनिकता की शुरुआत करते हुए अपनी परंपराओं को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री ने पतंजलि गौतम ,कणाद, कपिल जैसे अनेक ऋषि महर्षियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को मजबूत और विकसित करने में इन सभी ऋषियों का विशेष योगदान रहा है। जिसे आर्य समाज ने बड़ी मजबूती के साथ विश्व के सामने स्थापित करने में अपनी भूमिका का निर्वाह किया है इसके लिए हमें महर्षि दयानंद का ऋणी होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि देश की नीतियों और प्रयासों में कोई भेदभाव नहीं है और इसका उद्देश्य गरीबों, पिछड़ों और वंचितों की प्राथमिकता पर सेवा करना है। भारत पर्यावरण के क्षेत्र में दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। यह गर्व की बात है कि भारत इस साल जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। देश आज जबर्दस्त स्वाभिमान के साथ अपनी विरासत पर गर्व कर रहा है। देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि हम आधुनिकता लाते हुए अपनी परंपराओं को मजबूत करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश विरासत और विकास की राह पर दौड़ रहा है। जब वह कर्तव्य पथ पर चलने की बात करते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि वह कर्तव्य की बात करते हैं, अधिकार की नहीं। अगर 21वीं सदी में मेरे साथ ऐसा है तो 150 साल पहले सोचिए कि समाज को रास्ता दिखाने में स्वामी दयानंद को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा ?
उन्होंने कहा, “महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा दिखाया गया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा जगाता है. मोदी ने इस मौके को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा है। महर्षि दयानंद सरस्वती भारत की महिलाओं के सशक्तिकरण की आवाज बने और उन्होंने सामाजिक भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया. आज देश की बेटियां सियाचिन में तैनात होने से लेकर राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने तक प्रमुख भूमिकाएं निभा रही है।
1824 में जन्में सरस्वती ने तत्कालीन प्रचलित सामाजिक असमानताओं का मुकाबला करने के लिए काम किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक और सामाजिक जागृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यहां पर यह बात भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने महर्षि दयानंद और आर्य समाज के देश की आजादी में के आंदोलन में निभाई गई भूमिका को खुले दिल से स्वीकार किया है और उसे खुले मंच से सराहा है।
कांग्रेस के शासनकाल में कभी भी स्वामी दयानंद के क्रांतिकारी आंदोलन में निभाई गई अग्रणी भूमिका को स्वीकार नहीं किया गया । यही कारण है कि वर्तमान इतिहास में भी आर्य समाज के संस्थापक को वह स्थान नहीं दिया गया जिसके वह पात्र थे। पर अब प्रधानमंत्री मोदी ने खुले मंच से स्पष्ट शब्दों में राम प्रसाद बिस्मिल ,भाई परमानंद, श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे अनेक क्रांतिकारियों का नाम लेकर यह स्पष्ट स्वीकार किया कि भारत की आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन में स्वामी दयानंद जी का विशेष योगदान था। क्योंकि इन सभी क्रांतिकारियों के निर्माण में स्वामी दयानंद जी और उनके सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की विशेष भूमिका रही। प्रधानमंत्री श्री मोदी के इस प्रकार के विचारों का निश्चय ही इतिहास के लेखन पर प्रभाव पड़ेगा और कांग्रेसी और कम्युनिस्टों द्वारा लिखे गए इतिहास के झूठ को विद्यालयों के पाठ्यक्रम से दूर करने में सहायता मिलेगी।

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