बिखरे मोती : मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है
मुसीबत में भी महापुरुषों के मुख पर मुस्कान होती है
कांटो में हंसता रहे,
देखो सदा गुलाब।
फूलों का राजा यही,
खुशबू है नायाब॥2155॥
ध्यान तो दिल का द्वार है,
इसे तू निशदिन खोल।
अनहद नाद को सुन जरा,
ओ३म ओ३म ही बोल॥2156॥
मनुष्य के गुण ही दूसरों को आकर्षित करते हैं –
फूल में हुए सुगन्ध तो,
तितलियां मंडराय।
आत्मा स्वभाव में जी सदा,
अध्यात्म यही कहलाए॥2153॥
मनुष्य के व्यक्तित्व का प्रभाव कब पड़ता है –
चरित्र चिन्तन पवित्र हो,
ऋजुता भरा स्वभाव।
वाणी में ओजस्विता,
डालती है प्रभाव॥2158॥
आत्मबल का धनी वही होता है जो ब्रह्म से जुड़ा हो-
ब्रह्म – शक्ति है आत्मबल,
विरला पावै कोय।
ब्रह्मवेत्ता योगी कोई,
इससे भूषित होय॥2159॥
अयाचित रहिए ,याचना से मनुष्य के व्यक्तित्व क्रांति हीन हो जाता है –
याचना से मनुष्य का,
घट जाता है तेज ।
आभा है व्यक्तित्व की,
राखो सदा सहेज॥ 2160॥
संसार में स्थूल का आधार सूक्ष्म है अर्थात मिट्टी और महल का अस्तित्व एक है –
राई से पर्वत बना,
मत राई को भूल।
सूक्ष्म ही आधार है,
दिखता जो स्थूल॥2161॥
मनुष्य का उत्कर्ष प्रभु कृपा से ही संभव है –
प्रभु – कृपा जब तक रहे,
अदना आला होय।
हरी की कृपा गई,
मूडं पकड़ कै रोय॥ 2162॥
आत्मा परमात्मा में कब अवगाहन करती है-
डूबे ब्रह्मानन्द में ,
पावै परमानन्द।
तुरया में योगी रहै,
तब मिले सच्चिदानन्द॥ 2163 ॥
भक्ति कब निष्फल हो जाती है-
छल कपट और दम्भ से ,
हो भक्ति का नाश ।
आर्जव-चित से जा सके,
परमपिता के पास॥ 2164॥
क्रमशः