केल्कुलेटर व कम्प्यूटर से भी तेज गति से उत्तर देने वाले ‘वैदिक गणित’ के 16 सूत्र
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वर्ष 1949–50 के ‘कन्वोकेशन वीक’ के दौरान चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के अवसर पर, पुरी के शंकराचार्य भी वहां उपस्थित थे। वहां उनसे विज्ञान संकाय और अभियांत्रिकी विभाग के छात्रों द्वारा गणित के जटिल से जटिल प्रश्न पूछे गये। स्वामी जी ने वेदों में से निकाले गए सोलह सूत्रों द्वारा जब उन प्रश्नों के उत्तर दिए, तब सभी दंग रह गए। प्रत्येक प्रश्न पूछे जाने पर, स्वाभी जी उस प्रश्न को श्यामपट पर लिखते, संस्कृत में सूत्र को पढ़ते और अविलम्ब दूसरी लाइन में ही उस प्रश्न का उत्तर लिख देते । केवल एक प्रश्न ऐसा था जिसके लिए उनको एक चरण और लिखकर तीसरी पंक्ति में उत्तर लिखना पड़ा। स्वामी जी ने बाद में बताया कि वेद की ऋचाओं से वे सूत्र, वर्षो तक एकांतवास करके गहन मनन के पश्चात् निकाले जा सके हैं। उन सूत्रों का स्वमी जी ने लंदन में भी प्रदर्शन किया था, जिसे देखकर वहां के गणितज्ञ अवाक् रह गये थे। कैलकुलेटर अथवा कम्प्यूटर भी इतनी तेजी से उत्तर नहीं निकाल सकते जितनी शीघ्रता एवं सुगमता से सूत्रों द्वारा प्रश्नोंत्तर प्राप्त किये जाते है – ऐसा देख उन गणितज्ञों ने आश्चर्यचकित होकर कहा था कि वेदों के सूत्र जादू हैं या गणित! वेदों से प्राप्त वैदिक गणित रूपी इस अमूल्य धरोहर पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व चाहिए।”
सामवेद (उपासना)
(आदित्य ऋषि)