प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार
यदि मध्यप्रदेश के सामाजिक ताने बाने, अर्थव्यवस्था, राजनैतिक वातावरण, व्यापार वयवसाय के पिछड़े होने की और इन सबसे धर्मांतरण के संबंध की चर्चा करें तो एक जनजातीय कहावत स्मरण मे आती है – तेंदू के अंगरा बरे के न बुताय के अर्थात दुष्ट व्यक्ति न स्वयं चैन से रहते हैं न दूसरों को चैन से रहने देते हैं। मध्यप्रदेश के शांत, सौम्य और सद्भावी सामाजिक वातावरण मे यदि कोई जहर घोलता है तो वह मिशनरी धर्मांतरणकारी संस्थाएं, लव जिहाद, लैंड जिहाद करने वाले लोग ही हैं। ये न तो स्वयं चैन से रहते हैं और न ही शेष समाज को चैन से जीने देते हैं। मध्यप्रदेश मे समय समय पर यहां के भोले भाले ग्रामीणों, मध्यमवर्गीय लोगों और विशेषतः जनजातीय लोगों को बहकाकर, बहलाकर, फुसलाकर, धोखे छदम से, लालच देकर, डरा धमकाकर धर्मांतरण कराने वाली यहां की ईसाई और इस्लाम संबन्धित संस्थाए यहां का सामाजिक ताना बाना बिगाड़ती रहती हैं। मप्र का भोला भाला जनजातीय, ग्रामीण और निम्न मध्यमवर्गीय समाज भीतर जंगलों तक घुस गए जिहादियों और मसीहीयों से प्रतिदिन काटा पीटा और क्षत विक्षत किया जा रहा है। मप्र के लोग अपनी बेटियों के अपहरण, उनके साथ दुराचार, अपनी भूमि के कब्जाए जाने, मठ मंदिरों का अपमान देखने आदि आदि के लिए बहुधा ही दुखी और परेशान होते दिखते हैं।
समूचे मध्यप्रदेश मे लवजिहाद का एक बड़ा माध्यम पब्लिक ट्रांसपोर्ट का धंधा बना हुआ है। इस धंधे मे बस के मुस्लिम ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर सब मिले हुए होते हैं। जैसे ही कोई भोली भाली ग्रामीण, आदिवासी लड़की बस मे चढ़ती है ये लोग उसे अपने पास सीट देकर, किराये मे छूट देकर, झूठी हमदर्दी देकर उसका यौन शोषण करते हैं और फिर उसे लव जिहाद का शिकार बनाते हैं। दूसरी ओर ईसाई मिशनरिज भोले भाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, फ्री साइकिल, सिलाई मशीन आदि के चक्कर मे फंसाकर उनका धर्मांतरण कराते हैं। मध्यप्रदेश के भीतरी ग्रामों मे चप्पे चप्पे मे फैले हुए पादरी, मौलवी और मुस्लिम अपराधी तरह तरह के प्रपंच फैलाकर धर्मांतरण कराते हैं और एक बार जब भोला भाला आदिवासी और विशेषतः युवतियाँ इनके चंगुल मे फंस जाती है तो चाहकर भी निकल ही नहीं पाती है।
वैसे तो मध्यप्रदेश प्रारंभ से ही धर्मांतरण कराने वाली शक्तियों का केंद्रबिंदु रहा है। यहां का भोला भाला जनजातीय व ग्रामीण समाज इस विषय मे ईसाई व मुसलमान धर्मांतरणकारियों के षडयंत्रों का शिकार सदा से बनता रहा है। मध्यप्रदेश के सुदूर भीतर बसे वन ग्राम हों या अन्य ग्रामीण क्षेत्र, तहसील के आसपास के गांव हों या तहसील और जिला केंद्र के क्षेत्र; धर्मांतरण से कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। मध्यप्रदेश का यह दुर्भाग्य ही रहा की यहां धर्मांतरणकारी दुष्टों को कभी भी वैसी कानूनी या सामाजिक सजा नहीं मिल पाई जिसके वे योग्य थे। यदि मध्यप्रदेश मे प्रारंभ से ही धर्मांतरण कारी अपराधियों को राजनैतिक प्रश्रय न मिला होता तो आज मध्यप्रदेश का सामाजिक ताना बाना इतना उलझा व चोटिल न हुआ होता।
इन्हीं सब दिल दहला देने वाली सामाजिक घटनाओं और आशंकाओ को देखते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अब अधिक सख्त व निर्णायक मूड मे दिख रही है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धर्मांतरण को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। यह कदम सर्वथा समयानुकूल व अपेक्षित ही था। मध्यप्रदेश मे इस संदर्भ मे अभी और भी अधिक सख्त समुचित क़ानूनों और सामाजिक प्रतिबंधों की आवश्यकता है।
मध्यप्रदेश मे हालात इतने बदतर हो गए हैं की यहां नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज भी जाती है और हज से लौटकर उन निर्ममता पूर्वक खाए गए चूहों का श्राद्ध तर्पण आदि करने का ढोंग भी करती है। ऐसी ही सैकड़ों घटनाओं मे से एक प्रतिनिधि घटना का यहां उल्लेख कर रहा हूं जिससे आप मध्यप्रदेश मे धर्मांतरण कारी संस्थाओं के दादागिरी और नौटंकी भरे आचरण को भली भांति समझ सकते हैं। मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्र बैतूल में बड़ी संख्या मे ईसाई मिशनरी संस्थाओं और मुस्लिम अपराधियों ने धर्मांतरण कराया है। समूचा जिला ईसाई और जिहादियों के धर्मांतरण कारी घटनाओं से थर्राया और सहमा हुआ सा है। पिछले दिनों सर्व ईसाई महासभा और यूनाइटेड क्रिश्चियन फेलोशिप के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने बैतूल जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में इन सस्थाओं द्वारा कहा गया कि हम पर धर्मांतरण के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। इस ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि ईसाई समाज के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी झूठी पुलिस रिपोर्ट की जा रही है। इस प्रकार धर्मांतरण कराना और उल्टे हिंदू समाज पर आरोप लगाने का नया आचरण इस जिले मे देखने मे आया था। अब यह “चोरी ऊपर से सीनाजोरी” का आचरण पूरे प्रदेश मे दोहाराया जा रहा है। यद्द्पि ईसाई संस्थाओं के इस आरोप पर पर हिन्दू संगठनों और नेताओं ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की थी। मध्यप्रदेश मे इसके पूर्व कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020’ को भी पारित किया था। इस कानून में अपना धर्म छिपाकर किए गए विवाह के मामलों में तीन से दस वर्ष की कैद और पचास हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसमें धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति के माता-पिता, कानूनी अभिभावक या संरक्षक और भाई-बहन इस संबंध में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसमें धर्मांतरण हेतु उत्सुक व्यक्ति को दो माह पूर्व जिला प्रशासन को आवेदन देना आवश्यक होगा। इस कानून के अनुसार पीड़ित महिला कानून के तहत रखरखाव भत्ता पाने की अधिकारी होगी। ऐसी शादियों से जन्मे बच्चे पिता की संपत्ति के हकदार भी होंगे।
मुख्यमंत्री मप्र द्वारा अपने एक सार्वजनिक भाषण मे यह कहना एक सख्त संदेश देता है कि “पूरे देश मे एक षड्यंत्र चल रहा है उसके खिलाफ आपको आगाह और चेता रहा हूं, कुछ ऐसे लोग सक्रिय हैं, जो हमारी बेटी से शादी कर लेते हैं और धर्मांतरण धर्म बदलने की कोशिश करते है उनके धर्मान्तरण के मंसूबे मध्य प्रदेश की धरती पर साकार नही होने दूंगा।”
कुल मिलाकर आशय यह कि मप्र मे और विशेषतः मप्र के सुदूर ग्रामीण व जनजातीय जिलों मे धर्मांतरण को लेकर विभिन्न प्रदेशों से आए हुए जो गिरोह सक्रिय हैं उनपर नकेल कसने की तैयारी शिवराज सरकार ने कर ली है। किंतु, यह सबसे बड़ा सत्य है कि शासन के रोकने से धर्मांतरण नहीं रुकेंगे, धर्मांतरण तभी रुकेंगे जब समाज स्वयं जागरूक होगा व समूचे समाज मे समरस, सर्वस्पर्शी व सर्व समावेशी धार्मिक वातावरण तैयार नहीं होता।
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार (राजभाषा)
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