लोनी की 11 ग्राम पंचायतों के लोगों ने गांवों के मुस्लिम सूचक नाम बदलवाने का उठाया बीड़ा : 20000 लोगों ने हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास

20000 लोगों ने हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास

लोनी ( विशेष संवाददाता) । इतिहास करवट ले रहा है और अब वह अपने सही स्वरूप में आ जाना चाहता है। इसी के दृष्टिगत गांव लोनी विकास खंड के 11 गांवों के लोगों ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वह उनके गांवों के मुस्लिम सूचक नामों को हटाकर उनके सही नाम रखने का कष्ट करें।


ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संकल्पबद्ध हैं कि उत्तर प्रदेश के जिन गांवों शहरों या महानगरों के मुख्य नामों के साथ जबरन अन्य नाम जोड़ दिए गए थे, जनता की मांग पर गुलामी और प्राचीनता के सूचक उन नामों को भू-राजस्व अथवा अन्य रिकॉर्डों से हटवा दिया जाए ।
इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के अतीत में तत्कालीन वामपंथियों द्वारा अनेक गांवों अथवा शहरों के साथ प्रायः इस्लामिक नाम जोड़ दिए गए थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने जनता की मांग पर ऐसे गुलामी के सूचक नामों को हटाने का निर्णय लिया है ।
विकासखंड लोनी गाजियाबाद की 11 पंचायतों टीला शहबाजपुर, शरफुद्दीनपुर जावली, शरीफाबाद राजपुर, मुर्तजाबाद भूपखेडी, फातियाबाद निठौरा, महमूदपुर, अफजलनगर सीती, औरंगाबाद रिस्तल, नुसरताबाद खरखरी, बादशाहपुर सिरौली, जाफराबाद गनौली ने अरविंद आर्य टीला निवासी के अनुरोध पर अपनी ग्राम सभाओं से प्रस्ताव पारित कराकर एवं सभी स्थायी ग्रामवासियों के 20000 से अधिक लोगों के समर्थन हस्ताक्षर प्राप्त कर उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी घोषित कार्ययोजना के अनुसार उनके गांवों के मौलिक नाम के साथ लगे अन्य गुलामी के सूचक नाम को हटाने का आवेदन किया है, इस आशय से 11 गांवों के बीस हजार हस्ताक्षर सहित समस्त आवेदन 1000 पृष्ठों की पत्रावलियों को अरविंद आर्य सहित क्षेत्र के लोगों एवं संबंधित प्रधानों के साथ मिलकर उपजिलाधिकारी विकासखंड लोनी (SDM)को प्रस्ताव सौंपा गया, ताकि समस्त पत्रावली को उचित प्रक्रिया के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी तक पहुंचाया जा सके।
इस कार्ययोजना को पूरा होने में 8 माह लग गए। यद्यपि अरविंद आर्य इस कार्य को 3 माह में ही पूर्ण कर लेना चाहते थे। परंतु कुछ लोगों की निष्क्रियता के कारण समय कुछ अधिक लग गया। यदि अरविंद आर्य इस अभियान में तन्मयता के साथ रात दिन तल्लीन नहीं होते तो शायद 20 गांवों में से इन 11 गांवों की प्रक्रिया भी अधूरी ही रह जाती और लोनी के ग्रामीण गुलामी के बोझ को फिर से ढोते रहते, आर्य अरविंद मावी दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर सेवारत हैं और इस ही बीच में शारीरिक दुर्घटना होने के कारण उनके हाथ में चोट लग गई जिसमें की फ्रैक्चर आ गया था ।
अरविंद को 21 दिन का मेडिकल मिला। जिस अंतराल में उन्होंने ईश्वरीय कृपा को मानते हुए और साहस दिखाते हुए स्वयं गाड़ी से गांव गांव घर घर जाकर कार्यकर्ताओं को चेताया वा इस कड़ी में ऊर्जा प्रवाहित करी । और वास्तव में व्याधि रोग से ग्रसित होना दुःखद था लेकिन वें मानते हैं कि सौभाग्य से उनके साथ यह संयोग ही हुआ,,, क्योंकि यदि उन्हें चोट न लगती तो उन्हे पुलिस विभाग से छुट्टी भी न मिलती और यह प्रक्रिया और लम्बा समय ले सकती थी । बीच में ग्राम प्रधानों से लेकर आश्वासन देने वाले जनों ने आर्य जी के फोन तक उठाने बंद कर दिए थे । अंत तक के क्षणों तक स्वयं मुख्य कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में रुचि खत्म कर दी थी । टीम के सबसे छोटे कार्यकर्ता आर्य निखिल कसाना ने सर्वप्रथम सोशल मीडिया के माध्यम से क्षेत्रवासियों को गांवों के नाम परिवर्तन हेतु विचार साझा किया था जिसे क्रिया रूप में आर्य अरविंद मावी जी ने अनेकों व्यस्तताओं व कठिनताओं के बीच मूर्तरूप प्रदान कर संकल्पबद्ध किया ।
इतने संघर्ष के पश्चात् श्री अरविंद आर्य जी सहित हम सभी कार्यकर्ता आशा व्यक्त करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने द्वारा घोषित कार्ययोजना को शीघ्र क्रियान्वित कर हमें कृतार्थ करेगी । उपजिला अधिकारी महोदय को प्रस्ताव जमा करने के दौरान आर्य अरविंद मावी, आर्य दीपक कसाना, वीरेंद्र कसाना, सतीश मावी, बिजेंद्र मावी एवम् आर्य निखिल कसाना उपस्थित रहे ।

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