डॉ घनश्याम बादल
आज भारत अपना चौहतरवां गणतंत्र दिवस मना रहा है और इतिहासकार दावा करते हैं कि भारत ही विश्व में गणराज्य का जनक है कुछ लोग गणराज्य को शिवजी के गणों से जोड़कर देखते हैं तो कुछ लोग गणेश जी से कुछ का मानना है कि यहां बौद्ध काल एवं उससे भी पहले यथार्थ के धरातल पर गणराज्य की स्थापना हो चुकी थी।
दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में “रिपब्लिक” शब्द का उपयोग करते हैं – निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में “गणराज्य” शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे “शासितों की सहमति” से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव दिखावा मात्र है ।
गणराज्य वह देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति ही पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र कहा जाता है। चाबी दे दे भाई के ध्यान रहे कि लोकतंत्र या प्रजातंत्र और गणराज्य दोनों एक नहीं है बल्कि उनमें कुछ अंतर है। लोकतन्त्र वह शासनतन्त्र है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है।
हर गणराज्य का लोकतान्त्रिक होना अवश्यक नहीं है। तानाशाही, जैसे हिट्लर का नाज़ीवाद, मुसोलीनी का फ़ासीवाद, पाकिस्तान और कई अन्य देशों में फ़ौजी तानाशाही, चीन, सोवियत संघ में साम्यवादी तानाशाही, इत्यादि गणतन्त्र हैं, क्योंकि उनका राष्ट्राध्यक्ष एक सामान्य व्यक्ति थे। लेकिन इन राज्यों में लोकतान्त्रिक चुनाव नहीं होते, जनता और विपक्ष को दबाया जाता है और जनता की इच्छा से शासन नहीं चलता। पाकिस्तान,चीन ,अफ़्रीका के कई देश,ईरान, बर्मा
दक्षिणी अमरीका के कई देश ऐसे ही देशों में शामिल हैं।
हर लोकतन्त्र का गणराज्य होना भी आवश्यक नहीं है। संवैधानिक राजतन्त्र, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष एक वंशानुगत राजा होता है, लेकिन असली शासन जन्ता द्वारा निर्वाचित संसद चलाती है, इस श्रेणी में आते हैं। जैसे
ब्रिटेन और उसके डोमिनियन :,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया,स्पेन
बेल्जियम,नीदरलैंड्स, स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क,जापान ,कम्बोडिया ,लाओस आदि ऐसे लोकतांत्रिक देश है जो गणतंत्र नहीं हैं ।
पश्चिम के इतिहासकार दावा करते रहे हैं कि विश्व का पहला गणतंत्र राज्य एथेंस था लेकिन भारतीय इतिहासकारों का मानना है कि जब एथेंस का अस्तित्व भी नहीं था तब भारत में लोकतंत्र था और लोकतंत्र की अवधारणा भारत की देन है।
प्रमाण के रूप में महाभारत में इसके सूत्र मिलते हैं। बौद्ध काल में वज्जी, लिच्छवी, वैशाली जैसे गणराज्य लोकतांत्रिक व्यवस्था के उदाहरण माने जाते हैं । वैशाली के तो पहले राजा विशाल को चुनाव द्वारा चुना गया था। इसका मतलब साफ है कि तब से ही वैशाली में गणराज्य की स्थापना हो गई थी
‘अर्थशास्त्र’ नामक प्राचीन पुस्तक में कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है ने लिखा है कि तब गणराज्य दो तरह के होते थे , पहला अयुध्य गणराज्य यानि की ऐसा गणराज्य जिसमें केवल राजा ही फैसले लेते हैं, दूसरा है श्रेणी गणराज्य जिसमें हर कोई भाग ले सकता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी लिच्छवी, बृजक, मल्लक, मदक और कम्बोज आदि जैसे गणराज्यों का उल्लेख मिलता है।
इतना ही नहीं उनसे भी पहले पाणिनी ने गणराज्यों का वर्णन ‘व्याकरण’ में किया है। पाणिनी की अष्ठाध्यायी में जनपद शब्द का उल्लेख अनेक स्थानों पर किया गया है, जिनकी शासनव्यवस्था जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में रहती थी।
भारत में बौद्धकाल में 450 ई.पू. से 350 ई. तक चर्चित गणराज्य थे पिप्पली वन के मौर्य, कुशीनगर और काशी के मल्ल, कपिलवस्तु के शाक्य, मिथिला के विदेह और वैशाली के लिच्छवी का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता रहा है। इसके बाद अटल, अराट, मालव और मिसोई गणराज्यों का भी उल्लेख है। वस्तुत: गणराज्य बौद्धकाल में ही नहीं जन्में बल्कि उससे भी पहले विद्यमान थे परंतु बौद्धकाल में और मजबूत हुए।
भारत में गणतंत्र वैदिक काल से चला आ रहा है। एक जानकारी के अनुसार गणतंत्र शब्द का प्रयोग विश्व की पहली पुस्तक ऋग्वेद में चालीस बार, अथर्ववेद में 9 बार और ब्राह्मण ग्रंथों में हुआ है। वैदिक काल में अधिकांश स्थानों पर भारत में गणतांत्रिक व्यवस्था थी।
ऋग्वेद में सभा और समिति में राजा मंत्री और विद्वानों से सलाह मशवरा करते थे समीति ही राज्य के लिए इंद्र का चयन करती थी।तब इंद्र एक पद था।
यूनेस्को ने भी ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है।
सच तो यह है कि यूनान के गणतंत्रों से बहुत पहले ही भारत में गणराज्यों का जाल बिछा हुआ था। यूनान ने भारत को देखकर ही गणराज्यों की स्थापना की थी। यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने भी अपनी पुस्तक में क्षुद्रक, मालव और शिवि आदि गणराज्यों का वर्णन किया है। सिकंदर के भारत अभियान को इतिहास में रूप में प्रस्तुत करने वाले डायडोरस सिक्युलस तथा कॉरसीयस रुफस ने भारत के सोमबस्ती नामक स्थान का उल्लेख करते हुए लिखा है कि वहां पर शासन की ‘
की ‘गणतांत्रिक प्रणाली थी, न कि राजशाही।’ डायडोरस सिक्युलस ने अपने ग्रंथ में भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में अनेक गणतंत्रों की उपस्थिति का उल्लेख किया है।
तो आइए हंसी खुशी मनाते हैं दुनिया के सबसे पहले गणराज्य भारतवर्ष का यह गणतंत्र दिवस।
डॉ घनश्याम बादल
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