गोखरू से वेल्क्रो का आविष्कार, रचना या रचयेता महान*

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आर्य सागर खारी🖋️

शुष्क रेतीले मरुस्थलीय वातावरण में पाए जाने वाले गोखरू के पौधे से कौन परिचित नहीं होगा जिसके कांटेदार बीज पत्र या फल को भी गोखरू ही कहा जाता है। अंग्रेजी में उसे बर कहते हैं। यूं तो गोखरू फल फूल जड़ पत्ती सहित आयुर्वेद की दिव्य रामबाण औषधि है विशेषकर मधुमेह के मामले में ,मुत्र , प्रोस्टेट संबंधी रोगों में लेकिन आप यह जानकर चौक जायेंगे गोखरू का कटीला बीजपत्र बीसवीं सदी के सबसे सर्वव्यापी सर्व हितकारी आविष्कार का आधारभूत प्रेरणा स्रोत बना। जिसने मेडिकल परिधान से लेकर टैक्सटाइल फैब्रिक स्पोर्ट्सवियर फुटवियर इंडस्ट्री यहां तक कि अंतरिक्ष विज्ञान में भी क्रांति मचा दी। में बात कर रहा हूं ‘हुक एंड लूप फास्टनर’ की जिसे ब्रांड नेम वेल्क्रो के नाम से जाना जाता है।

सीट कवर से लेकर एसी टीवी फ्रिज के कवर सभी में वेल्क्रो का इस्तेमाल होता है। सभी आज इसका इस्तेमाल करते हैं। वेल्क्रो के अविष्कार की पृष्ठभूमि पर चर्चा कर लेते हैं घटना 1941 की है स्विस इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ‘जार्ज डि मेस्ट्रल’ अपने प्रिय कुत्ते के साथ पहाड़ी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे जैसे ही वह कटीली झाड़ियों से होकर गुजरे उनकी पैंट जैकेट यहां तक की कुत्ते के बालों पर कटीले गोखरू चिपक गए… घर वापसी पर उन्होंने अपने कपड़ो से गोखरू को हटाया तो उन्होंने गौर से देखा नंगी आंखों से गोखरू के कांटों को कांटे एकदम सीधे दिखाई प्रतीत हो रहे थे… गोखरू की सतह का उन्होंने रासायनिक परीक्षण भी किया कोई प्राकृतिक गोंद हो जिसके कारण गोखरू कपड़े से चिपकते हो रासायनिक विश्लेषण में भी उन्हें निराशा हाथ लगी गोखरू की सतह प्राकृतिक गोंद से मुक्त थी लेकिन आविष्कारक लोग अलग ही धातु के बने होते हैं वह कार्य के लिए जिम्मेदार कारण की तरह पर पहुंच कर ही दम लेते हैं ऐसे ही मेस्ट्रल थे । उत्सुकता वश उन्होंने गोखरू के एक फल को अपनी जेब में रख लिया अपने संस्थान मैं माइक्रोस्कोप से उसका अध्ययन करने के लिए। जब माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर उन्होंने गोखरू को देखा तो वह दंग रह गए ! आंखों से सीधे हम और आप सभी को दिखाई देने वाले गोखरू के काटे एकदम सीधे नहीं होते सिरे से मुड़े हुए J आकार के हुक के रूप में होते हैं… हुकनुमा गोखरू के कांटे कपड़े बाल आदि के धागे नुमा लूप से उलझकर फिक्स हो जाते हैं…. चिपक जाते हैं बगैर छुटाये नहीं छुटते ।

अब जॉर्ज मेस्ट्रल को अपने आविष्कार की प्रेरणा मिल गई थी । कपास से लेकर नायलॉन पॉलिस्टर के तंतुओं का प्रयोग करते हैं उन्होंने वेल्क्रो का निर्माण कर दिया। जिसने रेडीमेड गारमेंट कपड़ा उद्योग में क्रांति मचा दी। 1957 में उन्होंने पेटेंट हासिल किया आज वेल्क्रो मल्टीनेशनल कंपनी है जिसमें 15000 से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं। सस्ती से सस्ती से लेकर महंगी से महंगी वेल्क्रो यही कंपनी बनाती है। हमारे रोजमर्रा से लेकर वैज्ञानिक अनुसंधान उपकरणों में काम आने वाले उत्पाद यही कंपनी तैयार कर रही है।

भगवान कि प्रत्येक रचना निराली है उसकी रचना से प्रेरणा लेकर इंसान ने आज बहुत कुछ हैरतअंगेज रच डाला है… इंसानी मस्तिष्क प्रयोगशाला से निकला कोई भी अविष्कार ऐसा नहीं है जिसकी प्राथमिक मूलकृति प्रकृति में उपलब्ध ना हो। दुनिया ऐसी क्रमबद्ध सुव्यवस्थित सुगठित रचनाओं से भरी पड़ी है इसे चमत्कार कहे या विज्ञान इन रचनाओं व इनके रचयेता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे जगत रूपी भगवान की कार्यशाला में चमत्कार जैसी वस्तु संकल्पना का कोई स्थान नहीं है…. सब कुछ रचना महान है लेकिन मूर्खों के लिए धर्म का आधार चमत्कार होता है ।ज्ञानियों योगियों मेधावीयो यति जनो आविष्कारको के लिए धर्म का आधार विज्ञान होता है। चाहे आध्यात्मिक विज्ञान हो या भौतिक विज्ञान… विज्ञान मतलब विशिष्ट ज्ञान…. जो अखंड एकरस सार्वदेशिक रहता है कार्य कारण के सिद्धांत का अतिक्रमण नहीं करता…. वैदिक दर्शन चिंतन धर्म इन सभी विशेषताओं को समाहित किए हुए हैं…। अर्वाचीन समी मत पंथ संप्रदाय इन सभी आधारभूत संकल्पनायो विशेषताओं से कोसों दूर है…!

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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