विहिप की ओर से किया गया समरसता कार्यक्रम का आयोजन: राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बोले : सभी हरिजन हमारे भाई हैं, हिंदू समाज को तोड़ने की कोई कोशिश सफल नहीं होने देंगे

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ग्रेटर नोएडा । (अजय कुमार आर्य) यहां के इन्नोवेटिव कॉलेज में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से समरसता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य देश में जाति-पाति, ऊंच-नीच, भेद-भाव को खत्म करना और नारी शक्ति को समाज में बढ़ावा देना रहा। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव देशपांडे ने शिरकत की। प्रान्त सहमंत्री राजकुमार डूंगर, आरएसएस के जिला संघचालक रणबीर , विहिप के जिलाध्यक्ष विनय चौधरी, प्रान्त समरस्ता प्रमुख ऋषि पाल, पूज्य संत सुशील महाराज जी और मुख्यतिथि एवं इन्नोवेटिव कॉलेज के डायरेक्टर देवाशीष मंचासीन रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ दीप्ति सिंह ने की और मंच का संचालन नोएडा विभाग मन्त्री डॉ विकास पवार द्वारा किया गया। इस मौके पर मेरठ क्षेत्र के समरस्ता प्रमुख वीरेंद्र जी, प्रान्त सह सेवा प्रमुख उमानंद कौशिक और प्रान्त प्रचार प्रमुख अवधेश पांडेय वे जिला गौतमबुद्ध नगर संयोजक बजरंगदल गौरव चौधरी समेत नोएडा महानगर और गौतमबुद्ध नगर के पदाधिकारी एवं कई सामाजिक संस्थाओं के प्रमुख मौजूद रहे।


इस अवसर पर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव देशपांडे ने कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने ओजस्वी भाषण में कहा कि जातिवाद, छुआछूत और अस्पृश्यता भारतीय वैदिक संस्कृति के कभी अंग नहीं रहे। हमने कण-कण में भगवान को देखा है तो मनुष्य मात्र में भी भगवान को ही देखने का विशाल दृष्टिकोण अपनाया है। श्री देशपांडे ने कहा कि भारत में अस्पृश्यता विदेशी आक्रमणकारियों के समय से पैदा हुई। उसी समय देश में अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों ने भी जन्म लिया। जो बाद में जाकर हमारे लिए जी का जंजाल बन गईं और आज तक हमारा पीछा कर रही हैं।
उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि देश के लोगों में जातिवाद, ऊंच नीच हावी होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की संकीर्णता को अपनाने वाले लोग या समाज कभी कोई बड़ा काम नहीं कर पाते हैं। मानवता के विरुद्ध अस्पृश्यता को एक अपराध बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने राष्ट्रीय समाज को मजबूत करने के लिए हिंदू समाज को मजबूत करने की आवश्यकता है। जिसके लिए अपने किसी भी भाई को पीछे छोड़ना राष्ट्रीय अपराध के समान होगा। श्री देशपांडे ने अनेक ऐतिहासिक उदाहरण देकर स्पष्ट किया कि किस प्रकार विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे लोगों को मैला उठाने के लिए मजबूर किया और किस प्रकार उनसे छोटे काम करवाए ? जिससे देश के भीतर अस्पृश्यता जैसी बीमारी घर कर गई।
उन्होंने कई बड़े उदाहरण देते हुए कहा कि इसी तरह के भेदभावों की वजह से देश मे इस्लाम धर्म आज बड़े पैमाने पर है। इन्हीं भेदभावों की वजह से लोग धर्म परिवर्तन की ओर कदम रखते हैं। किसी भी प्रकार से विकास की प्रक्रिया में पीछे रह गए हमारे भाइयों को ही विदेशी मजहब के लोग अपनी ओर आकर्षित करते हैं जिनका उद्देश्य भारत की एकता और अखंडता को समाप्त कर हिंदू का विनाश करना है। हमें समय रहते इस प्रकार के षड्यंत्रों से सावधान रहने की आवश्यकता है और जो लोग विदेशी मजहब को स्वीकार कर चुके हैं उन्हें भी भारत की एकता और अखंडता के दृष्टिगत अपने मूल से जुड़ने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीने का अधिकार होना चाहिए । इसके उपरांत भी यह आवश्यक है कि किसी की मजहबी मान्यताएं राष्ट्र की एकता और अखंडता के आड़े नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति वाद की कुप्रथा को खत्म किया जाना समय की आवश्यकता है।
इसके अलावा नारियों पर होने वाले अत्याचारों को लेकर उन्होंने कहा कि इस्लाम आने के बाद ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़े। और इसी वजह से हिंदुओं में कुप्रथाओं की शुरुआत हुई। साथ ही देशपांडे ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के गोत्र की जांच करने की मांग की जिससे हम अपने प्रत्येक हरिजन भाई को उनके मूल से जोड़ने में सफल हो सकते हैं। इस अभियान को चलाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कमर कसनी चाहिए। इतिहास के संदर्भ देकर उन्होंने बताया कि अनेक ऊंची जातियों के लोगों के गोत्र आज भी हमारे हरिजन भाइयों में मिलते हैं। जिससे पता चलता है कि इतिहास में गहरा घालमेल हुआ है और एक षड्यंत्र के अंतर्गत हमारे देशभक्त हिंदुओं को किसी काल विशेष में छोटी जातियों में तब्दील कर दिया गया।
कार्यक्रम में 27 से अधिक हिन्दू धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। वहीं विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के लगभग दो सौ से अधिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

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