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इसलाम और शाकाहार

कुरान और हदीसें कितनी सही हैं ?

इस समय पूरा विश्व इस्लामी आतंक से ग्रस्त है , कट्टर मुस्लिम इस्लाम के नाम से गैर मुस्लिमों , महिलाओं , यहाँ तक बच्चो के साथ जो अत्याचार और अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं ,वह सारी दुनियां देख रही है , अधिकांश मुसलमान ऐसे कुकर्मों को अपराध नहीं बल्कि धार्मिक कार्य मानते हैं , और जब भी इस्लाम की ऐसी शिक्षा या रूढिवादी मान्यताओं को सुधारने का प्रयास किया जाता है तो , मुल्ले मौलवी तुरंत विरोध करने लगते हैं , और कहते हैं कि इस्लाम में बदलाव या संशोधन नहीं हो सकता क्योंकि कुरान अल्लाह की किताब है , और कुरान में खुद अल्लाह ने यह दावा किया है

“बेशक यह किताब हमने ही उतारी है ,जो बरकत वाली है ” सूरा -अल अनआम 6: 156

,फिर अल्लाह ने लोगों के ज्ञान का द्वार बंद करने के लिये यहां तक कह दिया ,

1-कुरान में सबकुछ मौजूद है

” हमने अपनी इस किताब में कोई चीज नहीं छोड़ी है “सूरा -अनआम 6:38

“कोई शुष्क या गीली ऐसी कोई चीज नहीं है , जिसके बारे में स्पष्ट रूप में इस किताब में नहीं लिखा हो “सूरा -अनआम 6:59
“यह ऐसी किताब है कि जो न तो कोई छोटी चीज छोडती है , और न कोई बड़ी ,बल्कि इन्हें गिन लिया गया है ” सूरा – कहफ़ 18:49
” हमने ऐसी किताब उतारी है ,जो हर बात को खोल कर बयान करने वाली है ” सूरा -नेहल 16:89

फिर अल्लाह ने अपनी स्मरण शक्ति की तारीफ़ करते हुए डींग मारी

2-अल्लाह कभी भूलता नहीं

“और तुम्हारा रब कभी भूलने वाला नहीं है ” सूरा – मरयम 19:64

وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِيًّا

यहाँ तक तो कुरान की ईश्वरीय पुस्तक होने पर शंका नहीं उठती लेकिन जब खुद अल्लाह यह कहे तो ऐसा लगता है अल्लाह कोई सामान्य अरबी मनुष्य रहा होगा क्योंकि तथाकथित अल्लाह ने जब यह कहा तो उसकी पोल खुद खुल गयी

3-अल्लाह भूल जाता था

مَا نَنسَخْ مِنْ آيَةٍ أَوْ نُنسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَا أَوْ مِثْلِهَا أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ “2:106

do we abrogate or cause be forgotten, but we bring (in place) one better or the like thereof.

“जब हम एक आयत की जगह दूसरी आयत लाते हैं तो अल्लाह भली भांति जानता है ” सूरा -नहल 16:101

कुरान के बारे में अल्लाह द्वारा किये गए इन दावों और विरोधाभासी बयानों को देख कर कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ सकता है कि कुरान मुहम्मद के वचनों का संग्रह है , क्योंकि कुरान में लड़कों और लड़कियों की खतना के बारे में कुछ नहीं लिखा है , जबकि यह बात हदीस में मौजूद है , दूसरा कारन यह है कि कुरान और हदीसों की भाषा शैली , एक ही है , जो मुहम्मद का कबीला कुरैश बोलता था .
4- हदीस क्या हैं ?

सुन्नी मुसलमान कुरान के बाद हदीस – حديث‎‎ ” को प्रामाणिक मानते है , इसका बहुवचन “अहादीस أحاديث- ” होता है , इसका आशय मुहमम्द साहब के कथन (Sayings ) या वचन है , जो रसूल ने जीवन भर विभिन विषयो , पर और समय पर कहे थे , जो रसूल की मृत्यु के करीब दो सौ साल जमा किये गए थे , हदीसों की मुख्य 6 किताबें प्रामाणिक मानी जाती है , इनमे वह बातें भी हैं ,जो कुरान में नहीं हैं , जैसे खतना करना , नमाज कितनी बार और कब पढ़ें , नमाज पढने का तरीका इत्यादि , इसी लिए मुस्लिम विद्वान् हदीस को कुरान का परिशिष्ट या सम्पूरक कहते हैं . सुन्नी मुस्लिम कुरान साथ हदीसों को भी प्रामाणिक मानते हैं ,जिनमे 6 किताबें मुख्य हैं ,इन हदीसों का संकलन मुहमम्द साहब की मृत्यु के बाद दोसौ या तीन सौ के बिच हुआ था .पूरी कुरान में हदीस शब्द 26 बार आया है , जिसका अर्थ कथन , बात , ,कहानी , है , लेकिन कुरान में 3 बार कुरान को भी हदीस कहा गया है , जैसे ,

5-कुरान भी हदीस है

“अल्लाह ने यह सर्वोत्तम हदीस उतारी है , ऐसी किताब जिसके सभी भाग परस्पर मिलते जुलते हैं , और बार बार दोहराये गए हैं ”

“اللَّهُ نَزَّلَ أَحْسَنَ الْحَدِيثِ كِتَابًا مُتَشَابِهًا مَثَانِيَ ”

सूरा -अज जुमर 39:23

” यदि ये लोग सच्चे हैं तो इस जैसी कोई हदीस बना कर दिखाएँ ”

“فَلْيَأْتُوا بِحَدِيثٍ مِثْلِهِ إِنْ كَانُوا صَادِقِينَ ”

सूरा – अततूर 52:34

“अब इसके बाद कौन सी हदीस होगी , जिस पर यह लोग विश्वास करेंगे ? ”

“فَبِأَيِّ حَدِيثٍ بَعْدَهُ يُؤْمِنُونَ ”

सूरा -अल मुरसलात 77:50

कुरान की इन आयतों से सिद्ध होता है कि कुरान की सभी आयतें हदीसें हैं , यानी किसी फरिश्ते द्वारा भेजी हुई या अल्लाह के वचन नहीं खुद मुहम्मद द्वारा कही गयी बातें हैं , क्योंकि कुरान और हदीसों में जिस अरबी ” बोली -Dilect ” का प्रयोग किया गया है वही मुहमम्द के काबिले कुरैश लोग भी बोलते थे , अंतर केवल इतना है कि कुरान की आयतों का संकलन और संपादन रसूल की मौत के कुछ ही महीनों बाद हो गया था , जबकि हदीसें इसके काफी बाद इकट्ठी की गयी थीं , इसी लिए तो रसूल ने कह दिया था

सईदुल खुदरी ने कहा रसूल का आदेश है मुझ से कुरान अलावा किसी और हदीस को नहीं लिखवाना , और यदि लिख लो तो उसे मिटा देना .

Abu Sa’id Khudri reported that Allah’s Messenger (ﷺ) said:

“Do not write anything from me except quran . Anyone who wrote anything other than the Quran shall erase it.”

“‏ لاَ تَكْتُبُوا عَنِّي وَمَنْ كَتَبَ عَنِّي غَيْرَ الْقُرْآنِ فَلْيَمْحُهُ وَحَدِّثُوا عَنِّي وَلاَ حَرَجَ وَمَنْ كَذَبَ عَلَىَّ ”

Reference : Sahih Muslim 3004
In-book reference : Book 55, Hadith 92
USC-MSA web (English) reference : Book 42, Hadith 7147

6-आयतों के उतरने का हिसाब

इस्लामी इतिहासकारों के अनुसार कुरान 23 सालों में थोड़ी थोड़ी उत्तरी थी , वर्त्तमान कुरान में कुल 6666 आयतें है , अर्थात औसत हर साल में 290 आयतें और हर महीने लगभग 25 आयतें उतरती थी , इसका कारण यह है कि मुहमम्द साहब अक्सर किसी न किसी जिहादी अभियान में लगे रहते थे , और जब फुरसत मिलती थी ,तो अपने कहे गए वचनों को लोगों से लिखवा लेते थे , जिन्हें अबू बकर ने एकत्रित करके एक किताब बनवा दी ,जिसे आज कुरान कहा जाता है , वास्तव में कुरान का असली नाम ” किताब – الكِتاب ” ही है ‘
“ذَٰلِكَ الْكِتَابُ لَا رَيْبَ فِيهِ هُدًى لِلْمُتَّقِينَ “सूरा -2:1 कुरान शब्द तो काफी बाद में प्रचलित हुआ

इसके विपरीत मुहम्मद साहब की पत्नी और रिश्तेदार घर बैठे ही उनके नाम से अधिक तेजी से हदीसें रचते रहते थे , चाहे वह वहां मौजूद हो या नहीं , और चाहे उन्होंने वह बात नहीं भी कही हो , जैसे23 साल में आयशा ने 2210 ,उमर बिन खत्ताब ने 537 और अली ने 536 हदीसें बयान की हैं , जबकि मुहम्मद साहब के सहाबा अबू हुरैरा , जो मुहम्मद के साथ सिर्फ दो साल ही रहा था इतने कम समय में 5374 हदीसें जमा कर ली थी , अर्थात वह हर महीने औसत 111 यानी प्रति दिन 37 हदीसें जमा करता था , जबकि मुहम्मद के ससुर अबूबकर 23 साल में सिर्फ 142
हदीसें बयान की हैं

7-अबू हुरैरा का परिचय

अबू हुरैरा का पूरा नाम “अबू हुरैरा अद्दौसी अज्जहरानी – أبو هريرة الدوسي الزهراني‎‎‎;” था , इसका काल ई 603-681 ,था जिहाद में मिलने वाले लूट के मॉल के लालच में मुस्लमान हो गया था , और मुहम्मद का साथी बन गया था , यह मुहम्मद के नाम से ऐसी बातें कहता था , जो मुहम्मद ने नहीं कही थी , लोग इन्हें सच मान लेते थे , मुहम्मद की मृत्यु के बाद जब अबूबकर ने इसको बहरीन का गवर्नर बना कर भेज तो इसने लोगों को लूट कर दो लाख दिरहम जमा कर लिए , उस समय इतने धन से पूरा मक्का ख़रीदा जा सकता था ,

फिर भी आज के मुल्ले मौलवी इसके द्वारा गढ़ी हदीसों को प्रमाण मानते हैं।

सारांश यह है कि कुरान अल्लाह की किताब नहीं मुहम्मद के वचन ( sayings ) यानी हदीसें ही है , और लोग जिन्हें हदीसें मानते हैं ,वह मुहम्मद के नाम से उनके रिश्तेदारों और साथियों द्वारा कही गयी झूठी बातें ही हैं

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ब्रजनंदन शर्मा लेखक

( लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं जिनसे उगता भारत का कोई संबंध नहीं है।)

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