उसी अपराधी का पुनर्वास हो जो अपराध न करने की कसम ले

अशोक मधुप

यूपी में पिछले पांच सालों में 172 अपराधियों की मौत पुलिस की गोली से हुई है। पुलिस ने बताया कि 2023 के 11 दिनों में ही चार बदमाश मारे गए। कुल मारे गए बदमाशों में मेरठ जोन के सबसे अधिक 67 अपराधी थे। मुठभेड़ के दौरान 4562 आरोपी पुलिस की गोली से घायल होकर अस्पताल पहुंचे।

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के प्रति सख्ती के दिए निर्देश के परिणाम आने शुरू हो गए हैं। बड़े और पावरफुल अपराधी, डॉन और माफियाओं पर कार्रवाई होते देख अपनी जान बचाने के लिए छोटे−मोटे अपराधी अब अपनी पत्नी और बच्चों को ढाल बनाकर हाथ जोड़े थाने आ रहे हैं। सरेआम कह रहे हैं कि वे अपराध नहीं करेंगे। उनकी बात सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है, प्रश्न यह है कि वह अब अपराध नहीं करेंगे, तो क्या करेंगे? परिवार का खर्च कैसे चलेगा? उनकी रोटी रोजी का क्या होगा? इन अपराधियों के बच्चों की शिक्षा का क्या होगा? क्योंकि हिस्ट्री शीटर बदमाश को कोई काम पर रखने से रहा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के प्रति सख्ती के आदेश के बाद अपराधियों के विरुद्ध पूरे प्रदेश में कठोर कार्रवाई तो हो ही रही है साथ ही उन्हें सलाखों के पीछे धकेलने के साथ ही उनके द्वारा अर्जित अवैध संपत्ति भी सरकार द्वारा अधिगृहित की जा रही है। अवैध रूप से बने अपराधियों और हिस्ट्री शीटर के भवन और घर ढहाए जा रहे हैं। काबू में न आने वाले इनामी बदमाशों का शूटआउट किया जा रहा है। प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत सरकारी सूची से चिन्हित किए गए मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद समेत 25 नामी माफियाओं पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए 11.28 अरब की संपत्ति जब्त की गई। योगी सरकार में 5558 मामले दर्ज कर 22,259 अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

पिछले पांच सालों में 172 अपराधियों की मौत पुलिस की गोली से हुई है। पुलिस ने बताया कि 2023 के 11 दिनों में ही चार बदमाश मारे गए। कुल मारे गए बदमाशों में मेरठ जोन के सबसे अधिक 67 अपराधी थे। मुठभेड़ के दौरान 4562 आरोपी पुलिस की गोली से घायल होकर अस्पताल पहुंचे। 1375 पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस के 13 सिपाहियों की जान गई।

उधर, बड़े अपराधियों, बड़े और पावरफुल अपराधी, डॉन और माफियाओं पर कार्रवाई होते देख अपनी जान बचाने के लिए छोटे−मोटे अपराधी अब अपनी पत्नी और बच्चों को ढाल बनाकर हाथ जोड़े थाने आ रहे हैं। ऐसा ही अभी बिजनौर शहर कोतवाली में नजारा देखने को मिला। शाहिद निवासी टिक्कोपुर हाथ जोड़ थाने में आया। उसके साथ बच्चे को गोद में लिए उसकी पत्नी भी थी। वह हाथ जोड़कर कह रहा था कि वह हिस्ट्रीशीटर अपराधी है। वह वायदा करता है कि वह अपराध नहीं करेगा। ऐसा बिजनौर में ही नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश में कई जगह हुआ। इसी तरह जान की भीख मांगते अपराधी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ थाने आ रहे हैं। वायदा करते रहे हैं कि वे अब अपराध नहीं करेंगे। प्रश्न यह है कि ये मरने के डर से अपराध नहीं करेंगे तो काम क्या करेंगे। हाथ जोड़कर थाने आने वाले अपराधियों का परिवार कैसे चलेगा? परिवार की रोटी−रोजी कैसे चलेगी? हिस्ट्री शीटर को कोई नौकरी तो देगा नहीं? भूखे कब तक रहेगा? परिवार की भूख के आगे बड़े–बड़े घुटने टेक देते हैं। कहावत है कि भूख इंसान को गद्दार बना देती है। ऐसे में फिर उसे उसी रास्ते पर जाना पड़ेगा, जिसे मौत के डर से ये छोड़कर आए हैं।

ऐसे में जरूरी है कि सरकारी स्तर से उनके लिए व्यवस्था हो, जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इन पर नजर रखें। देखें कि परिवार का जीवन यापन कैसे चल रहा है। इनकी आय का क्या साधन है। आज गांव में विकास के लएि काफी धन आ रहा है, गांव के प्रधान से कहा जा सकता है कि अपराध न करने का वायदा करने वाले की गतिविधि पर नजर रखें। देखें कि इसके परिवार का खर्च कैसे चल रहा है। चल रहा है या नहीं। नहीं चल रहा तो वह मनरेगा या किसी और योजना में काम दे। मजदूरी कराए। किसी ठेकेदार के साथ लगा दे। प्रशासनिक अधिकारी भी किसी उद्योगपति से उसे उसकी क्षमता के हिसाब से काम देने को कह सकते हैं। अपराध छोड़ने वाले परिवार की जिम्मेदारी किसी समाजसेवी संगठन को भी दी जा सकती है।

थाने आकर अपराध ना करने की घोषणा करने वाले अपराधियों के पुनर्वास के लिए समाज, सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशाससन को सोचना होगा। ऐसी व्यवस्था करानी होगी कि उसे परिवार के भरण−पोषण का खर्च मिलता रहे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो मजबूरन ये फिर पुराने रास्ते पर लौट सकते हैं।

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