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थायरॉइड से परेशान हैं तो करें ये योगासन, मिलेगी राहत

वर्तमान समय में मनुष्य बीमारियों का घर बनता जा रहा है। मॉर्डन लाइफस्टाइल व खान-पान के कारण न सिर्फ व्यस्क बल्कि बच्चे भी बहुत सी बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं। थॉयराइड भी ऐसी ही एक बीमारी है। वैसे तो यह बीमारी गर्भवती मां से भी बच्चे को मिल जाती है लेकिन अगर आपके शरीर में थायरॉइड उतकों की वृद्धि होती है या फिर थायरॉइड ग्रंथि सामान्य रूप से कार्य नहीं करती तो भी आपको थायरॉइड नामक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। इन सबके अतिरिक्त शरीर में आयोडीन की कमी भी थायरॉइड होने का एक प्रमुख कारण बन सकती है। अमूमन इस बीमारी के होने के बाद आपको जीवनभर दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। लेकिन यदि आप अपने खान-पान व फिजिकल एक्सरसाइज पर थोड़ा ध्यान दें तो इसके प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। आईए जानते हैं कुछ ऐसे योगासनों के बारे में, जो थायरॉइड की समस्या में काफी लाभ पहुंचाते हैं-

सर्वांगासन- जैसा कि इसके नाम से ही व्यक्त होता है कि यह शरीर के सभी अंगों का आसन है। इसलिए इसे शरीर का संपूर्ण व्यायाम भी कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए सर्वप्रथम किसी दरी या योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को एक-दूसरे के पास रखें। इस दौरान हाथ को शरीर के पास रखें और हथेलियों को जमीन पर रखें। आसन करने के समय आपकी आंखें बंद व पूरा शरीर शिथिल होना चाहिए। अब गहरी सांस लेते अपने पैरो को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। पैरों को उठाते समय आपके घुटने मुड़े नहीं होने चाहिए। साथ ही पैरों को उठाते समय कमर को भी थोड़ा-थोड़ा ऊपर उठाएं। आप कमर और पीठ को ऊपर उठाने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं लेकिन आपकी कुहनियां जमीन से ही टिकी होनी चाहिएं। साथ ही आप सिर को भी उठाने की कोशिश न करें। इस स्थिति में आप जितना अधिक समय तक संभव हो सके, रूकें। उसके बाद धीरे-धीरे वापिस पहले की स्थिति में लौट आएं।
 मत्स्यासन- सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन करना काफी अच्छा रहता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले अपने दोनों पैरों को मोडक़र पद्मासन में बैठ जाएं। अब कोहनियों को मोड़ते हुए सिर को जमीन से लगाएं। इस दौरान आपकी कमर जमीन को नहीं छूनी चाहिए। इस प्रकार इस आसन में आपका शरीर मछली की भांति दिखाई देगा। अब दाएं हाथ से बाएं पैर व बाएं हाथ से पैर को पकड़ें। इस अवस्था में कुछ देर तक रूकें। फिर पुन: पहले की अवस्था में लौट आएं।
 विपरीतकर्णी आसन- इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले पीठ के बल एकदम सीधा लेट जाएं। अब धीरे-धीरे पैरों को ऊपर की ओर उठाएं। इस दौरान आपके घुटने मुडऩे नहीं चाहिए व हाथ जमीन पर ही टिके होने चाहिएं। अब पैरों को इतना अधिक उठाने की कोशिश करें कि आपके कूल्हे व कमर भी जमीन से ऊपर की ओर उठने लगें। बस आपका सिर जमीन से लगा होना चाहिए। अपनी बैक को सपोर्ट देने के लिए़ आप अपने हाथों को कूल्हों से ऊपर व कमर के निचले हिस्से पर रखें। कुछ क्षण इस अवस्था में रूकें। अब आप धीरे-धीरे पुन: वापिस स्थिति में लौट आएं। याद रखें कि इस दौरान आप शरीर को किसी प्रकार का झटका न दें। अगर आपको अत्यधिक योगाभ्यास़ नहीं है तो आप शुरूआती दौर में दीवार से लगकर भी आसन को कर सकते हैं।
हलासन- सर्वप्रथम पीठ के बल लेट जाएं व सांस अंदर भरते हुए धीरे-धीरे पैरों को उठाएं। अब पैरों को सिर के पीछे की ओर पीठ को भी ऊपर उठाते हुए ले जाएं तथा इस दौरान आप सांस बाहर की ओर निकालें। यह आसन करते समय आपके घुटने नहीं मुडऩे चाहिए। वैसे यह आसन करते समय आपके हाथ जमीन पर ही टिके होने चाहिए लेकिन अगर आपको इस योगासन का अभ्यास नहीं है तो प्रारंभ में आप सुविधा के लिए हाथों को कमर पर भी लगा सकते हैं। अब इस स्थिति में कुछ देर रूकें और फिर प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।

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