अंग्रेजों का भारत पर राज
जो जितने वेग से दबाया जाता है वही एक दिन उतने ही वेग से ऊपर उठता भी है। इसे प्रकृति का सनातन सत्य कहा जाता है। अतः।इसी सनातन सत्य का सहारा लेकर भारत सदियों तक संघर्ष करता रहा और उसने 1857 की क्रांति के पश्चात तेजी से उठना आरंभ किया। जिसमें महर्षि दयानंद जी का विशेष योगदान रहा । भारत की स्वाधीनता के लिए क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व महर्षि दयानंद की विचारधारा ने ही किया। आगे चलकर नरमपंथी और गरमपंथी नेताओं पर भी महर्षि का स्पष्ट प्रभाव देखा गया। उनके नेतृत्व में भारत जब उठा तो ऐसा उठा कि फिर 1947 तक रुका नहीं, झुका नहीं, थका नहीं और थमा नहीं। वह क्रांति पथ पर निरंतर दौड़ता रहा।
इंद्र विद्यावाचस्पति लिखते हैं कि “क्रांति से पहले लगभग 100 वर्षों तक अंग्रेजों का रथ रणभूमि में आगे ही आगे बढ़ता गया था। उनके सामने जो आया, वह शीघ्र ही या विलंब से चकनाचूर हो गया। साम्राज्य की सीमाएं बढ़ते बढ़ते पेशावर तक जा पहुंची थीं। इस विजय यात्रा का भारतवासियों के हृदयों पर यह प्रभाव पड़ रहा था कि अंग्रेज अजेय हैं , उनको जीतना तो क्या उनका सामना करना भी असंभव ही है।
1857 की क्रांति ने इस मानसिक निर्बलता के किले की दीवारों को जड़ मूल से हिला दिया। हिंदुस्तानियों ने अंग्रेज अफसरों को डोलियों पर चढ़कर भागते ,डरकर हिंदुस्तानियों के घरों में घुसकर प्राणों की भीख मांगते और मरते देख लिया। उन्होंने अंग्रेज सेनापतियों को राणा कुमार सिंह, रानी लक्ष्मीबाई और वीर तात्या टोपे जैसे सेनापतियों से मात खाते हुए भी देख लिया था। यह सब कुछ देकर उनका यह विचार बदल गया कि अंग्रेज हम लोगों से कहीं ऊंचे, अजय और अमर प्राणी हैं। उन्होंने उनका क्षुद्रतम रूप भी देख लिया। एक जाति की मनोवृति में आमूलचूल परिवर्तन करने के लिए ये दृश्य पर्याप्त थे।”
18 57 की क्रांति के पश्चात भारत रुका नहीं और वह क्रांति के मार्ग पर बढ़ता हुआ अपनी स्वाधीनता के लिए निरंतर और सतत साधना करता रहा। अंत में एक दिन वह आया जब भारत जीत गया। वास्तव में 15 अगस्त 1947 को जब भारत को स्वाधीनता प्राप्त हुई तो यह भारत के क्रांतिकारियों के महान पुरुषार्थ का परिणाम थी। यद्यपि भारत जीतकर भी बंट गया था, वह बंटना कांग्रेस जैसे भारत विरोधी संगठनों या सत्ता स्वार्थ में लगे सत्ता के सौदागरों की पराजित मानसिकता का परिणाम था।
निश्चित रूप से भारत की स्वाधीनता अभी अधूरी है ….?
मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत