आज देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि है। इस तिथि को लेकर भी कई प्रकार के वैसे ही प्रश्न हमारे मन मस्तिष्क में हर वर्ष उभरते हैं जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु को लेकर उनकी तथाकथित मृत्यु तिथि 18 अगस्त पर उभरते हैं। उस समय के सोवियत संघ के उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को कार्डियक अरेस्ट यानी प्राकृतिक मौत के कारण वह माना गया था। लाल बहादुर शास्त्री जी विनम्र और शालीन स्वभाव के व्यक्ति थे। यद्यपि वह इतने कमजोर नहीं थे। आत्मिक धरातल पर उन्होंने अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव और कठिनाइयों के दौर को देखा था। अत्यंत विषम स्थितियों में रहकर उन्होंने परिवार की चिंता किए बिना देश की चिंता करते हुए देश के राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया था। इसलिए उनका परिवार जानता था कि वह बड़ी से बड़ी समस्या से टूट नहीं सकते। परिवार के लोग यह भी जानते थे कि जब से वह सत्ता में आए थे तब से ही उनके लिए कितने शत्रु पैदा हो गए थे ? आज नफरत के बाजार में मोहब्बत के फूल बेचने वाले राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित उनसे हद दर्जे की नफरत पाल चुकी थीं और उन्हें तीन मूर्ति भवन में देख कर भी खुश नहीं होती थीं। उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास तीन मूर्ति भवन से स्थानांतरित करना पड़ गया था।
यही कारण था कि उनके परिवार ने हार्ट अटैक से होने वाली रिपोर्टस को खारिज कर दिया और कहा कि भारत के दूसरे प्रधान मंत्री की मृत्यु रहस्यमय थी । जब उनका शव दिल्ली में लाया गया तो उनके शुभचिंतकों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ था कि उनके शरीर पर नीले धब्बे पड़ गए थे।
लोगों के बार-बार के आग्रह के उपरांत भी उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। आनन-फानन में इंदिरा गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया और उसके पश्चात लाल बहादुर शास्त्री जी की रहस्यमई मौत के संबंध में उठने वाले सभी सवालों पर पूर्णविराम लग गया। इसके उपरांत भी लोगों में इस बात को लेकर सुगबुगाहट चलती रही कि लाल बहादुर शास्त्री जी मरे नहीं मारे गए थे तब 1977 में लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत की जांच के लिए एक संसदीय निकाय का गठन किया गया था। इस निकाय के समक्ष लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के अंतिम क्षणों में साथ रहने वाले दो प्रमुख गवाह डॉ. चुघ और पीएम के सेवक राम नाथ को गवाही के लिए आमंत्रित किया गया। परंतु देश के दूसरे प्रधानमंत्री के शुभचिंतकों और परिजनों को उस समय घोर निराशा हुई जब इन दोनों गवाहों की भी अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में रहस्यमय ढंग से मृत्यु ( हत्या ? ) हो गई। इस प्रकार जहां हम एक रहस्य की गुत्थी सुलझाने के लिए चले थे वहीं दो रहस्य और गहरा गए।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ‘द ताशकंद फाइल्स – हू किल्ड शास्त्री?’ नामक एक पुस्तक का विमोचन किया। और बाद में 2019 में लाल बहादुर शास्त्री की मौत के पीछे की साजिश को रेखांकित करते हुए एक फिल्म भी बनाई गई थी। ‘द ताशकंद फाइल्स – हू किल्ड शास्त्री?’ के लिए विवेक अग्निहोत्री ने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। अग्निहोत्री की फिल्म में दिखाया गया था कि शास्त्री की मृत्यु स्वाभाविक नहीं थी। वास्तव में सच यह था कि केजीबी ने उनकी हत्या कर दी थी। फिल्म में दिखाया गया है कि भारत में एक राजनीतिक दल द्वारा रची गई साजिश के तहत शास्त्री को केजीबी द्वारा जहर दिया गया था।
हम सभी को यह भी जानकारी है कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के पश्चात शास्त्री जी के परिवार की ओर से यह मांग उठाई गई थी कि उनके पिता और देश के दूसरे प्रधानमंत्री शास्त्री जी की मृत्यु की जांच कराई जाए। नफरत के बाजार में मोहब्बत के फूल बेचने वाले “नफरत का शिकार” बने देश के दूसरे प्रधानमंत्री और भारत के वास्तविक भारत रत्न के प्रति नफरत का यदि तनिक सा भाव भी नहीं रखते हैं और वह पाक साफ हैं तो उन्हें शास्त्री जी के परिवार की मांग के साथ सहमति व्यक्त कर आवाज उठानी चाहिए कि हम शास्त्री जी के परिवार के साथ हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि उनकी मृत्यु के संबंध में निष्पक्ष जांच कराई जाए ।
देश के सबसे लाडले और मानवीय गुणों से ओतप्रोत प्रधानमंत्री शास्त्री जी को उनके बलिदान दिवस पर समस्त उगता भारत समाचार पत्र परिवार की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत