25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……25
मराठा साम्राज्य
शिवाजी ने कुछ मवाले सैनिकों के साथ उबरखिंद की लड़ाई में शाहिस्ता खान के एक सरदार कलतल्फ खान को हराया। औरंगजेब ने अपने मामा शाहिस्ता खान को बादीबागम साहिबा, आदिशाही सल्तनत के अनुरोध पर 1,50,000 से अधिक शक्तिशाली सेना के साथ भेजा। अप्रैल 1663 में छत्रपति शिवाजी ने व्यक्तिगत रूप से लाल महल पुणे में शाहिस्ता खान पर आश्चर्यजनक हमला किया। ख़ान के बेटे मारे गए और मुग़ल भाग खड़े हुए।
छत्रपति शिवाजी ने आधी रात को 300 सैनिकों के साथ हमला किया, जबकि लालमहल में शाहिस्ता खान के लिए 1,00,000 सैनिकों की कड़ी सुरक्षा थी। इस घटना में छत्रपति शिवाजी ने शाहिस्ता खान के विरुद्ध विश्व ज्ञात इतिहास में संभवतः पहली बार किसी कमांडो कार्रवाई का प्रदर्शन किया। यदि कहीं किसी युद्ध क्षेत्र में भारतीयों के हारने का इतिहास है तो इतिहास यह भी है कि जब 300 सैनिकों ने 100000 सैनिकों को हराया । सचमुच दोनों दलों के बीच जमीन आसमान का अंतर था । वास्तव में भारत का पुनरुज्जीवी पराक्रम देखने के लिए उन 300 सैनिकों के इस दुस्साहस भरे कार्य को बार-बार दोहराना व समझना ही पड़ेगा । तभी पता चलेगा कि भारत आज भारत क्यों है ? क्यों वह एक जीवंत राष्ट्र है और क्यों वह अपने आप को सभ्यताओं के संघर्ष में बचाए रखने में सफल हुआ है ?
मराठा साम्राज्य की स्थापना शिवाजी महाराज ने 1674 ई0 में की थी। 1680 ई0 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई। इसके उपरांत उनकी धर्म ध्वजा को उनके उत्तराधिकारियों ने मजबूती के साथ अपने हाथों में पकड़े रखा। उनके विजय अभियान को रोकने की क्षमता उस समय की मुगल सत्ता या किसी भी अन्य शक्ति के बस की बात नहीं रही थी।
1707 ईस्वी में औरंगजेब की मृत्यु के मात्र 30 वर्ष पश्चात ही मराठों ने दिल्ली पर भी अधिकार कर लिया। उस समय मुगलों को दिल्ली के लाल किले से पालम तक सीमित करने में हिंदू शक्ति के रूप में उदित हुई मराठा शक्ति ने सफलता प्राप्त की थी। एक षड्यंत्र के अंतर्गत मराठों को मराठा के रूप में ही इतिहास में स्थान दिया जाता है ,उन्हें हिंदू शक्ति के पुनरोदय के रूप में प्रदर्शित नहीं किया गया है। यद्यपि वह लगभग एक शताब्दी तक भारत में हिंदू शक्ति का प्रतीक बने रहे थे। 1818 ईस्वी तक मराठा साम्राज्य भारत के बड़े भूभाग पर शासन करता रहा। इससे स्पष्ट होता है कि 1757 में जब अंग्रेज प्लासी का युद्ध लड़ रहे थे तो उसके तुरन्त पश्चात उनका भारत पर शासन स्थापित नहीं हो गया था। 1818 ई0 तक मराठा शक्ति ने उन्हें भारत की प्रमुख शक्ति बनने से रोके रखने में सफलता प्राप्त की थी। इस वंश के अंतिम शासक बाजीराव द्वितीय थे।
मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत