25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……18

Screenshot_20230102_172955_Adobe Acrobat

चौहान साम्राज्य

7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक चौहान वंश के शासकों ने शासन किया। गुजरात के चालुक्य, दिल्ली के तोमर , मालवा के परमार, बुंदेलखंड के चंदेलों ने कई युद्ध लड़े थे। इसका पहला प्रमुख शासक सामंतराज था। लगभग 684 ई0 में इस वंश की स्थापना हुई थी। इसके पश्चात यह 1193 ईस्वी तक पृथ्वीराज चौहान के अंत तक शासन करता रहा।
चौहान या चाहमान वंश के शासकों ने सातवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक शासन किया। जिस समय मोहम्मद बिन कासिम ने भारत पर आक्रमण किया था , उस आक्रमण के कुछ काल बात शंकराचार्य द्वारा माउंट आबू पर एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था, जहां देश की सुरक्षा रक्षानीति पर विचार करने के लिए जिन क्षत्रिय वंशों को आमंत्रित किया गया था उनमें चौहान वंश के लोग भी थे । क्षत्रिय गुणों से भरपूर शक्ति संपन्न चौहान वंश के तत्कालीन लोगों ने शंकराचार्य देवलाचार्य जी को यह विश्वास दिलाया कि वे मां भारती की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देंगे और किसी भी विदेशी शासक के सामने कभी झुकेंगे नहीं। भारतीय इतिहास का यह एक सुखद पहलू है कि चौहान शासकों ने उस समय आचार्य को दिए गए अपने वचन का सदा पालन किया।
हमें अपने इतिहास के प्रति नीरसता के भावों से भरने के लिए जयचंद के बारे में तो पढ़ाया जाता है जिसने देश के साथ गद्दारी की थी, पर उन अनेक चौहान शासकों के बारे में नहीं बताया पढ़ाया जाता जिन्होंने अपने अनेक बलिदान देकर भी देश के सम्मान पर आंच नहीं आने दी थी। माना कि उस समय पृथ्वीराज चौहान और जयचंद मूर्खतावश आपस में भिड़े और संयोगिता को लेकर अपनी सेनाओं का विनाश करवाया, पर सारा सच केवल संयोगिता ही नहीं है। उससे अलग भी बहुत कुछ ऐसा था जो हमारे लिए गौरवपूर्ण है।
हमें जानबूझकर संयोगिता पृथ्वीराज चौहान और जयचंद की कहानी में उलझा कर रखा गया। जिससे हमें कुछ ऐसा लगे कि हमारे पूर्वज छोटी-छोटी बातों पर मूर्खतापूर्ण ढंग से लड़ने के आदी थे। इस षड्यंत्र का परिणाम भी यही हुआ कि हम वास्तव में अपने महान पूर्वजों के बारे में यही धारणा बना बैठे कि वे आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ा करते थे।
जबकि इससे अलग बहुत कुछ ऐसा है जिस पर हम और आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकती हैं। चौहान साम्राज्य का दिया गया यह मानचित्र हमें बताता है कि इस साम्राज्य को देर तक स्थापित रखने के लिए हमारे चौहान पूर्वजों को कितना संघर्ष करना पड़ा होगा ? शाकंभरी, अजमेर आदि के चौहानों ने अनेक बार विदेशी आक्रमणकारियों से संघर्ष किया और उन्हें धूल चटाई। यद्यपि धूल चटाने के उन महान पराक्रमी कार्यों का उल्लेख इतिहास में नहीं किया जाता।
आज की पीढ़ी को अपने चौहान शासकों के बारे में बहुत कुछ जानने समझने की आवश्यकता है। “भारत को समझो” अभियान के साथ जुड़कर आप निश्चित ही इस विषय में विशेष जानकारी ले सकते हैं।

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

Comment: