प्रखर साहित्यकार मंच के सौजन्य से मनाया गया मासूम गाजियाबादी का जन्मदिवस
गाजियाबाद (विशेष संवाददाता ) जय सरोज फाउंडेशन जैसी सम्मानित सामाजिक संस्था और प्रखर साहित्यकार मंच के संयुक्त तत्वावधान में यहां पर शंभू दयाल इंटर कॉलेज के सभागार में साहित्य जगत की विशेष शख्सियत मासूम गाजियाबादी का 70 वा जन्म दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष दादा राजेंद्र राजा ने ‘उगता भारत’ को बताया कि भारत ही नहीं विश्व के अन्य अनेक देशों में भी मासूम जी की कविताओं को लोग बड़े ध्यान से सुनते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में उनके शेरों को बड़े शौक से बोलते हैं।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए प्रमुख कवि नितिन खरे ने बताया कि इस अवसर पर साहित्य जगत की अनेक प्रतिभाओं की उपस्थिति रही। जिन्होंने मासूम जी के महान कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। सभी उपस्थित महानुभावों ने मासूम जी की सरल और हृदय को छूने वाली कविता और शेरों के माध्यम से उनका स्तुतिगान किया और उनके अच्छे स्वास्थ्य वह लंबी आयु की कामना भगवान से की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शिक्षा जगत के महान हस्ताक्षर श्री बीएल गौड़ द्वारा की गई। श्री गौड़ ने अपने भाषण में कहा कि जिस सहजता और सरलता से मासूम जी लिखते हैं उसका वर्तमान साहित्य जगत में कोई सानी नहीं है। बड़ी विषम परिस्थितियों में रहते हुए भी साहित्य की सतत साधना करना और उसके उपरांत भी शांत रहना मासूम जी की शख्सियत की सबसे बड़ी विशेषता है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि मासूम जी सार्थक जीवन की जीवंत प्रेरणा हैं। जिसमें वह कभी भी असहज या असंतुलित दिखाई नहीं देते। डॉ आर्य ने कहा कि वह जब भी मासूम जी से मिले हैं तभी उन्हें उनके भीतर एक नया व्यक्तित्व दिखाई दिया है। इसी प्रकार मंच संचालन कर रहे अधिवक्ता वीरेंद्र कांत शर्मा ने कहा कि जिस व्यक्तित्व के जन्म लेने से उसका कुल , वंश, राष्ट्र व समाज सब उन्नति को प्राप्त होते हैं वास्तव में जीवन उन्हीं का सार्थक होता है । मासूम जी इस प्रकार की अपेक्षा पर खरे उतरते हैं। सुप्रसिद्ध कवि अमित शर्मा ने मासूम जी की लेखनी से निकले विचार मोतियों के कई शेर पढ़कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।
अपने भाषण में मासूम जी ने कहा कि उन्हें लोगों का असीम प्यार मिला है और मैं इस प्यार को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत मानता हूं। उन्होंने कहा कि मैं आगे बढ़ता गया और यह सब तब संभव हुआ जब मुझे लोगों के प्यार का पालना प्राप्त हो गया। उसी पालने में लेटे-लेटे मेरे जीवन के 70 वर्ष कब गुजर गए मुझे पता ही नहीं चला। मैं अपनी जिंदगी की सभी शानदार यादों को और पलों को लोगों के प्यार की ही देन मानता हूं और उन्हें बड़ी विनम्रता से उन्हीं के लिए लौटाता हूं। उन्होंने नए साहित्यकारों और कवियों के लिए संदेश देते हुए कहा कि वे कविता को कमाई का साधन ना बनाएं। इसके विपरीत कविता को सहज रूप में फूटने और फैलने दिया जाए । उसका फूटना और फैलना ही तुम्हारे जीवन की सबसे बड़ी सार्थकता होगी। कविता जब कमाई का माध्यम बन जाती है तो वह अपने मार्ग से भटक जाती है। इसलिए उसे भटकने मत दो।
ज्ञात रहे कि मासूम जी पिछले कई दशक से कविता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करते रहें। अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने कविता को सहज रूप में फूटने दिया है और अपने गूथे हुए शब्दों से हर कविता को ऊंचाई देने का गंभीर प्रयास किया है। शायद इसीलिए लोग उन्हें मासूम कहने लगे।
इस अवसर पर अनेक साहित्यकारों सहित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने भी अपनी गौरवपूर्ण उपस्थिति प्रदान की।