नववर्ष के अवसर पर मानव जीवन के संदर्भ में
बिखरे मोती
नववर्ष के अवसर पर मानव जीवन के संदर्भ में –
अरे यह साल भी बीता,
अरे यह साल भी बीता ।
मगर भक्ति के मार्ग में,
खड़ा हूं आज भी रीता॥
अरे यह साल भी बीता ...
मन में विकारों का लगा है,
आज भी डेरा ।
माया ठगनी ने मुझे,
चहुँ ओर से घेरा ।
फंस गया माया के व्यूह में,
नहीं भक्ति किला – जीता॥
अरे यह साल भी बीता...
देता रहा उपदेश जग को,
ये करो! ये मत करो ।
देखता है न्यायकारी,
ख़ोफ़ उसके से डरो॥
काश!आत्मसात करता,
वेद और गीता ।
अरे यह साल भी बीता…
प्रभु – प्राप्ति लक्ष्य मनुष्य का,
ओटन लगा कपास ।
मीर ध्रुव प्रहलाद की भांति,
मिट जाती तेरी प्यास ।
ब्रहम रस का पान कर,
जीवन यदि जीता॥
अरे यह साल भी बीता ...
बड़ी मुश्किल से होता है,
रुहानी रहा पर चलना ।
खुदा की तौफ़ीक होती है,
तभी हो संत का मिलना ।
सुर्खरू होकर निकलती,
ज्यों अग्नि से सीता ।
अरे यह साल भी बीता ...
अभीप्षि एक बाकी है,
तेरा दीदार हो जाये ।
तेरी ज्योति जले मन में,
मेरा उद्धार हो जाये ।
विजय तेरे द्वार पर आया,
ना जाये ये कभी रीता ।
अरे यह साल भी बीता …
अरे यह साल भी बीता ..
क्रमश: