राहुल गांधी के वाजपेयी प्रेम का रहस्य जानिये* *केसी सुदर्शन के आंखों के आंसू भी जानिये*
केसी सुदर्शन के आंखों के आंसू भी जानिये
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आचार्य श्री विष्णुगुप्त
राहुल गांधी के अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर जाने और श्रद्धा सुमन अर्पित करने को लेकर बहुत चर्चा हो रही है और इसके पीछे राहुल गांधी की सहृदयता बतायी जा रही है, राहुल गांधी की बदली हुई महान शख्सियत बतायी जा रही है, कहा यह जा रहा है कि राहुल गांधी देश को शांति और सद्भाव का संदेश देना चाहते हैं। यही कारण राहुल गांधी अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर जाकर पुष्पाजंलि की है।
लेकिन इसके पीछे की कहानी और रहस्य को कोई बतायेगा नहीं? यह कोई नहीं बतायेगा कि राहुल गांधी और उनकी माता सोनिया गांधी अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति इतनी गंभीर सहानुभूति क्यों रखते हैं, वाजपेयी को सद्भावना का प्रतीक क्यों मानते हैं ?
इसके लिए आपको सोनिया गांधी परिवार पर अटल बिहारी वाजपेयी के कोई एक-दो नहीं बल्कि कई एहशानों को जानना होगा, राहुल गांधी के अमेरिकी प्रकरण को जानना होगा, सोनिया गांधी के विदेशी मूल के प्रकरण को जानना होगा,क्वात्रोचि प्रकरण को जानना होगा, बोफोर्स कांड में सोनिया गांधी और क्वात्रोचि प्रकरण को जानना होगा, सोनिया गांधी परिवार पर सुब्रहण्यम स्वामी के कानूनी प्रकरण को जानना होगा,बजेश मिश्रा प्रकरण को जानना होगा। इससे आगे संघ के तत्कालीन प्रमुख केसी सुदर्शन के आंखों के आंसू को जानना होगा।
संघ के तत्कालीन प्रमुख केसी सुदर्शन के आंखों के आंसू का मेरा सीधा साक्षात दर्शन हुआ था।
केसी सुदर्शन के आमंत्रण पर दिल्ली स्थित संघ कार्यालय मैं पहुंचा था। केसी सुदर्शन मुझे सोनिया गांधी के विदेशी मूल के प्रकरण पर बात करने के लिए बुलाया था। सोनिया गांधी के खिलाफ बयान देने के बाद केसी सुदर्शन अलग-थलग पड़ गये थे और कांग्रेसियों के हमले भी झेल रहे थे, उनके बचाव में संघ और भाजपा का कोई एक चेहरा भी सामने नहीं था। अटल बिहारी वाजपेयी के एरा में किसकी हिम्मत थी कि उनकी इच्छा के बिना सोनिया गांधी परिवार पर कातिलाना वैचारिक हमले कर सकें।
मैं जब केसी सुदर्शन जी से मिलने के लिए झंडेवलान पहुंचा तो फिर केसी सुदर्शन को चिंतित देखा। आम तौर पर संघ के प्रमुख सार्वजनिक तौर पर चिंतित नहीं देखे जाते, चिंता को नियंत्रित रखने और सामान्य दिखने की वीरता उनमें होती है।
सोनिया गांधी पर बातें होते-होते मैंने राहुल गांधी के संबंध में एक कुचर्चा पर चर्चा छेड़ दी थी। कुचर्चा थी कि राहुल गांधी अमेरिका में अवांछित परिस्थितियों में थे। मेरी चर्चा पर केसी सुदर्शन के आंखों से आंसू टपकने लगे, कहने लगे कि वाजपेयी जी ने बहुत ही गलत किया है, वाजपेयी जी ने देश और संस्कृति की कसौटी पर सही नहीं किया, इस देश को न केवल सोनिया गांधी के विदेशी मूल की समस्या से मुक्ति चाहिए, बल्कि विदेशी मूल से उत्पन्न बच्चें भी देश के सिंहासन पर न पहुंचे, यह भी जरूरी है। केसी सुदर्शन आगे कहते हैं कि राहुल गांधी अगर औपचारिक ढंग से एक पल और एक दिन भी अमेरिका में कुचर्चित प्रकरण में असहज स्थिति में खडे होते तो फिर देश को सोनिया परिवार से मुक्ति मिल जाती। केसी सुदर्शन जी ने राहुल गांधी के बचाव के लिए वाजपेयी को जमकर कोसा था।
उस काल में कुचर्चा क्या थी? कुचर्चा थी कि वाजपेयी सरकार ने अमेरिका में राहुल गांधी को असहज स्थिति से निकालने की बहुत बड़ी कोशिश की थी, उस समय के वाजपेयी के सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने तब कई कॉल अमेरिका कर राहुल गांधी पर दया करने की गुहार लगायी थी। कुचर्चा थी कि बृजेश मिश्रा के नाकाम होने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद मोर्चा संभाला था। इसके बाद राहुल गांधी को असहज स्थिति से मुक्ति मिली थी।
सोनिया गांधी परिवार के निजी मित्र और कांग्रेसी मुख्यमंत्री के पुत्र ब्रजेश मिश्रा को वाजपेयी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया था। संघ ने ब्रजेश मिश्रा को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने का विरोध किया था। पर वाजपेयी ने संघ को सीधे खरी-खोटी सुनायी थी कि चाहे कुछ भी हो जाये, सोनिया गांधी के परिवार का निजी मित्र होने के बावजूद भी मुझे ब्रजेश मिश्रा चाहिए तो चाहिए। वाजपेयी की जिद के सामने संघ और आडवाणी भी नतमस्तक हो गये थे।
ब्रजेश मिश्रा ने सोनिया गांधी के परिवार के लिए क्या क्या किया था, यह सब इतिहास में दर्ज है। बोफार्स जांच को प्रभावित किया था, क्वात्रोचि को सोनिया गांधी भाई मानती थी, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यालय में क्वात्रोचि की सक्रिय गदर कटती थी, तूती बोलती थी। बोफार्स कांड में शामिल एक बंधुओं को राहत तो वाजपेयी सरकार में ही मिली थी। इसके अलावा ब्रजेश मिश्रा ने सोनिया गांधी परिवार पर सुब्रहण्यम स्वामी के कानूनी हमले को कमजोर कराया था, इसके अलावा विदेशी मूल के भावनात्मक प्रकरण पर भी वाजपेयी सरकार को कड़े कदम उठाने से रोका था। नेपाल से इंडियन एयर लाइंस के अपहरित विमान की मुक्ति न मिलने के पीछे ब्रजेश मिश्रा की कारस्तानी थी। भारतीय कंमाडों ने अमृतसर हवाई अड्डे पर अपहरित विमान को घेर लिया था पर बृजेश मिश्रा ने कंमाडों कारवाई रोकवायी थी। इसका दुष्फल यह निकला कि विमान की मुक्ति के लिए कई दूर्दांत आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था। इसके कारण वाजपेयी सरकार की बड़ी किरकिरी हुई थी। केरल-त्रिपुरा से अपहरित संघ के चार बड़े प्रचारकों की मुक्ति में भी बृजेश मिश्रा ने वांक्षित कारवाई में उदासीनता बरती थी, बाद में चारों संघ के प्रचारकों की हत्या बांग्लादेश की सीमा पर कर दी गयी थी। झंडेवालान में हुई शोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा था कि प्रचारकों की मुक्ति न कराने की विफलता कष्टकारी है, अप्रत्यक्षतौर पर उन्होंने इसके लिए ब्रजेश मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया था।
ऐसे कई किस्से ब्रजेश मिश्रा के थे जिनमें वाजपेयी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होते हुए भी सोनिया गांधी के आज्ञा प्रहरी के रूप में भूमिका प्रदान की थी।
सोनिया गांधी ने इसके बदले में ब्रजेश मिश्रा को पुरस्कृत भी किया था। वाजपेयी सरकार के पतन के बाद जब सोनिया गांधी सरकार बनी थी तब ब्रजेश मिश्रा पर सोनिया गांधी ने जमकर कृपा बरसायी थी। सोनिया गांधी ने अपनी सरकार की ओर से ब्रजेश मिश्रा को पदमश्री का पुरस्कार भी दिलवाया था। वाजपेयी सरकार के सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा पर सोनिया गांधी की बरसने वाली ऐसी कृपा के पीछे की कहानी कौन नहीं जानता था। जब ब्रजेश मिश्रा की मृत्यु हुई तो फिर सबसे पहले उनके घर पहुंचने वाली सोनिया गांधी ही थी। वाजपेयी सरकार के पतन के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार था उसका नाम ब्रजेश मिश्रा था। वाजपेयी को जो चाहिए होता था उसका जुगाड़ ब्रजेश मिश्रा चुटकी बजा कर देता था और इसके बदले मनचाहा कार्य करा लेता था। ब्रजेश मिश्रा ने वाजपेयी को नॉबल पुरस्कार का भी झांसा दिया था, इसी झांसे में कश्मीर जाते-जाते बचा था, वह भी लालकृष्ण आडवाणी की वीरता के कारण। लालकृष्ण आडवाणी की वीरता नहीं उठती तो फिर जवाहरलाल नेहरू वाली भूमिका वाजपेयी भी निभा देते।
मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जो राहुल गांधी और पूरा सोनिया गांधी परिवार अपने दल के प्रधानमंत्री और महान विद्वान पीवी नरसिम्हाराव के योगदान और भूमिका को लात मार देता है, जिसकी अत्येष्टि में सोनिया गांधी परिवार का एक भी सदस्य हिस्सा नहीं लेता है, जिसके शव को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में दर्शनार्थ रखने की अनुमति नहीं होती है, सड़क से औपचारिकता पूरी कर हैदराबाद भेज दिया जाता है उस सोनिया गांधी के परिवार द्वारा वाजपेयी पर कृपा बरसाने के पीछे अनकही कहानी यही है। अभी भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पीवी नरसिम्हा राव की स्मारक-समाधि से गुजरे थे, पर उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव के स्मारक-समाधि पर जाने से इनकार कर दिया था और श्रद्धा सुमन भी अर्पित नहीं किया था। जब पीवी नरसिम्हा राव के परिजनों ने आपत्ति उठायी तब राहुल गांधी के कारिंदों ने झूठे तथ्य गढ कर बचाव में उतर गये थे।
आज सोनिया गांधी का परिवार सहज स्थिति में है तो उसके पीछे वाजपेयी के उपकार ही है। इसलिए राहुल गांधी की मंशा सदभावना कायम करना और राजनीतिक मतभेद मिटाना कतई नहीं रहा है। राहुल गांधी जवाब देते तो अच्छा रहता कि उनकी सदभावना पीवी नरसिम्हा राव के प्रति क्यों नहीं उमड़ती है, उनके स्मारक-समाधि पर जाने और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने से वे परहेज क्यों करते हैं? राहुल गांधी वाजपेयी के उपकार के कारण ही यह नाटक कर रहे हैं।
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