स्वामी श्रद्धानंद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणा स्रोत…आचार्य संजय सत्यार्थी
महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से भी अधिक समय से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में 26 दिसंबर 2022 सोमवार को “”स्वामी श्रद्धानंद का पावन चरित्र”” विषय पर मुख्य वक्ता आचार्य संजय सत्यार्थी बिहार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद का व्यक्तित्व और कृतित्व बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। स्वामी श्रद्धानंद ने महर्षि दयानंद सरस्वती के पट्ट शिष्य हो कर अपने संपूर्ण जीवन को परम आस्तिक बना कर कल्याण भावना से कार्य किया। उन्होंने लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति के खिलाफ आवाज उठाई और आर्ष विद्या के प्रचार प्रसार के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती के स्वप्न को साकार करते हुए सन 19 02 में गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की। अपने दो पुत्रों इंद्र और हरिश्चंद्र को लेकर गुरुकुल प्रारंभ किया जो आज पूरे विश्व में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रूप में प्रख्यात है। नारी शिक्षा के प्रति भी वे जागरूक थे और जालंधर में कन्या गुरुकुल खोलकर अपनी पुत्री से इसकी शुरुआत की।जो आज कन्याओं का बड़ा शिक्षा केंद्र है।शुद्धि आंदोलन चलाकर मुस्लिम और ईसाई बने लोगों को पुन:घर वापसी किया। उनका राजनीतिक जीवन अत्यंत प्रेरक है और रौलट एक्ट का विरोध प्रदर्शन कर जुलूस का नेतृत्व किया और दिल्ली के चांदनी चौक पर गोरे सैनिकों के समक्ष निर्भीकता के साथ सीना खोल कर गोली चलाने को कहकर अदम्य साहस और निर्भीकता का परिचय दिया। वेद के प्रचार प्रसार तथा आर्य समाज के सिद्धांतों की रक्षा के लिए वे सदैव तत्पर रहे। उनका बलिदान समाज और राष्ट्र को नई प्रेरणा देता है और संपूर्ण आर्यों के लिए उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणा स्रोत है। अंत में उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर स्वरचित कविता सुना कर सब को भावविभोर कर दिया।
इसी क्रम में उक्त विषय पर महान इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी श्रद्धानंद एक ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं जिनके चमक से सारा आर्य जगत आज भी प्रकाशित हो रहा है। स्वामी श्रद्धानंद का विराट व्यक्तित्व और वेदों तथा ईश्वर के प्रति गहन आस्था और श्रद्धा ने उनके प्रति सब को आकृष्ट किया और अपने जीवन दर्शन से सबको प्रभावित किया। उनकी राष्ट्रभक्ति , सद्भावना और समरसता सबके लिए प्रेरणा दायी है। स्वामी श्रद्धानंद का शुद्धि आंदोलन इतना महत्वपूर्ण था कि उन्होंने 4 करोड़ अनुसूचित दलित भाइयों को मुसलमान और ईसाई बनने से बचाया था और इस कार्य में वह निरंतर लगे थे। स्वामी श्रद्धानंद की राष्ट्रभक्ति और निर्भीकता से अंग्रेजी सत्ता कांपती थी। इसके अलावा कई अनछुए पहलुओं को भी सुना कर सब को लाभान्वित किया।
इसी विषय को बढ़ाते हुए प्रसिद्ध वैदिक विद्वान प्रो.डॉ. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद एक महामानव थे और वेद तथा महर्षि दयानंद के सिद्धांतों व विचारों के आजीवन प्रचारक रहे। आर्ष विद्या के प्रबल पोषक स्वामी जी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के जनक थे और इसके लिए उन्होंने तन, मन और धन राष्ट्रहित के लिए समर्पित कर सर्वमेध यज्ञ कर अमर हो गए। संकल्पशक्ति के धनी , धीर धीर और गंभीर व्यक्तित्व के धनी एवं निर्भीकता की प्रतिमूर्ति स्वामी श्रद्धानंद का जीवन -दर्शन हम सबके लिए सदैव प्रेरणा स्रोत का काम करेगा। इसी क्रम में प्रो. डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली,
अनिल कुमार नरूला दिल्ली, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, आर्या चंद्रकांता क्रांति हरियाणा, युद्धवीर सिंह हरियाणा, देवी सिंह आर्य दुबई, जगदीश प्रसाद पाराशर विमलेश कुमार सिंह, शिक्षिका आराधना सिंह, शिक्षिका सुमनलता सेन आर्या, आर्य सुमन शर्मा बरेली, परमानंद सोनी भोपाल आदि ने अपने विचार रखे। विश्व भर से सैकड़ों लोग आर्यों के महाकुंभ से जुडकर लाभ उठा रहे हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कमला हंस,दया आर्या् हरियाणा, ईश्वर देवी आर्या, संतोष सचान और अदिति आर्या ने अपने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रतिदिन शांति पाठ एवं वैदिक उद्घोष बालक रेयांश शर्मा और वशिष्ठ द्वारा किया जाता है ।
कार्यक्रम का समापन समापन भारतीय इतिहास पुनर लेखन के राष्ट्रीय संयोजक मंत्री आर्य रत्न लखन लाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ सबके प्रति आभार जताया।