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इतिहास के पन्नों से

25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……13

महमूद गजनवी का साम्राज्य विस्तार

देश के हिंदू वीर योद्धाओं में हर स्थान पर महमूद गजनवी का व्यापक विरोध किया था। भारत भक्त उन वीर योद्धाओं को हमें नमन करना चाहिए ,जिनके कारण उस समय मां भारती पूर्णतया विदेशी पराधीनता के शिकंजे में कसने से बचाई जा सकी।
जिस समय महमूद गजनवी 67 वर्ष की अवस्था में 30 अप्रैल 1030 को मृत्यु का ग्रास बना उस समय के भारत पर यदि दृष्टिपात करें तो उसका साम्राज्य कुछ अफगानिस्तान में तो कुछ आज के पाकिस्तान में ही दिखाई देता है। वर्तमान भारत के थोड़े से पंजाब क्षेत्र में भी उसका साम्राज्य स्थापित हुआ था। कुल मिलाकर आज के भारत के 10% भाग को भी वह जीत नहीं पाया था । इस प्रकार 90% भारत महमूद गजनवी के व्यापक आक्रमणों के उपरांत भी स्वतंत्र बना रहा था।
1030 ईस्वी में हम 10% की हानि उठा रहे थे। जबकि 712 ई0 से मुस्लिम आक्रांता हमारे भूभाग को बलात हड़पने के लिए बार-बार आ रहे थे और बार बार आक्रमण कर व्यापक नरसंहार कर रहे थे। हमारे तत्कालीन वीर योद्धाओं ने अनेक कष्ट उठाए, अनेक प्रकार के अत्याचार सहे, कितने ही नरसंहार सहे, परंतु अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए देश को पराधीन नहीं होने दिया।
318 वर्ष के उस व्यापक संघर्ष पर हमें विचार करना चाहिए।
इसके साथ – साथ हमें यह विचार करना चाहिए कि इतने लंबे काल तक संसार का क्या कोई अन्य देश अपनी स्वाधीनता की रक्षा कर पाया ? इन 318 वर्षों में हमारे कितने लोगों ने अपना बलिदान दिया होगा ? कितने लोगों को जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए विवश किया गया होगा ? कितनों ने इस्लाम स्वीकार न करने पर अपना सर कलम करवा लिया था ? इन सब बातों पर गंभीरता से सोच कर हमें यह मानना चाहिए कि हमारे पूर्वज वीरता में अप्रतिम थे। इस काल में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों ने आर्य हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए अपना अप्रतिम योगदान दिया। उनके उस अद्वितीय योगदान को भी हमें नमन करना चाहिए।
भारत ने कभी सिकंदर के यूनान पर आक्रमण नहीं किया, भारत ने कभी गजनवी, गोरी के देश पर भी चढ़ाई नहीं की, इसलिए इनको लुटेरा ही कहा जाएगा। परंतु उन्हें महान कहकर हमें अपने हमारे इतिहास में पढ़ाया जाता है। जो नायक थे और वास्तव में महान थे वे तो “जीरो” हो गए और जो जीरो थे वे “हीरो” या महान कहकर प्रस्तुत किए गए। छल – कपट का ऐसा ताना-बाना भारतीय इतिहास पर चढ़ाया गया कि आज तक वह उतारे से भी नहीं उतर रहा है। लूट, हत्या, डकैती, बलात्कार और क्रूरता कभी सांस्कृतिक सामंजस्य स्थापित करने में सहायक नहीं हो सकते और ना ही इन कार्यों को कभी महान माना जा सकता है तो फिर भारतीय इतिहास में ऐसा क्यों पढ़ाया जा रहा है ?

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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