कब-कब बंटा है भारत ….?
यदि भारत के जंबूद्वीप पर किए गए शासन के दिनों को छोड़ दें तो प्राचीन भारत अपने स्वरूप में सन 1876 ई तक लगभग ज्यों का त्यों बना रहा। उस समय तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्री लंका, बर्मा, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश इत्यादि देशों का कोई अस्तित्व नही था। ये सारा भूभाग भारत कहा जाता था।
अंग्रेजों ने 26 मई सन 1876 ई को रूस की साम्राज्यवादी नीति से बचने के लिए भारत को प्रथम बार विभाजित किया और अफगानिस्तान नाम के एक बफर स्टेट की स्थापना कर उसे स्वतंत्र देश की मान्यता दी। तब भारत के देशी नरेश इतने दुर्बल और राष्ट्र भक्ति से हीन हो चुके थे कि उन्होंने इस विभाजन को विभाजन ही नही माना बल्कि बड़े सहज भाव से इस पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी।
इतिहास में इस घटना को विभाजन के रूप में दर्शित नही किया गया। आज तक हम वही पढ़ रहे हैं जो अंग्रेजों ने इस विषय में लिख दिया था। इसके पश्चात सन 1904 ई में नेपाल को तथा सन 1906 ई में भूटान और सिक्किम को भारत से अलग किया गया। बाद में सिक्किम ने सन 1976 ई में भारत में अपना विलय कर लिया, जबकि नेपाल के विलय प्रस्ताव को रूस के समर्थन के बाद भी नेहरू जी ने सन 1955 ई0 में अस्वीकार कर दिया। भारत के हितों के संदर्भ में नेहरू जी की बहुत बड़ी भूल थी। उस समय तिब्बत और भूटान में भी भारत के प्रधानमंत्री से ऐसा ही आग्रह किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने उनके प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया था।
अंग्रेज शासक अपने साम्राज्य की सुरक्षार्थ निहित स्वार्थों में देश को बांटता गया और नये नये देश इसके मानचित्र में स्थापित करता गया और हमने कुछ नही किया।
सन 1914 ई में अंग्रेजों व चीन के मध्य एक समझौता हुआ जिसके अनुसार तिब्बत को एक बफर स्टेट की मान्यता दी गयी। मैकमहोन रेखा खींचकर हिमालय को विभाजित करने का अतार्किक प्रयास किया गया, जो भूगोल के नियमों के विरूद्घ था।
सन 1911 ई में अंग्रेजों ने श्रीलंका और सन 1935 ई में बर्मा को अलग देश की मान्यता दे दी। अंग्रेज शासक राष्ट्र की एकता और अखण्डता को निर्ममता से रौंदता रहा और हम असहाय होकर उसे देखते रहे। इनसे दर्दनाक और मर्मान्तक स्थिति और क्या हो सकती है? जब देश 1857 में अपनी स्वाधीनता का आंदोलन चला रहा था तो उस समय 23:00 का क्षेत्रफल 8300000 खबर किलोमीटर था। आज 32 लाख वर्ग किलोमीटर से कुछ अधिक का भारत तब तक पूर्ण नहीं हो सकता जब तक उसे 1857 की क्रांति के शुभारंभ करते समय का पूर्ण क्षेत्रफल प्राप्त नहीं हो जाता। क्या हमारा संकल्प 32लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल को लेने का था या उसे पूर्ण रूप में प्राप्त करने का था ?
यह बात आज विचारणीय है।
मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत