स्वतन्त्रता की ज्वाला के प्रखर पुञ्ज क्रान्तिकारी स्वामी श्रद्धानन्द का बलिदान दिवस सम्पन्न

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कोलिकाता। ( विशेष संवाददाता ) प्रान्तीय आर्य वीर दल बङ्गाल के तत्वावधान में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जी का 96 वां बलिदान दिवस बङ्गाल के युवाओं ने संयुक्त रुप से सामुहिक यज्ञ के साथ आर्य प्रतिनिधि सभा बङ्गाल के भवन में आयोजित किया । इस यज्ञ सञ्चालन में वैदिक ऋचाओं का पाठ वैदिक गुरुकुलम् बिड़ा बारासात के छोटे छोटे ब्रह्मचारियों द्वारा किया गया ।

   बलिदान दिवस के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य सन्यासी प्रसिद्ध वैयाकरण वैदिक विद्वान स्वामी उद्गीथानन्द सरस्वती जी द्वारा की गई  । मुख्य उद्बोधन वैदिक विद्वान एवं आर्य वीर दल बङ्गाल के प्रान्तीय सञ्चालक आचार्य योगेश शास्त्री ने दिया , उन्होंने अमर हुतात्मा , अपने समय में शुद्धि आन्दोलन के सर्वश्रेष्ठ प्रणेता, भारतीय स्वामित्व के समाचार-पत्र सद्धर्म प्रचारक , अर्जुन, व तेज जैसे हृदय को झकझोर कर रख देने वाले तेजस्वी समाचार-पत्रों के प्रथम स्वामी ,प्रकाशक व पत्रकार,  प्रथम कन्या विद्यालय के संस्थापक,  संस्कृत ,संस्कृति एवं संस्कारोत्थान हेतु गुरुकुलीय व्यवस्था के पुनरुद्धारक, जलियांवाला बाग हत्याकांड के पश्चात सुप्त ,लुप्त  होती स्वतन्त्रता की ज्वाला के प्रखर पुञ्ज क्रान्तिकारी स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती महर्षि दयानन्द सरस्वती के पटु शिष्य  थे , जिन्होंने सत्य सनातन वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना के आर्य समाज जैसी पावन संस्था के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर  बाल विवाह,  पर्दाप्रथा,  ,  विदेशी  शिक्षा जातिप्रथा , छुआछूत जैसी सामाज शत्रु कुरीतियों को समूल नष्ट किया ।

हिन्दुत्व की रक्षा ,वृद्धि एवं समृद्धि हेतु श्रद्धानन्द जी ने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया , इस विषय में उनकी हिन्दू संगठन नामक पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है ।
श्री शास्त्री ने कहा कि मलका ने राजपूतों को 5लाख की बड़ी संख्या में वापस घर लाना तो स्वामी श्रद्धानंद जी का महान कार्य था ही इसके अतिरिक्त उस समय 1923 के कांग्रेस अधिवेशन में मुस्लिमों की ओर से यह प्रस्ताव लाया गया था कि देश के आठ करोड़ हरिजनों को हिंदू और मुसलमान आधा-आधा आपस में बांट लें। तब इस प्रस्ताव का कड़े शब्दों में विरोध करने वाले भी स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ही थे। यदि वह उस सभा में उस समय नहीं होते तो कांग्रेस के गांधी और उनके साथी नेतागण इस प्रस्ताव को लगभग स्वीकृति प्रदान कर चुके थे। उन्होंने कहा कि यदि स्वामी श्रद्धानंद जी समय पर नहीं बोलते तो निश्चित रूप से आज एक बड़ा पाकिस्तान देश के भीतर बन गया होता।

इस अवसर पर प्रान्तीय आर्य वीर दल बङ्गाल द्वारा स्वामी श्रद्धानन्द से प्रभावित 51 युवक युवतियों को स्वामी श्रद्धानन्द का प्रेरणास्रोत ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भेंट कर सम्मानित किया गया।

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