दिए गए चित्र में हम सम्राट हर्षवर्धन का साम्राज्य देख रहे हैं।
सम्राट हर्षवर्धन का राज्य विस्तार 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर था। इस महान शासक के बारे में हम भारतवासियों को यह कह कर भ्रमित किया गया है कि भारतवर्ष में हर्ष अंतिम हिंदू सम्राट था। इसके पश्चात भारतवर्ष में बड़े-बड़े साम्राज्य स्थापित कर हिंदू राज्य स्थापित करने की परंपरा लुप्त हो गई और भारत विदेशियों के चंगुल में चला गया।
इसी झूठ के कारण हम अगले 600 वर्ष के आर्य / हिंदू राजाओं के गौरवशाली इतिहास और संघर्ष को भी विदेशियों के नाम कर देते हैं। 1206 ईस्वी में जाकर कुतुबुद्दीन ऐबक नाम के एक गुलाम ने मुस्लिम शासन की स्थापना भारत वर्ष में पहली बार की। हमें ध्यान रखना चाहिए कि सम्राट हर्षवर्धन 606 ई0 में शासक बना था। इस प्रकार 1206 ईस्वी तक पूरे 600 वर्ष के इतिहास की अगली कड़ियों में आने वाले गुर्जर प्रतिहार शासक, कश्मीर के ललितादित्य मुक्तापीड़, मेवाड़ के बप्पा रावल और इसी प्रकार पृथ्वीराज चौहान जैसे अन्य अनेक हिंदू राजाओं पर हम धूल डाल देते हैं। हम उनके साथ ऐसा आचरण करते हैं कि जैसे उनका अस्तित्व ही नहीं था। यह केवल इस मतिभ्रम के कारण किया जाता है कि सम्राट हर्षवर्धन के पश्चात अन्य कोई हिंदू शासक नहीं हुआ।
जब हर्ष का शासन अपने चरमोत्कर्ष पर था तब उत्तरी और उत्तरी-पश्चिमी भारत का अधिकांश भाग उसके राज्य के अन्तर्गत आता था। उसका राज्य पूरब में कामरूप तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। कन्नौज उसकी राजधानी थी जो आजकल उत्तर प्रदेश में है। उसने 648 ई तक शासन किया। सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में ही अरब में विशेष घटना घटित हुई, जब वहां पर 610 ई0 में मोहम्मद साहब ने इस्लाम की स्थापना की। इसके पश्चात 638 ई0 में हर्षवर्धन के शासनकाल में ही मुसलमानों का भारत पर पहला आक्रमण हुआ। यद्यपि यह आक्रमण केवल सीमाओं पर की गई छेड़छाड़ तक ही सीमित रहा और इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं हुआ।
सम्राट हर्षवर्धन ने वैदिक मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
वह एक दयालु, न्याय प्रिय ,उदार और दानशील शासक था। उसके भीतर शासक के वे सभी गुण विराजमान थे जो आर्य राजाओं से अपेक्षित किए गए हैं। कोई भी मुस्लिम शासक उसके गुणों के सामने तुच्छ ही दिखाई देगा।
मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत