शोभना जैन
भारत यात्रा पर आए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दोनों देशों के शिष्टमंडलों के बीच हुई गहन मंत्रणा के बाद नेतन्याहू के सम्मान में सरस माहौल में भोज का आयोजन चल रहा था। अतिथियों के मनोरंजन के लिए लाइव बैंड मधुर संगीत की लहरियां छेड़े हुए थे, तभी लाइव बैंड ने मशहूर फिल्मकार राजकपूर की बेहद चर्चित फिल्म ‘श्री 420’ का लोकप्रिय गाना ‘ईचक दाना-बीचक दाना’ बजाया तो इजराइली शिष्टमंडल झूम उठा। शिष्टमंडल के सदस्य खाने की मेज पर बैठे-बैठे पैरों से गाने की धुन पर ताल देने लगे। यही नहीं, आलम यह रहा कि शिष्टमंडल के सदस्यों ने 1955 में बनी इस भारतीय फिल्म से जुड़ी अपनी यादों को ताजा करते हुए गाने को दोबारा बजाने का आग्रह किया।
इजराइलियों की इस दीवानगी पर विदेश मंंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा भी कि सचमुच यह बात हैरान करने वाली थी कि इतने ज्यादा इजराइली इस भारतीय फिल्मी गाने को जानते थे। अधिकारी ने कहा कि दरअसल दो देशों की जनता के बीच रिश्ते बनाने में फिल्में अहम भूमिका निभाती हैं। निश्चित तौर पर यह टिप्पणी भारत-इजराइल रिश्तों के बदलते समीकरण में दोनों देशों की सरकारों के बीच बड़ते संपर्क के साथ ही दोनों देशों की जनता के बीच भी रिश्ते बड़ाने की दिशा में बड़ते कदमों की द्योतक है, और कारोबारी रिश्ते इसका अहम पहलू हैं।
दरअसल, समारोह में ‘ईचक दाना’ गाने पर यह सिर्फ इजराइली दाद नहीं थी बल्कि मनोरंजन के साथ-साथ कुछ समय से भारत और इजराइल में फिल्में दोनों देशों की जनता को एक दूसरे से जोडऩे के साथ-साथ कारोबारी रिश्तों का जरिया भी बन रही हैं। कुछ समय से दोनों देशों के फिल्मकार एक दूसरे के यहां फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं, आपसी सहयोग से फिल्में बना रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में नेतन्याहू की इस भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में एक अहम समझौता फिल्मों के क्षेत्र में आपसी सहयोग बड़ाने के बारे में भी है।
नेतन्याहू चाहते हैं कि भारतीय फिल्मकार इजराइल के सहयोग से फिल्में बनाएं, वहां शूटिंग करें। इस नजरिए से इस समझौते को खासा अहम माना जा रहा है। नेतन्याहू की सोच है कि इजराइल की खूबसूरत जगहों के बारे में भारत सहित दुनिया के काफी लोग अनभिज्ञ हैं, उन पर दुनिया की नजर पड़ेगी, और इससे इजराइल का पर्यटन उद्योग लाभान्वित होगा। यही वजह है कि नेतन्याहू की भारत यात्रा के दौरान मुंबई फिल्म नगरी से रूबरू होने का कार्यक्रम ‘शलोम मुंबई’ (इजराइली भाषा यानी हिब्रू में शलोम का अर्थ है शांति-सौहार्द) खास तौर पर उनके आग्रह पर बनाया गया।
इजराइल काफी समय से भारतीय फिल्मकारों को अपने यहां फिल्में बनाने के लिए निमंत्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल जुलाई में हुई इजराइल यात्रा के बाद बॉलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह और जैकलीन फर्नान्डिस की जोड़ी ने अपनी फिल्म ‘ड्राइव’ की शूटिंग वहां की। खबरों के अनुसार, यह पहली हिंदी फिल्म थी जिसकी पूरी शूटिंग इजराइल में हुई, जिसके लिए इजराइल सरकार ने सक्रिय सहयोग दिया। वैसे इन दिनों भी बॉलीवुड के एक अन्य फिल्मकार आयन मुखर्जी इजराइल में अपनी फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ की शूटिंग फिल्म अभिनेता रणवीर कपूर और आलिया भट्ट के साथ कर रहे हैं। इजराइल सरकार वहां भारतीय फिल्मों की शूटिंग में सक्रियता से सहयोग दे रही है, उन्हें करों में रियायतें और अन्य सुविधाएं भी दे रही है। उसका मानना है कि यह इजराइल के लिए भी लाभप्रद है, इससे इजराइली लोगों को रोजगार मिलता है।
भारत स्थित इजराइल दूतावास भी समय-समय पर मुंबई फिल्म उद्योग के बडेÞ प्रतिनिधियों के साथ फिल्म क्षेत्र में सहयोग बड़ाने के लिए निरंतर संपर्क में रहता है ताकि इजराइल के खूबसूरत स्थानों पर भारतीय फिल्मकारों की नजर पड़े, जिससे फिल्मों के जरिए कारोबार हो, साथ ही पर्यटन भी बढेÞ, बड़ी तादाद में भारतीय सैलानी इजराइल जाएं। वैसे फिलहाल बड़ी तादाद में ईसाई और मुसलिम धर्मावलंबी तीर्थयात्रा के लिए यरुशलम जाते हैं, लेकिन कुछ समय से दोनों देशों के बीच बड़ती नजदीकी के बरक्स अन्य पर्यटकों की संख्या भी बड़ रही है।
इजराइल का कहना है कि बॉलीवुड के फिल्मी सितारों में से अनेक इजराइल आ चुके हैं। दोनों देश अपने-अपने यहां फिल्म महोत्सव भी आयोजित करते रहे हैं। ये आयोजन खासे सफल भी रहे। इजराइल का जोर इस बात पर है कि ज्यादा से ज्यादा बॉलीवुड की हस्तियां उसके यहां आएं, फिल्में बनाएं, इजराइल के पर्यटन स्थलों को शूटिंग के लिए चुनें। अगर ऐसा हो तो निश्चित तौर पर बॉलीवुड फिल्मों की दुनिया भर में पहुंच और लोकप्रियता के चलते इजराइल का पर्यटन उद्योग बढेÞगा।
गौरतलब है कि ऐसे वक्त जबकि इजराइल दुनिया के अनेक हिस्सों और संगठनों की तरफ से ‘बीडीएस’ आंदोलन के चलते खास तौर पर सांस्कृतिक अलगाव झेल रहा है, भारत के फिल्म उद्योग के साथ सहयोग बड़ाने पर उसकी नजर है। पिछले एक दशक से भी ज्यादा वक्त से विभिन्न मानवाधिकार संगठन ‘बॉयकॉट, डिसइनवेस्टमेंट ऐंड सैंक्शंस’ (बीडीएस) आंदोलन के जरिए फिलस्तीन के हितों को लेकर इजराइल पर अंतरराराष्ट्रीय नियम-कायदों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ आर्थिक और राजनीतिक दबाव बनाने में जुटे हुए हैं। सरकारी स्तर पर इजराइल पिछले काफी समय से इस बारे में प्रयासरत है कि भारतीय फिल्मों की दुनिया भर में लोकप्रियता के बूते आपसी कारोबारी सहयोग बड़ाया जा सके। इसीलिए इजराइल का सांस्कृतिक और पर्यटन मंत्रालय फिल्में बनाने के लिए सुविधाएं मुहैया करा रहा है। इजराइल में कुछ निजी चैनल जैसे ‘हॉट बॉम्बे’ तथा ‘यस इंडिया’ जैसे चैनल वहां पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड फिल्मों का चौबीस घंटे प्रसारण चला रहे है, जो खासे लोकप्रिय हैं। इजराइल के लोकप्रिय रेडियो चैनल पर भी अकसर बॉलीवुड के फिल्मी गाने सुनाई देते हैं।
एक जानकार के अनुसार, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, प्रियंका चोपड़ा और माधुरी दीक्षित आज की पीड़ी की पसंद हैं, जबकि ‘ईचक दाने’ की दीवानगी ने बता ही दिया कि पुरानी पीड़ी आज भी राजकपूर और नरगिस जैसे कलाकारों के नाम पर खिल उठती है। तेल अबीब के कुछ सिनेमाघर नियमित रूप से बॉलीवुड की फिल्में प्रदर्शित करते रहे हैं, जो कई मर्तबा हाउसफुल भी रहते हैं। वैसे इजराइल में भारत से गए यानी भारतीय मूल के यहूदियों की संख्या भी खासी है, पचासी हजार के आसपास। ये लोग वहां इजराइली संस्कृति को अपनाने के साथ ही भारतीय विरासत को भी सहेजे हुए हैं, पुरानी पीड़ी के भारतीय खान-पान, शादी-ब्याह के तरीके आदि वे काफी-कुछ भारतीय पद्धति से चला रहे हैं। शायद यही वजह है कि ऐसे किसी परंपरागत परिवार में विवाह में युवा, अधेड़, वृद्ध सभी बॉलीवुड फिल्मों के गानों पर थिरकते नजर आते हैं।
भारत से 1940-50 के दशक से महाराष्ट्र, केरल सहित कोलकता जैसे महानगरों से भारतीय मूल के यहूदियों ने यहां बसना शुरू कर दिया था। पिछले कुछ समय से पूर्वोत्तर राज्यों से भी भारतीय मूल के अनेक यहूदी इजराइल में बसे हैं। ये लोग भी दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने की अहम कड़ी बने हैं। बॉलीवुड फिल्मों की तरह भारतीय व्यंजन भी इजराइल में कुछ वर्षों से काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। ‘थाली’, ‘चौबीस रुपए’, ‘दोसा बार’, ‘इंदिरा’, ‘महाराजा’ जैसे कितने भारतीय व्यंजन वाले रेस्तरां खासे लोकप्रिय हैं। जाहिर है, इजराइल के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान बडऩे की काफी संभावनाएं हैं जिनका दोहन किया जाना चाहिए।