चालुक्य वंश
चालुक्य वंश एक भारतीय शाही राजवंश था, जिसने छठी और 12वीं शताब्दी के बीच दक्षिणी और मध्य भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया। इस वंश का साम्राज्य विस्तार लगभग 12 लाख वर्ग किलोमीटर था।
हमने इस मानचित्र को यहां पर इसलिए दिया है जिससे कि पाठकों को यह बात समझ में आ सके कि भारतवर्ष में महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी, बाबर, हुमायूं, शेरशाह सूरी और उससे पहले सल्तनत काल के कई सुल्तानों का साम्राज्य 12 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल से भी कम था परंतु इतिहास में उनका नाम बहुत सुना जाता है। जबकि चालुक्य शासकों को इतना स्थान और सम्मान नहीं दिया गया है। इन शासकों का अपराध केवल इतना था कि वह आर्य / हिंदू राज्यपरंपरा के संवाहक थे। जबकि जिन लोगों को स्थान दिया गया है उनकी विशेषता यह थी कि वह मुसलमान थे। आखिर इस अन्याय को हम कब तक सहन करते रहेंगे ?
सौराष्ट्र में चालुक्यों के शासन को आभीरों द्वारा समाप्त कर दिया गया था। दसवीं शताब्दी की तीसरी तिमाही के दौरान, उन्होंने तीन राजवंशों के रूप में शासन किया। सबसे पहला राजवंश, जिसे “बादामी चालुक्य” के रूप में जाना जाता है, ने 6 वीं शताब्दी के मध्य से वातापी (आधुनिक बादामी) पर शासन किया। बादामी चालुक्यों ने बनवासी के कदंब साम्राज्य के पतन पर अपनी स्वतंत्रता का दावा करना आरंभ कर दिया और पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल के दौरान तेजी से उभरे। पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के बाद, पूर्वी चालुक्य पूर्वी दक्कन में एक स्वतंत्र राज्य बन गया। उन्होंने वेंगी से लगभग 11वीं शताब्दी तक शासन किया। पश्चिमी दक्कन में, 8 वीं शताब्दी के मध्य में राष्ट्रकूटों के उदय ने बादामी के चालुक्यों को उनके वंशजों, पश्चिमी चालुक्यों द्वारा 10 वीं शताब्दी के अंत में पुनर्जीवित करने से पहले ग्रहण किया। इन पश्चिमी चालुक्यों ने 12वीं शताब्दी के अंत तक कल्याणी (आधुनिक बसवकल्याण) से शासन किया।
( स्रोत : विकीपीडिया)
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मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
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